Wrestlers Protest: दिल्ली के जंतर-मंतर से हटाए जाने और पुलिस कार्रवाई से नाराज पहलवान मंगलवार को अपने सभी मेडल गंगा में बहाने के लिए हरिद्वार (Haridwar) पहुंचे। गनिमत रही कि किसान नेता नरेश टिकैत (Naresh Tikait) भी मौके पर पहुंचे और पहलवानों को मना लिया। उन्होंने पहलवानों को मेडल गंगा में बहाने से रोका और पांच दिन का समय मांगा। देश के शीर्ष पहलवानों (Wrestlers) ने ऐलान किया था कि वे कड़ी मेहनत से जीते अपने मेडल (Medal) गंगा (Ganga) नदी में फेंक देंगे और इंडिया गेट (India Gate) पर ‘आमरण अनशन’ पर बैठेंगे। दो दिन पहले ही जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे इन पहलवानों को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया था और धरना स्थल से इनके सामान भी जब्त कर लिया था।
किसान नेता नरेश टिकैत का कहना है कि उन्होंने हस्तक्षेप किया और प्रदर्शनकारी पहलवानों से पांच दिन का समय मांगते हुए अपने मेडल विसर्जित नहीं करने को कहा। उन्होंने कहा, "बड़ी मेहनत से उन्होंने (पहलवानों) ये मेडल जीते हैं। वे हमारी बेटियां हैं उनके साथ अन्याय हो रहा है। एक आदमी को बचाने के लिए पूरी भारत सरकार लगी है। कल खाप पंचायत की बैठक होगी। 5 दिन के अंदर निर्णय लिए जाएंगे"
रियो ओलंपिक 2016 की ब्रॉन्ज मेडल विजेता साक्षी मलिक ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक बयान में कहा कि पहलवान मंगलवार को शाम छह बजे अपने-अपने मेडल को पवित्र नदी में विसर्जित करने के लिए हरिद्वार जाएंगे।
साक्षी ने बयान में कहा, "मेडल हमारी जान हैं, हमारी आत्मा हैं। हम इन्हें गंगा में बहाने जा रहे हैं। इनके गंगा में बहने के बाद हमारे जीने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा, इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे।"
साक्षी की साथी पहलवान विनेश फोगाट ने भी इस बयान को शेयर किया। मंगलवार को हरिद्वार में गंगा दशहरा है और ये ऐसा दिन है, जब बड़ी संख्या में लोग वहां पूजा करने आएंगे।
रविवार को दिल्ली पुलिस ने साक्षी के साथ विश्व चैंपियनशिप की कांस्य विजेता विनेश फोगाट और एक और ओलंपिक मेडल विजेता बजरंग पूनिया को हिरासत में लिया और बाद में उनके खिलाफ कानून और व्यवस्था के उल्लंघन के लिए FIR दर्ज की।
जंतर-मंतर पर ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप के पदक विजेताओं को दिल्ली पुलिस ने जबरदस्ती बस में डाला, जब रविवार को पहलवानों और उनके सामर्थकों ने सुरक्षा घेरा तोड़कर महिला ‘महापंचायत’ (Mahila Mahapanchayat) के लिए नए संसद भवन की ओर बढ़ने की कोशिश की।
पहलवानों को नए संसद भवन की ओर बढ़ने की अनुमति नहीं थी। इसी दिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को इसका उद्घाटन करना था और पुलिस ने जब पहलानों और उनके समर्थकों को रोका तो उनके बीच धक्का-मुक्की भी हुई।
विरोध करने वाले पहलवानों और उनके समर्थकों को राष्ट्रीय राजधानी में अलग-अलग जगहों पर ले जाया गया और बाद में रिहा कर दिया गया।
पहलवानों को बसों में डालने के बाद पुलिस अधिकारियों ने धरना स्थल पर मौजूद चारपाई, गद्दे, कूलर, पंखे और तिरपाल की छत समेत बाकी सभी सामान को हटा दिया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि वह पहलवानों को प्रदर्शन स्थल दोबारा आने की स्वीकृति नहीं देगी।
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं पहलवान?
दरअसल पहलवानों ने इस महीने की शुरुआत में अपना विरोध प्रदर्शन दोबारा शुरू कर दिया था, जो पहले जनवरी में शुरू हुआ था। मुद्दा कुश्ती महासंघ यानि WFI प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों का था, जिसके कारण बजरंग पुनिया, विनेश फोगट और बाकी पहलवान जंतर-मंतर पर विरोध स्थल पर लौट आए। पहलवानों ने मांग की कि सरकार दावों की जांच करने वाले पैनल के नतीजों को सार्वजनिक करे।
साक्षी मलिक और रवि दहिया सहित पहलवानों ने जनवरी में इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ मैराथन बातचीत के बाद अपना तीन दिन का धरना खत्म कर दिया था। इसी कड़ी में महान मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यों की एक निगरानी समिति बनाने की घोषणा की गई थी, जिसे इन आरोपों की जांच का जिम्मा सौंपा गया था।