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'मनु स्टार है और मैं एक बेरोजगार' ओलिंपिक मेडल जीतने के बाद मनु भाकर के कोच जसपाल राणा ने क्यों कहा ऐसा?

Paris Olympics 2024: मनु भाकर ने पेरिस ओलिंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल में ब्रॉन्ज मेडल जीता और सरबजोत सिंह के साथ मिलकर उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स टीम स्पर्धा में भारत को दूसरा ब्रॉन्ज दिलाया। पेरिस से 275 किलोमीटर दूर चेटेउरौक्स में मनु की जीत पर राणा सबसे ज्यादा भावुक हैं

अपडेटेड Jul 30, 2024 पर 6:40 PM
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पेरिस ओलिंपिक में मेडल जीतने के बाद मनु भाकर के कोच जसपाल राणा ने क्यों कहा ऐसा?

जसपाल राणा जानते हैं कि एक ओलंपियन बनना क्या होता है। 1996 में अटलांटा में, उन्होंने दो इवेंट में भाग लिया। राणा को उस ओलिंपिक में 10 मीटर और 50 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के मुताबिक ढलना पड़ा। वह 50 मीटर में 45 की लिस्ट में आखिरी नंबर पर रहे, और 10 मीटर में 29वें स्थान पर रहे। हाईएस्ट लेवल पर मार्जिन इतना कम था कि वो फाइनल में जगह बनाने से केवल सात अंक पीछे रहे गए, उनका टोटल स्कोर- 574/600 था।

तब से जसपाल राणा में ओलिंपिक में वापस नहीं आए। उन्हें शूटिंग छोड़े हुए लंबा समय हो चुका था, लेकिन ये उनका मार्गदर्शन था कि मनु भाकर ने खेल प्रति अपनी प्यार को जगाया। राणा की कोचिंग में मनु आज किसी आम टीनएजर से कहीं ज्यादा हट कर हैं।

मुझे बस मनु की मदद करनी थी: जसपाल राणा


मनु भाकर (Manu Bhakar) ने पेरिस ओलिंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल में ब्रॉन्ज मेडल जीता और सरबजोत सिंह के साथ मिलकर उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स टीम स्पर्धा में भारत को दूसरा ब्रॉन्ज दिलाया।

पेरिस से 275 किलोमीटर दूर चेटेउरौक्स में मनु की जीत पर राणा सबसे ज्यादा भावुक हैं। वे कहते हैं, "मुझे बस मनु की मदद करनी थी, वो मेरे पास आई था।"

उन्होंने कहा, “यह एक चुनौती थी, जिसे मैंने देश के लिए स्वीकार किया। अगर मैं एक शूटर की मदद कर सकता हूं, तो यह मेरा कर्तव्य और सम्मान है। यह मेडल भारत के लिए है।”

नेशनल कोच नहीं थे, फिर भी दी मनु को ट्रेनिंग

पिछले कुछ साल राणा के लिए काफी मुश्किल रहे हैं। वह मनु को निजी तौर पर ट्रेनिंग देते थे, जबकि वे नेशनल कोच के ग्रुप का हिस्सा भी नहीं हैं। यहां तक ​​कि राणा का ओलिंपिक खेलों में आना भी एक कठिन परीक्षा थी। हालांकि, आखिरकार सभी को ये समझ आ गया कि कॉर्नर में राणा के खड़े होने से मनु और भी बेहतर शूटिंग करेंगी।

राणा ने कहा, "जब मुझे IOA से यह ओलंपिक एक्रिडेशन कार्ड मिला, तो पीटी उषा मैडम और कप्तान अजय नारंग को धन्यवाद, मैं खुश था। मैं उनका आभारी हूं, लेकिन मैं जानता हूं कि उसके बाद भी मुझे किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा।”

जब खराब हो गई थी मनु की पिस्टल

तीन साल पहले टोक्यो में मनु की पिस्टल में खराबी आ गई थी और वो फाइनल में जगह बनाने से चूक गई थीं। तब कारण कोई भी रहा हो, लेकिन इस सब में राणा को ही खलनायक की तरह देखा गया।

अपनी इस इमेज को फिर से सही करने के लिए उन्होंने खूब संघर्ष किया है। अब तो उन पर जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ गई, क्योंकि उनकी शिष्या एक बार फिर इंटरनेशनल लेवल पर खेल रही थीं।

उन्होंने कहा, “जिन लोगों ने मुझे गालियां दीं, टोक्यो के बाद मुझे खलनायक बना दिया, वो भी तब, जब मैं वहां मौजूद भी नहीं था, वे अब मुझसे इंटरव्यू चाहते हैं। कोई बात नहीं, मैंने इंटरव्यू दिया, लेकिन क्या ये लोग बड़े पैमाने पर मेरे जीवन को जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई पाएंगे?”

मनु स्टार हैं, मैं सिर्फ एक बेरोजगार कोच

उनका भविष्य अनिश्चित बना हुआ है। बिना किसी हिचकिचाहट के उन्होंने कहा, "मनु स्टार हैं, मैं सिर्फ एक बेरोजगार कोच हूं।"

वे कहते हैं, "मैं कोई नहीं हूं। मनु ने मुझसे उसकी मदद करने के लिए कहकर मुझे प्रासंगिक बना दिया। मुझे जल्द ही नौकरी ढूंढनी होगी। ये तीन साल मेरे लिए बहुत मुश्किल रहे। मैं इस बारे में कभी बात नहीं करना चाहता था, लेकिन आप मेरी कहानी चाहते थे, इसलिए सुनिए।

राणा ने आगे कहा, “मुझे नहीं पता कि मेरी जिंदगी में क्या होने वाला है, मैं भारत लौटने तक इंतजार करूंगा। जब तक मनु अपने आखिरी दो मैच खत्म नहीं कर लेती, मैं वहीं रहूंगा। सिर्फ इसलिए कि आपने मुझसे पूछा, मैं यह सब कह रहा हूं। मुझे नौकरी की जरूरत है, तीन साल तक बेरोजगार रहना दुखदायी है।”

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