President Election 2022: कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव, विधायक और सासंद के वोट की क्या होती वैल्यू? समझें पूरा प्रोसेस
जहां एक तरफ राजनीतिक हलकों में संभावित उम्मीदवारों को लेकर अटकलों की भरमार है। इस बीच भारत में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे किया जाता है, आइए विस्तार से जानते हैं
भारत का अगला राष्ट्रपति चुनने के लिए चुनाव 18 जुलाई को होगा (FILE PIC)
President Election 2022: भारत का अगला राष्ट्रपति चुनने के लिए चुनाव (President Election) 18 जुलाई को होगा। चुनाव के नतीजे 21 जुलाई को घोषित किया जाएगा। चुनाव आयोग (EC) ने चुनाव की तारीखों की गुरुवार को घोषणा की। राष्ट्रपति के साथ-साथ एक नया उप-राष्ट्रपति (Vice-President) भी चुना जाएगा और वो चुनाव अगस्त में हो सकता है।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों के पास अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार को चुनने के लिए बहुमत है। इस चुनाव में संसद के दोनों सदनों के सांसद और सभी राज्य विधानसभाओं के विधायक मतदान करेंगे। अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए उनके पास लोकसभा और राज्यसभा में भी जरूरी संख्याएं चाहिए हैं।
जहां एक तरफ राजनीतिक हलकों में संभावित उम्मीदवारों को लेकर अटकलों की भरमार है। इस बीच भारत में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे किया जाता है, इस बारे में आइए विस्तार से जानते हैं।
कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव?
राष्ट्रपति का एक उम्मीदवार भारत का नागरिक और 35 साल से ज्यादा उम्र का होना चाहिए। इसके अलावा उसे लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए। राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज की तरफ से किया जाता है। इसमें संसद के दोनों सदनों और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली और पुडुचेरी की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
इलेक्टोरल कॉलेज में संसद के 776 सदस्य (लोकसभा से 543, राज्य सभा से 233), साथ ही राज्य विधानसभाओं के 4,809 सदस्य शामिल हैं।
इलेक्टोरल कॉलेज का वैल्यू 10,86,431 वोट है। हर एक मतदाता (MP/MLA) के वोट का वैल्यू पहले से ही तय होता है। हर एक सांसद के लिए वैल्यू 700 निर्धारित किया गया है। एक विधायक के लिए, यह वैल्यू उस राज्य की जनसंख्या (1971 की जनगणना के आधार पर) को शामिल करने वाले एक फॉर्मूले से तय किया जाता है। हर राज्य में ये वैल्यू अलग होती है।
सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य होने के नाते, उत्तर प्रदेश के हर एक विधायक के वोट की वैल्यू सभी राज्यों में सबसे ज्यादा 208 है। तो यूपी के 403 विधायकों की कुल वैल्यू 83,824 है।
राज्य के 80 सांसदों का कुल वोट मूल्य 56,640 है। इसका मतलब है कि राज्य के सांसदों और विधायकों के वोटों का कुल मूल्य 1.4 लाख है, जो उन्हें लगभग 12.7 प्रतिशत वेटेज देता है।
नामांकन दाखिल होने के बाद, विधायकों, उनके राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में और संसद में सांसदों को वोट डालने के लिए मतपत्र (सांसदों के लिए हरा और विधायकों के लिए गुलाबी) दिया जाता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा नहीं होने के कारण एक सांसद के वोट की वैल्यू राष्ट्रपति चुनाव में 708 से घटकर 700 हो सकता है।
राष्ट्रपति चुनाव में उस व्यक्ति की जीत नहीं होती, जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, बल्कि जीत उसकी होती है, जिसे एक निश्चित कोटे से ज्यादा वोट मिलते हैं।
इसलिए, हर एक उम्मीदवार की तरफ से डाले गए वोटों के कुल वैल्यू की गणना करने के बाद, रिटर्निंग ऑफिसर डाले गए सभी वैलिड वोटों की वैल्यू को जोड़ता है। वैलिड वोट के जोड़ को 2 से भाग करके और भागफल में एक जोड़कर कोटा तया किया जाता है। अगर किसी को कोटे से ज्यादा वोट नहीं मिलते हैं, तो सबसे कम वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है।
कैसे होता उप-राष्ट्रपति का चुनाव?
उम्मीदवार बनने के लिए, एक व्यक्ति को कुछ मानदंडों को पूरा करना होगा। कम से कम 20 निर्वाचक उसके प्रस्तावक बनते हैं। एक व्यक्ति को तब तक उपराष्ट्रपति के रूप में नहीं चुना जा सकता है, जब तक कि वह भारत का नागरिक न हो, 35 साल की उम्र पूरी कर चुका हो और राज्य सभा के सदस्य के रूप में चुनने के लायक हो।
अगर किसी व्यक्ति को केंद्र या राज्य सरकार या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण के तहत लाभ का कोई पद मिला है, तो वह उप राष्ट्रपति नहीं बन सकता।
उपराष्ट्रपति का चुनाव भी एक इलेक्टोरल कॉलेज की तरफ से किया जाता है। केवल राज्यसभा और लोकसभा के संसद सदस्य (सांसद) इसमें मतदान कर सकते हैं।
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्य एक जॉइंट मिटिंग में किया जाता है। ऐसे चुनाव में मतदान गुप्त तरीके से होता है। नागरिक और विधान सभा के सदस्य सीधे उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं करते हैं।
इस चुनाव में दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों के अलावा, मनोनीत सदस्यों जैसे कि एंग्लो-इंडियन समुदाय के लोगों को भी वोट देने की अनुमति है। एक उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए 785 में से कम से कम 393 वोट चाहिए होते हैं। ये संख्या लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों मिला कर आती है।