RBI MPC meeting: देश की जानीमानी अर्थशास्त्री डीबीएस की राधिका राव का कहना है कि आरबीआई की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी ब्याज दरों में कटौती के पहले देश में महंगाई के ट्रेंड पर नजर रखते हुए वेट एंड वॉच मोड में रहेगी। ब्याज दरों में संभवत: साल 2024 में शुरुआत में कटौती देखने को मिल सकती है। मनीकंट्रोल के दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने आगे कहा कि इकोनॉमी में रिकवरी के अच्छे संकेत ने भी नीतियों में तुरंत किसी बदलाव की संभावना को कम कर दिया है।
इकोनॉमी में रिकवरी जारी रहने की उम्मीद
डीबीएस ग्रुप रिसर्च की वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने मनीकंट्रोल से हुई इस बातचीत में आगे कहा कि हाल के दिनों में महंगाई की दर में कुछ गिरावट आई है। पिछले वित्त वर्ष में ग्रोथ की दर भी काफी अच्छी रही है। ऐसे में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत की इकोनॉमी में रिकवरी जारी रहने की उम्मीद बनी हुई है।
रेपो रेट लगातार दूसरी बार 6.5 फीसदी पर बरकार रहने का अनुमान
गौरतलब है कि RBI एमपीसी की 3 दिवसीय मीटिंग 8 जून को खत्म होगी। बाजार का अनुमान है कि आरबीआई रेपो रेट को लगातार दूसरी बार 6.5 फीसदी पर बरकार रखेगा। यह भी बता दें कि एमपीसी ने महंगाई की नकेल कसने की अपनी कवायद के तहत मई 2022 से अब तक रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट या 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी की है। तमाम अर्थशास्त्रियों का कहना है कि तमाम ग्लोबल चुनौतियों के चलते देश में ग्रोथ की दर धीमी पड़ने की संभावना दिख रही है। ऐसे में आरबीआई अक्टूबर महीने से ब्याज दरों में कटौती करता नजर आ सकता है।
राधिका राव का कहना है कि भारत में कंपनियों के बही खाते में अच्छा सुधार देखने को मिला है। ऐसे में अब आगे हमें प्राइवेट कंपनियों द्वारा अपनी क्षमता विस्तार में बड़ा निवेश होता दिख सकता है।
महंगाई दर जल्द ही आरबीआई के 2-6 फीसदी के टारगेट रेंज के मध्य में आएगी
इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि खुदरा महंगाई दर सितंबर 2022 तक लगातार तीन तिमाहियों में 2-6 फीसदी के आरबीआई के टारगेट से ज्यादा रही। इसकी अहम वजह दुनिया में चल रहा जियो पोलिटिकल तनाव, खराब मौसम, सप्लाई चेन में आई दिक्कत और महामारी रही। इनकी वजह से कमोडिटी की कीमतों में तेज रैली देखने को मिली। लेकिन अब ये परेशानियां काफी हद तक खत्म हो गई हैं। ऐसे में खुदरा महंगाई दर जल्द ही आरबीआई के 2-6 फीसदी के टारगेट रेंज के मध्य की ओर लौटती दिख सकती है।