दक्षिण भारत के 5 बड़े राज्यों- कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु की प्रति व्यक्ति आय 1991 में राष्ट्रीय औसत से कम थी। हालांकि, उदारीकरण की शुरुआत के बाद से इन पांच राज्यों में जबरदस्त ग्रोथ देखने को मिली है। बहरहाल, ये सभी राज्य प्रति व्यक्ति की आय के लिहाज से सबसे अमीर राज्यों की सूची में नहीं हैं। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (PMEAC) की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से भारत के सबसे 5 अमीर राज्यों में दिल्ली, तेलंगाना, कर्नाटक, हरियाणा और तमिलनाडु शामिल हैं।
यहां प्रति व्यक्ति आय को राष्ट्रीय औसत के प्रतिशत के तौर पर देखा जाना चाहिए। वित्त वर्ष 2024 के दौरान भारत के कुल जीडीपी में दक्षिण भारत के 5 राज्यों की हिस्सेदारी तकरीबन 30 पर्सेंट रही। दिलचस्प बात यह है कि सबसे अमीर राज्यों की सूची में तेलंगाना भी शामिल है, जो 2 जून 2924 को आंध्र प्रदेश से अलग हुआ था।
देश के कुल जीडीपी में सबसे बड़ा योगदान महाराष्ट्र का है, लेकिन पिछले दशक में इसकी हिस्सेदारी में अपेक्षाकृत गिरावट हुई है। तकरीबन 15 साल पहले भारत के कुल जीडीपी में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 15% थी, जो अब 13.3 पर्सेंट है। हालांकि, यह राज्य प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश के टॉप 5 राज्यों की सूची में शामिल नहीं है।
भारत के जीडीपी में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी घटकर 9.5 पर्सेंट हो गई है, जो 1960-61 में 14 पर्सेंट थी। बिहार देश में आबादी के मामले में तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। इसके बावजूद देश के जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी महज 4.3 पर्सेंट है। पंजाब को 1960 के दशक में हरित क्रांति का जबरदस्त फायदा मिला। राज्य की प्रति व्यक्ति आय में राष्ट्रीय आय के मुकाबले 119.6 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई, जबकि 1971 में यह आंकड़ा 169 पर्सेंट था। प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से सबसे गरीब राज्यों में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मणिपुर और असम शामिल हैं।