संसद में प्रियंका, नेहरू खानदान से निकले 3 PM, कई मंत्री-गवर्नर-राजदूत, पावर का फैमिली कनेक्शन
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पारिवारिक सदस्यों का आजाद भारत की राजनीति में ज्यादा गहरा प्रभाव है। साथ ही सक्रिय राजनीति या फिर संवैधानिक पदों पर बैठने वालों की संख्या कहीं ज्यादा है। इस पूरे प्रभाव को समझने के लिए जवाहर लाल नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू के परिवार को समझना होगा, जो दिल्ली के आखिरी कोतवाल थे
संसद में प्रियंका, नेहरू खानदान से निकले 3 PM, कई मंत्री-गवर्नर-राजदूत, पावर का फैमिली कनेक्शन
कांग्रेस नेता और गांधी-नेहरू परिवार की सदस्य प्रियंका गांधी की संसद में एंट्री हो चुकी है। केरल की वायनाड लोकसभा सीट से प्रियंका गांधी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। यह सीट उनके भाई राहुल द्वारा छोड़े जाने के बाद खाली हुई थी। अगर जवाहर लाल नेहरू के वंश से जोड़कर देखें तो प्रियंका गांधी परिवार की 10वीं सदस्य हैं, जो चुनाव जीतकर संसद में पहुंची हैं। लेकिन भारतीय राजनीति में नेहरू परिवार के योगदान या कहें कि दबदबे को 10 की संख्या पूरी तरह प्रदर्शित नहीं कर पाती। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पारिवारिक सदस्यों का आजाद भारत की राजनीति में ज्यादा गहरा प्रभाव है। साथ ही सक्रिय राजनीति या फिर संवैधानिक पदों पर बैठने वालों की संख्या कहीं ज्यादा है। इस पूरे प्रभाव को समझने के लिए जवाहर लाल नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू के परिवार को समझना होगा, जो दिल्ली के आखिरी कोतवाल थे।
गंगाधर नेहरू के तीन बेटे हुए, जिनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय और पहचान पाने वाले हुए मोतीलाल नेहरू। मोतीलाल नेहरू और फिर बाद में जवाहर लाल नेहरू का परिवार देश में सबसे ज्यादा ख्यातिनाम हुआ। गंगाधर नेहरू के तीन बेटे थे। बंशीधर नेहरू, नंदलाल नेहरू और मोतीलाल नेहरू। सबसे पहले जान लेते हैं कि मोतीलाल नेहरू के इकलौते बेटे और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बाद उनके परिवार में अब तक कितने लोग सांसद बन चुके हैं। इसके बाद पूरे परिवार पर नजर डालते हैं।
जवाहर लाल नेहरू के परिवार से जुड़े अब तक 10 सांसद
जवाहर लाल नेहरू के परिवार की बात करें तो उनके बाद बेटी इंदिरा गांधी और दामाद फिरोज गांधी दोनों ही चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। फिरोज-इंदिरा के बेटे संजय और राजीव गांधी दोनों ही लोकसभा सांसद रहे। राजीव और संजय गांधी की पत्नियां सोनिया और मेनका गांधी भी सांसद रह चुकी हैं। मेनका गांधी और संजय गांधी के इकलौते बेटे वरुण गांधी भी सांसद रह चुके हैं। राहुल गांधी वर्तमान में रायबरेली से सांसद हैं। अब प्रियंका गांधी परिवार की 10वीं सदस्य होंगी, जो लोकसभा पहुंची हैं।
लेकिन ये जो दस सांसदों की संख्या है, इसमें सिर्फ जवाहर लाल नेहरू का परिवार शामिल है। इन दस सांसदों में तीन लोग देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। अब यह जानना भी दिलचस्प है कि जवाहर लाल नेहरू के खानदान से कितने लोग सक्रिय या फिर किसी भी स्वरूप में प्रभावशाली राजनीतिक पद से जुड़े रहे।
नेहरू की छोटी बहन विजय लक्ष्मी रहीं गवर्नर
जवाहर लाल नेहरू से 15 साल छोटी उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित भी कई प्रभावशाली पदों पर रहीं। वह संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक साल तक अध्यक्ष रहने वाली पहली और इकलौती भारतीय महिला थीं। देश की आजादी की लड़ाई का हिस्सा रहीं विजय लक्ष्मी पंडित 1962 से 1964 तक महाराष्ट्र की गवर्नर थीं। उस वक्त पंडित नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे। संविधान सभा के लिए आज के यूपी और तबके यूनाइटेड प्रोविंस से चुनी गईं विजय लक्ष्मी पंडित 1964-1969 तक लोकसभा की सांसद भी रहीं। 1964 में उन्होंने चुनाव जवाहर लाल नेहरू के देहावसान के बाद लड़ा था। इमरजेंसी लगाने के बाद विजय लक्ष्मी पंडित इंदिरा गांधी की जबरदस्त आलोचक बन गई थीं। उन्होंने 1977 में कांग्रेस को हराने के लिए जनता पार्टी के पक्ष में प्रचार भी किया था।
विजय लक्ष्मी पंडित के पति सीताराम पंडित भी नामी वकील और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। संस्कृत भाषा के विद्वान सीताराम पंडित को आजादी से पहले यूनाइटेड प्रोविंस की विधानसभा में उन्हें भी विधायक नियुक्त किया गया था। सीताराम 11 भाषाएं बोल सकने में सक्षम थे। 1944 में चौथी बार अंग्रेजों द्वारा जेल भेजे जाने के बाद सीताराम पंडित की मृत्यु हुई थी। जेल से छूटने के कुछ ही दिनों के बाद उनकी मृत्यु हुई थी।
विजय लक्ष्मी और सीताराम पंडित की बेटी मशहूर लेखिका नयनतारा सहगल हैं। नयनतारा ने जवाहर लाल नेहरू की बायोग्राफी भी लिखी है। नयनतारा सहगल की पहली शादी बिजनेसमैन गौतम सहगल से हुई थी और दूसरी शादी एडवर्ड निर्मल मंगत राय से। एडवर्ड मूल रूप से हिंदू खत्री परिवार से ताल्लुक रखते थे जिसने धर्म परिवर्तन कर लिया था। पेशे से सिविल सर्वेंट एडवर्ड कई अहम पदों पर रहे। इसमें पंजाब और जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी के पद से लेकर पेट्रोलियम मिनिस्ट्री में स्पेशल सेक्रेटरी के पद शामिल हैं। चंडीगढ़ को डिजाइन करने में भी अडवर्ड का अहम योगदान रहा है।
नेहरू की सबसे छोटी बहन कृष्णा जिनके पति ने किया सी. राजगोपालाचारी का सपोर्ट
नेहरू की सबसे छोटी बहन थीं कृष्णा। कष्णा का विवाह गुजरात के जैन परिवार में हुआ था। उनके पति का नाम गुणोत्तम हथीसिंह था। पति-पत्नी दोनों स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और कई बार जेल गए। कष्णा ने कभी सीधे रूप से आजाद भारत की राजनीति में हिस्सा नहीं लिया। गुणोत्तम हथीसिंह 1950 के दशक के अंत में नेहरू के आलोचक हो गए थे और सी. राजगोपालाचारी की स्वतंत्रता पार्टी का सपोर्ट किया था।
कृष्णा के बारे में दिलचस्प बात ये है कि 1958 में उन्होंने इजरायल की तीन दिवसीय यात्रा की थी। इजरायल के पितामह कहे जाने वाले डेविड बिन गुरियोन के साथ उनकी तस्वीरें गूगल सर्च करने पर आसानी से मिल सकती हैं। इस मुलाकात का भारत-इजरायल संबंधों में बेहद अहम योगदान रहा है। इस यात्रा के दौरान कृष्णा ने यिगाल आलोन के साथ मुलाकात की थी जिन्होंने Israel-India Friendship League की स्थापना की थी।
दरअसल उस वक्त भारत और इजरायल के बीच सीधे राजनयिक संबंध नहीं थे और इस संस्था के जरिए दोनों देशों के संबंधों को नजदीक लाने की कोशिश हो रही थी। कृष्णा ने अपनी, अपने भाई जवाहर लाल और भतीजी इंदिरा की जिंदगी से जुड़ी किताब भी लिखी। किताबें हैं- We Nehrus, With No Regrets- An Autobiography, and Dear to Behold: An Intimate Portrait of Indira Gandhi. कृष्णा के बेटे अजित गुणोत्तम हथीसिंह भारतीय मूल के अमेरिकी व्यावसायी थे।
मोतीलाल नेहरू भाइयों के परिवार जो देश की राजनीति का अहम हिस्सा रहे
ऊपर की कहानी जवाहर लाल नेहरू और उनकी बहनों के परिवारों से जुड़ी थी। अब बात करते हैं मोतीलाल नेहरू के भाइयों के परिवार की जो राजनीति में रहे या फिर अहम पदों पर रहे। मोती लाल नेहरू के बड़े भाई नंदलाल नेहरू के बेटे बृजलाल नेहरू भी अंग्रेजों के जमाने के सिविल सर्वेंट थे। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले बृजलाल ब्रिटिश सरकार में अहम पद पर रहे। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने महाराजा हरि सिंह के राज्य में वित्त मंत्री के रूप में काम किया। उनकी पत्नी रामेश्वरी रैना सामाजिक कार्यकर्ता थीं और महिला अधिकारों के लिए काम किया। बृजलाल और रामेश्वरी रैना के बेटे बृज कुमार नेहरू भी सिविल सर्वेंट थे। वह 1961 से लेकर 1968 तक अमेरिका में भारत के राजदूत थे। बृजलाल को यह जिम्मेदारी उस दौर में दी गई थी जब दुनिया शीत युद्ध के दौर से गुजर रही थी।
बृज कुमार देश के कई राज्यों के गवर्नर रहे। इसमें मणिपुर, त्रिपुरा, नगालैंड, असम, जम्मू-कश्मीर और गुजरात शामिल हैं। रिश्ते में चचेरे भाई लगने वाले बृज कुमार को एक बार इंदिरा गांधी की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा था। दरअसल बृज कुमार ने उस वक्त जम्मू-कश्मीर की फारूक अब्दुल्ला सरकार को अस्थिर करने में इंदिरा गांधी की मदद करने से मना कर दिया था। वो कश्मीर के गवर्नर थे। रातोंरात उनका ट्रांसफर जम्मू-कश्मीर से गुजरात कर दिया गया था। बृजलाल ने हंगरी मूल की फोरी नेहरू से शादी थी जो 1952 मे ऑल इंडिया हैंडीक्राफ्ट्स बोर्ड की सदस्य बनाई गई थीं। इस बोर्ड का गठन टेक्सटाइस मंत्रालय को सलाह देने के लिए बनाया गया था।
जवाहर लाल नेहरू के एक और चचेरे भाई शाम लाल नेहरू की पत्नी उमा नेहरू भी उत्तर प्रदेश की सीतापुर लोकसभा सीट से दो बार लोकसभा सांसद रहीं। 1962 में वह राज्यसभा सांसद बनाई गई थीं। उमा की मौत के बाद उनकी बेटी श्याम कुमारी खान 1963 से 1968 तक राज्यसभा सांसद रहीं।
नंदलाल नेहरू के पड़पोते अरुण नेहरू भी देश में अहम जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। वो राजीव गांधी सरकार में मंत्री थे। रायबरेली से वो दो बार लोकसभा सांसद रहे। उसी रायबरेली सीट जहां से इस वक्त राहुल गांधी सांसद हैं और इससे पहले उनकी मां सोनिया गांधी सांसद थीं। नेहरू परिवार से जुड़े RK नेहरू 1952 से 1955 तक देश के विदेश सचिव रहे। 1960-1963 तक जब वो विदेश सचिव रहे उसी वक्त में भारत और चीन का युद्ध हुआ था।
कमला नेहरू के भाई का परिवार
यही नहीं जवाहर लाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू के भाई बॉटनिस्ट कैलाश नाथ कौल ने भी अहम योगदान दिया। उन्होंने लखनऊ स्थित National Botanical Research Institute की स्थापना की थी। कैलाशनाथ नेहरू की पत्नी शीला कौल लखनऊ और रायबरेली से सांसद थीं। देश में दो बार केंद्रीय मंत्री रहीं। हिमाचल प्रदेश की गवर्नर रहीं। शीला कौल की बेटी दीपा कौल भी यूपी में विधायक रह चुकी हैं और राज्य सरकार में मंत्री के पद पर भी थीं। इसके अलावा 1961-62 में देश के आर्मी चीफ रहे प्राण नाथ थापर भी जवाहर लाल नेहरू के दूर के रिश्तेदार थे। उन्होंने चीन के हाथों मिली हार के बाद इस्तीफा दे दिया था। बाद में उन्हें अफगानिस्तान में भारत का एंबेस्डर बना दिया गया था। इस पद पर वह करीब पांच साल तक रहे। प्राणनाथ थापर की भतीजी मशहूर इतिहासकार रोमिला थापर हैं। प्राणनाथ के बेटे करण थापर जानेमाने पत्रकार हैं।
सिर्फ इतने लोग ही नहीं
नेहरू खानदान से जुड़े जिन लोगों के बारे में ऊपर जानकारी दी गई है, वह सिर्फ उन लोगों तक शामिल है जो राजनीति या फिर विदेश सेवा और समाजसेवा में प्रभावशाली पदों पर रहे। इसके अलावा भी कई लोग ऐसे हैं जो कला, सिनेमा, बिजनेस जैसे क्षेत्रों में बड़ी जगहों पर रहे। सक्रिय राजनीति की बात करें तो अब प्रियंका गांधी नेहरू खानदान की सबसे नई सदस्य हैं जो संसद में पहुंच गई हैं। हालांकि प्रियंका कांग्रेस संगठन में बड़े पद पर काम करती रही हैं। पार्टी ज्वाइन करने से पहले भी वह सोनिया गांधी और राहुल गांधी के चुनाव प्रचार का हिस्सा बनती रही हैं। संसद में एंट्री की उन्हें शुभकामनाएं।