Ram Mandir: रामलला को देख किसी के निकाले आंसू, तो कोई हाथ जोड़े खड़ा रहा... राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का एक-एक पल लोगों ने जिया
Ram Mandir Ayodhya: बहुत से लोग राम लला की मूर्ति के सामने आते ही अपने टेलीविजन पर पुष्प वर्षा करने लगे। उस अनुपम छटा को देखकर कुछ रो रहे थे, तो कुछ भाव में डूबे थे। प्राण प्रतिष्ठा समारोह पूरा होते ही देशभर के मठ मंदिर 'सीता राम, सीता राम और जय श्री राम' के नारों से गूंजने लगे। गूंज रहे वैदिक मंत्रों के बीच जब नीलवर्णी भगवान राम तमाम आभूषणों और फूल मालाओं से लदे दुनिया के सामने आए, तो करोड़ों लोगों के सिर अपने आराध्य के चरणों में झुक गए
Ram Mandir Ayodhya: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर में 'प्राण प्रतिष्ठा' अनुष्ठान के दौरान राम लला की मूर्ति के सामने पूजा की (PHOTO-PTI)
Ram Mandir Ayodhya: 'बरनत छवि जहं तहं सब लोगू। अवसि देखिए देखन जोगू।' लगभग 500 साल के बाद भगवान राम लला एक बार फिर भव्य मंदिर में विराजमान हुए। ठीक उसी गर्भगृह में जहां पर लोगों का विश्वास है कि राम लला का जन्म वहीं हुआ था। जिस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और दूसरे उपस्थित यजमानों ने भगवान राम की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा किया, तब पूरा देश भगवान की जय-जय से गूंज उठा और ये एक ऐसा इतिहास बन गया, जिसे लोग सदियों तक याद करेंगे। एक ऐसा भव्य मंदिर जिसे लोग हमेशा देखने आते रहेंगे। ऐसी घटना, जो केवल इतिहास ही नहीं पुराणों में भी दर्ज हो गई। इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साक्षी न केवल वहां मौजूद 6000 विशिष्ट अतिथि थे, बल्कि पूरी दुनिया ने इसे अपनी आंखों से देखा। बेहद अद्भुत दृश्य था, अवर्णीय था।
इस समारोह का एक-एक पल लोगों ने जिया। बहुत से श्रद्धालुओं के आंखों में आंसू थे। लोग भाव से भरे हुए थे। 84 सेकंड के सबसे महत्वपूर्ण मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा समारोह पूरा हुआ। गूंज रहे वैदिक मंत्रों के बीच जब नीलवर्णी भगवान राम तमाम आभूषणों और फूल मालाओं से लदे दुनिया के सामने आए, तो करोड़ों लोगों के सिर अपने आराध्य के चरणों में झुक गए।
अनुपम छटा को देक भाव में डूबे लोग
बहुत से लोग राम लला की मूर्ति के सामने आते ही अपने टेलीविजन पर पुष्प वर्षा करने लगे। उस अनुपम छटा को देखकर कुछ रो रहे थे, तो कुछ भाव में डूबे थे। प्राण प्रतिष्ठा समारोह पूरा होते ही देशभर के मठ मंदिर 'सीता राम, सीता राम और जय श्री राम' के नारों से गूंजने लगे।
वायु सेना के जहाज पूरे राम मंदिर परिसर और श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा कर रहे थे। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में गर्भगृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सरसंघचालक मोहन भागवत और वे पुजारी भी मौजूद थे, जिन्होंने प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अनुष्ठान को पूर्ण करवाया।
महत्वपूर्ण बात यह रही की सद्भावना की बात की गई, सामान्य की बात की गई और कहा गया कि राम एकता के प्रतीक हैं। रघुपति राघव राजा राम की धुन भी बज रही थी। साथ ही एक बड़ा संदेश भी दिया गया, जो केवल भारत के लिए, बल्कि उन लोगों के लिए भी था, जो मंदिर में भी विभाजन ढूंढते हैं। न सिर्फ नरेंद्र मोदी बल्कि सरसंघचालक मोहन भागवत और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उस धारा को बहाया, जो सभी को एकता की तरफ ले जाती है। राम मंदिर स्थल पर रघुपति राघव राजा राम भजन गूंज रहा था और राम राज्य का संकल्प बार-बार दोहराया गया।
भगवान राम के हाथों में सोने का धनुष-बाण है। माथे पर चांदी और लाल तिलक सुशोभित है। नील वर्णी है, बहुत ही सुंदर, बहुत ही मोहक पहले ही नजर में चित्त को हर लेने वाले। पीली धोती धारण किए हुए। राम मंदिर फूलों से सजा हुआ था और उनकी नगरी अयोध्या भी उतनी ही सुंदर लग रही है। जब भगवान राम की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा समारोह हो गया और आरती हो गई, तब प्रधानमंत्री ने राम लला को साष्टांग प्रणाम किया और लगातार मंत्र जाप करते रहे।
अलौकिक छटा बिखेर रही थी अयोध्या नगरी
भगवान राम जब पुष्पक विमान से लंका से अयोध्या लौटे थे, तब उन्होंने कहा था- "जद्यपि सब बैकुंठ बखाना। बेद पुरान बिदित जगु जाना।। अवधपुरी सम प्रिय नहिं सोऊ। यह प्रसंग जानइ कोउ कोऊ।। इसका अर्थ है कि लोग बैकुंठ का बखान करते हैं, उसकी सुंदरता का वर्णन करते हैं, लेकिन अयोध्या से प्रिय मुझे वो भी नहीं है।'
अयोध्या नगरी आज अलौकिक छटा बिखेर रही थी। बहुत ही सुंदर लग रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर यह कहकर सभी वर्गों का समारोह बताया। उन्होंने कहा, "आज का ये अवसर उत्सव का क्षण तो है ही, लेकिन इसके साथ ही ये क्षण भारतीय समाज की परिपक्वता के बोध का भी क्षण है। हमारे लिए ये अवसर सिर्फ विजय का नहीं, बल्कि विनय का भी है। वो भी एक समय था, जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना, तो आग लग जाएगी। ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता को नहीं जान पाए। रामलला के इस मंदिर का निर्माण भारतीय समाज के शांति, धैर्य, आपसी सद्भाव और समन्वय का भी प्रतीक है। ये निर्माण किसी आग को नहीं बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा "मैं आज उन लोगों से आह्वान करूंगा, आइए आप महसूस कीजिए अपनी सोच पर पुनर्विचार कीजिए। राम आग नहीं है, राम ऊर्जा है। राम विवाद नहीं, राम समाधान है। राम सिर्फ हमारे नहीं, राम तो सबके हैं।"
फूलों से सजी अयोध्या में सुबह से विशेष गणमान्य लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। देश के कई संत, उद्योगपति, फिल्मे सितारों समेत कई महत्वपूर्ण लोग उपस्थित थे। प्रसिद्ध संत रामभद्राचार्य , बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र शास्त्री, योग गुरु रामदेव जी उनके शिष्य बालकृष्ण, उद्योगपति मुकेश अंबानी उनकी पत्नी नीता अंबानी, गौतम अदाणी, अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके बेटे अभिषेक बच्चन, रजनीकांत और कई बड़े फिल्मी कलाकार भी समारोह में मौजूद रहे। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देव गौड़ा, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व-उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और बड़ी संख्या में दूसरे नेता भी शामिल हुए।
नरेंद्र मोदी का विमान सुबह करीब 10.50 पर महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड किया और उसके बाद वह सीधे राम जन्मभूमि मंदिर पहुंचे और धीरे-धीरे मोदी गर्भगृह की तरफ बढ़े। प्रधानमंत्री ने पूजा के लिए हिदू संस्कृति के अनुसार पीत वर्णी परिधान पहन रखा था। फिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह शुरू हुआ।
जिस मूर्ति की पूजा प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में हो रही थी, वो वही मूर्ति थी, जो 1949 में बाबरी मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे प्रकट हुई थी या स्थापित की गई थी। सरसंघचालक मोहन भागवत और सीएम योगी भी प्रधानमंत्री के बराबर में बैठे थे।
मनोहारी रामलला की मूर्ति के मूर्तिकार, अरुण योगीराज इस दौरान काफी अभिभूत थे। उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले कहा, "मुझे लगता है कि मैं अब पृथ्वी पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं। मेरे पूर्वजों, परिवार के सदस्यों और भगवान राम लला का आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहा है। कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि मैं सपनों की दुनिया में हूं।"
प्रधानमंत्री ने राम मंदिर में पूजा के बाद कुबेर टीला जाकर जटायु की मूर्ति का अनावरण किया और भगवान शिव की आराधना की। रावण जब माता सीता को हरण कर लंका ले जा रहा था, तब जटायु ने ही सीता जी को छुड़ाने का प्रयास किया था। प्रधानमंत्री ने भगवान राम को चांदी का छत्र चढ़ाया और मंदिर बनाने वाले वर्कर्स के ऊपर फूल बरसाए।