Ram Mandir Inauguration: लोकसभा चुनाव में 'राम भक्त' कराएंगे BJP की नैया पार?

Ram Mandir Inauguration: बीजेपी को उम्मीद है कि आगामी लोकसभा चुनाव में राम मंदिर की लहर और रोमांच से उसे 50% से ज्यादा वोट शेयर और 400 पार सीटों का टारगेट हासिल करने में मदद मिलेगी। अगर ऐसा हो जाता है, तो मौजूदा सत्ताधारी पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का 1984 का रिकॉर्ड तोड़ने में कामयाब हो जाएगी

अपडेटेड Jan 04, 2024 पर 5:54 PM
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Ram Mandir Inauguration: लोकसभा चुनाव में 'राम भक्त' कराएंगे BJP की नैया पार?

Ram Mandir Inauguration: 22 जनवरी को अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों को लेकर पूरे देश में काफी हलचल मची है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और इनसे जुड़े तमाम संगठन देशभर में कलश यात्रा का आयोजन कर रहे हैं। इतना ही नहीं 25 जनवरी से 25 मार्च तक बीजेपी कैडर ऐसा लोगों की पहचान करेगा, जो रामलला के दर्शन करना चाहते हैं, ताकि ऐसे लोगों की अयोध्या पहुंचने में मदद की जा सके।

बीजेपी को उम्मीद है कि आगामी लोकसभा चुनाव में राम मंदिर की लहर और रोमांच से उसे 50% से ज्यादा वोट शेयर और 400 पार सीटों का टारगेट हासिल करने में मदद मिलेगी। अगर ऐसा हो जाता है, तो मौजूदा सत्ताधारी पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का 1984 का रिकॉर्ड तोड़ने में कामयाब हो जाएगी।

अब सवाल ये उठता है कि क्या वाकई राम मंदिर का उद्घाटन से बीजेपी को चुनावी लाभ मिल सकता है? इसका जवाब खोजने के लिए हमें कुछ प्वाइंट्स को बड़ी ही बारीकी से जानना और समझना होगा।


वैचारिक रूप से एकजुट मतदाता

आलोचकों का तर्क है कि इस मुद्दा बड़े पैमाने पर पार्टी के कट्टर, वैचारिक रूप से जुड़े समर्थकों पर जबरदस्त असर है, जिन्होंने वैसे भी BJP को वोट दिया होगा। उनका दावा है कि इससे तटस्थ यानि न्यूट्रल, स्विंग और विपक्षी मतदाताओं पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। इसलिए ये 2024 में बीजेपी के वोट शेयर में बढ़ोतरी नहीं कर पाएगा जैसा कि वो अनुमान लगा रही है।

राम मंदिर का निर्माण, धारा 370 को निरस्त करना और समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करना BJP, उसके मूल भारतीय जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लंबे समय से चले आ रहे वैचारिक लक्ष्य रहे हैं।

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जैसे ही पार्टी अपने लंबे समय से अधूरे पड़े वादों में से किसी एक को पूरा करती है, तो इससे उसके उत्साह से भरे पक्के समर्थक और वोट बैंक में बढ़ोतरी हो सकती है। इससे बीजेपी को अपने कुल वोटों और वोट शेयर में जोड़कर अपने पारंपरिक मतदाताओं के बीच समर्थन मजबूत करने में मदद मिलेगी।

अविभाजित हिंदू वोट थ्योरी के अनुसार, अगर BJP हिंदू समुदाय के आधे वोट पाने में कामयाब हो जाती है, तो ये नेशनल लेवल पर 40 प्रतिशत वोट शेयर में बदल जाता है, क्योंकि हिंदू आबादी का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा है।

1952 के बाद से क्षेत्रीय दलों की तरफ से कुल मिलाकर औसतन 49 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करने वाले मल्टी पार्टी सिस्टम में, 40 प्रतिशत वोट शेयर का मतलब है कि BJP कभी भी कोई चुनाव नहीं हारेगी।

हिंदी हार्टलैंड को बरकरार रखना

उद्घाटन के कारण उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्य में ज्यादा वोट और सीटें मिलने की संभावना है। अकेला इसी राज्य से लोकसभा में 80 सांसद जाते हैं। 2019 में बीजेपी की 9 सीटें घटकर 62 रह गईं। हालांकि, पार्टी अब इन खोई हुई सीटों को वापस पा सकती है।

राम मंदिर प्रभाव से पार्टी को 2019 में हिंदी पट्टी में जीती गई ज्यादातर सीटें बरकरार रखने में मदद मिलेगी, जिससे ज्यादा से ज्यादा होने वाले नुकसान को बेअसर किया जा सकेगा।

सबसे आखिर में ये ही कि धर्मपरायणता और उत्सव के माहौल के बीच तटस्थ मतदाता, जो न इस पक्ष के, न उस पक्षी के वोटर हैं, उन पर सकारात्मक असर से इनकार नहीं किया जा सकता है। ये BJP को अपने कई "तटस्थ" मतदाताओं को बनाए रखने में मदद करेगा।

ये लेख अमिताभ तिवारी का है, जो एक पूर्व कॉर्पोरेट और निवेश बैंकर से राजनीतिक रणनीतिकार और टिप्पणीकार बने हैं। ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं और Moneycontrol Hindi की वेबसाइट या मैनेजमैंट से उसका कोई संबंधन नहीं है।

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