टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा ने गुरुवार को ज्यूरिख में डायमंड लीग फाइनल में पहला स्थान हासिल कर एक बार फिर इतिहास रच दिया। भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने 88.44 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ डायमंड लीग ट्रॉफी अपने नाम कर लिया है। नीरज यह खिताब जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं। इससे पहले 2017 और 2018 में नीरज ने फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था, लेकिन तब वह टॉप 5 से भी बाहर रहे थे। हालांकि, इस बार नीरज ने इतिहास रच दिया है।
डायमंड लीग के फाइनल में चेक गणराज्य के जैकब वाडलेच 86.94 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ दूसरे, जबकि जर्मनी के जूलियन वेबर (83.73) तीसरे स्थान पर रहे। नीरज 2021 में टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड, 2018 में एशियाई खेलों का गोल्ड, 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों का गोल्ड और 2022 में विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप का रजत पदक जीत चुके हैं। उनकी ख्वाहिश डायमंड ट्रॉफी जीतने की थी, जो अब पूरी हो गई है।
24 वर्षीय नीरज बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में चोट के कारण हिस्सा नहीं ले पाए थे, लेकिन चोट के बाद उन्होंने दमदार वापसी की और ज्यूरिख में डायमंड लीग फाइनल्स का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। 2010 में शुरू हुए इस लीग के 13वें एडिशन में नीरज ऐसा करने वाले पहले भारतीय एथलीट भी बन गए हैं।
हालांकि, नीजर की डायमंड लीग फाइनल में शुरुआत अच्छी नहीं रही थी। फाइनल का आगाज उन्होंने फाउल के साथ किया था और वह लिस्ट में सबसे नीचे थे। हालांकि, अगले ही प्रयास में उन्होंने 88.44 मीटर दूर भाला फेंक पहला स्थान हासिल किया। नीजर ने इसके बाद तीसरे प्रयास में 88.00 मीटर, चौथे प्रयास में 86.11 मीटर, पांचवें में 87.00 मीटर और छठे प्रयास में 83.60 मीटर दूर भाला फेंका।
राष्ट्रमंडल खेलों में नहीं ले पाए थे हिस्सा
जुलाई में अमेरिका में विश्व चैंपियनशिप में रजत जीतने के दौरान उनकी ग्रोइन में मामूली चोट लगी थी, जिसके कारण वह बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों (28 जुलाई से 8 अगस्त) में हिस्सा नहीं ले पाए थे। 24 वर्षीय भारतीय सुपरस्टार ने वापसी के तुरंत बाद फॉर्म हासिल करते हुए 26 जुलाई को लुसाने में अपने पहले ही प्रयास में भाले को 89.08 मीटर तक फेंककर खिताब अपने नाम किया था। उन पर चोट का कोई असर नहीं दिख रहा था और उन्होंने अपने करियर का तीसरा सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया।
हरियाणा में पानीपत के पास खंडरा गांव के इस युवा खिलाड़ी ने चोट के कारण एक महीने तक बाहर रहने के बाद जोरदार वापसी करते हुए डाइमंड लीग सीरीज का लुसाने चरण जीतकर दो दिवसीय फाइनल्स के लिए क्वालीफाई किया था। वह लुसाने में डाइमंड लीग का खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने थे।