Ayodhya Ram Mandir Inauguration: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हो चुका है। भारत सहित पूरी दुनिया राममय हो चुकी है। लेकिन अयोध्या से लगभग 25 किलोमीटर दूर धन्नीपुर गांव में मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम समुदाय को मिले पांच एकड़ जमीन पर एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ है। यह वही जमीन है, जिसे श्रीराम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद (Babri Mosque) पर अपना फैसला सुनाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में धवस्त बाबरी मस्जिद के स्थान पर मस्जिद बनाने के लिए यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को आवंटित की थी।
शीर्ष अदालत के ऐतिहासिक फैसले के 5 साल बाद आज यानी 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा के लिए लाखों श्रद्धालु अयोध्या में एकत्रित हो गए हैं। वहीं, मुस्लिम समुदाय का प्रस्तावित मस्जिद का निर्माण अभी तक शुरू भी नहीं हुआ है। अब तक सिर्फ मस्जिद की नींव रखी गई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन इस साल मई से अयोध्या में एक भव्य मस्जिद का निर्माण शुरू करेगा। इसे पूरा होने में तीन-चार साल लगने की संभावना है। यह जानकारी राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद सोमवार को सामने आई है।
मस्जिद परियोजना की देखरेख कर रहे इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) के प्रमुख हाजी अरफात शेख ने कहा कि नियोजित मस्जिद के लिए धन जुटाने के लिए एक क्राउड-फंडिंग वेबसाइट स्थापित किए जाने की संभावना है। मस्जिद का नाम पैगंबर मुहम्मद के नाम पर "मस्जिद मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह" रखा जाएगा।
शेख ने कहा, "हमारा प्रयास लोगों के बीच दुश्मनी, नफरत को खत्म करना और एक-दूसरे के प्रति प्यार में बदलना है...चाहे आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करें या न करें।" उन्होंने कहा, "अगर हम अपने बच्चों और लोगों को अच्छी बातें सिखाएं तो यह सारी लड़ाई बंद हो जाएगी।"
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2019 में कहा था कि 1992 में बाबरी मस्जिद का विध्वंस गैरकानूनी था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि बाबरी मस्जिद के नीचे एक गैर-इस्लामिक संरचना थी। इसी आधार पर फैसला सुनाया कि विवादित भूमि पर एक मंदिर बनाया जाएगा और मस्जिद के निर्माण के लिए मुस्लिम पक्ष को जमीन का एक टुकड़ा प्रदान किया जाएगा।
IICF के अध्यक्ष जुफर अहमद फारूकी ने कहा कि संस्था ने फंड के लिए किसी से संपर्क नहीं किया है। उन्होंने कहा, "हमने किसी से संपर्क नहीं किया था...इसके (फंड) लिए कोई सार्वजनिक आंदोलन नहीं था।" IICF के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि मस्जिद के निर्माण में देरी हुई है क्योंकि वे डिजाइन में और अधिक पारंपरिक तत्व जोड़ना चाहते थे। मस्जिद परिसर में 500 बेड का अस्पताल भी बनाया जाएगा।