संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि भारत अपनी आजादी के बाद से ही आतंकवाद की चुनौती झेल रहा है, क्योंकि उसका पड़ोसी देश वैश्विक आतंकवाद का गढ़ बना हुआ है। दशकों से कई बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकी हमलों के पीछे वही देश रहा है और संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में उसके नागरिकों के नाम दर्ज हैं। जयशंकर ने कहा कि सीमा पार आतंक का ताज़ा उदाहरण इस साल अप्रैल में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या है। भारत ने आतंकवाद से अपने नागरिकों की रक्षा करने के अधिकार का इस्तेमाल किया और इसके जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया।
#WATCH | At the 80th session of UNGA, EAM Dr S Jaishankar says, "An objective report card will show that the UN is in a state of crisis. When peace is under threat from conflicts, when development is derailed by lack of resources, when human rights are violated by terrorism, the… pic.twitter.com/ejfblj3ldJ
— ANI (@ANI) September 27, 2025
भारत अपने अधिकारों की रक्षा के लिए मजबूत
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि, अपने अधिकारों की रक्षा करने के साथ हमें खतरों का भी मजबूती से सामना करना होगा। आतंकवाद से लड़ना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है, क्योंकि इसमें कट्टरता, हिंसा, असहिष्णुता और डर – सब एक साथ जुड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपनी आज़ादी के बाद से ही इस चुनौती का सामना कर रहा है, क्योंकि उसका पड़ोसी देश वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बना हुआ है। दशकों से कई बड़े आतंकी हमलों का ज़िम्मेदार वही देश रहा है और संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में उसके नागरिकों के नाम भरे पड़े हैं।
आतंकवाद के फंडिंग पर लगे रोक
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद एक साझा खतरा है, इसलिए इसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग और मजबूत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कोई देश खुलेआम आतंकवाद को अपनी सरकारी नीति बना ले, जब आतंकी ठिकाने बड़े पैमाने पर चलाए जाएं और आतंकवादियों का सार्वजनिक रूप से सम्मान किया जाए, तो ऐसी हरकतों की सख्त निंदा होनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के लिए फंडिंग पर रोक लगनी चाहिए और बड़े आतंकवादियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए। पूरे आतंकवादी ढांचे पर लगातार दबाव बनाए रखना जरूरी है। जयशंकर ने चेतावनी दी कि जो देश आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों का समर्थन करेंगे, उन्हें अंततः इसका नुकसान खुद ही झेलना पड़ेगा।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, "परिषद की स्थायी और अस्थायी, दोनों सदस्यता का विस्तार किया जाना चाहिए। एक सुधारित परिषद को वास्तव में प्रतिनिधित्वपूर्ण होना चाहिए। भारत अधिक जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार है।"
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