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₹500 करोड़ के साइबर फ्रॉड रैकेट का भंडाफोड़, एक्सिस बैंक के कर्मचारियों समेत 16 गिरफ्तार

Cyber fraud racket: राजस्थान पुलिस ने अलवर में 500 करोड़ रुपये के साइबर फ्रॉड रैकेट का खुलासा किया। इसमें Axis Bank के 4 कर्मचारियों समेत 16 लोग गिरफ्तार हुए। यह गैंग फर्जी म्यूल अकाउंट्स बनाकर देशभर में ठगी के पैसों को घुमाता था। जानिए डिटेल।

अपडेटेड Sep 28, 2025 पर 9:36 PM
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साइबर फ्रॉड की दुनिया में 'म्यूल अकाउंट्स' सबसे अहम हथियार माने जाते हैं।

राजस्थान पुलिस ने अलवर में एक बड़े साइबर फ्रॉड रैकेट का भंडाफोड़ किया है। यह गैंग 'म्यूल अकाउंट्स' बेचकर साइबर अपराधियों को मदद करता था। यह अपराधियों की ठगी वाली रकम को देशभर में घुमाने और खपाने का काम करता था। समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को पुलिस ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें Axis Bank के 4 कर्मचारी भी शामिल हैं। अलवर के एसपी सुधीर चौधरी के मुताबिक, इस केस में अब तक कुल 16 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।

पुलिस को क्या-क्या मिला

पुलिस ने छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में सबूत और सामान बरामद किया। इनमें शामिल हैं:

  • 26 एटीएम कार्ड
  • 33 मोबाइल फोन
  • 34 सिम कार्ड
  • 2.5 लाख रुपये नकद
  • चेकबुक, पासबुक और दो कारें


जांच में सामने आया कि यह रैकेट वॉट्सऐप और टेलीग्राम ग्रुप्स के जरिए सैकड़ों करंट और कॉरपोरेट अकाउंट्स साइबर अपराधियों को बेचता था। ये अकाउंट फर्जी डॉक्यूमेंट से खोले जाते थे। बाद में इन्हें नए मोबाइल नंबर और APK फाइल्स से जोड़ दिया जाता था। इससे साइबर अपराधियों को सीधे इंटरनेट बैंकिंग तक पहुंच मिल जाती थी। इन अकाउंट्स का इस्तेमाल ऑनलाइन बेटिंग, गेमिंग स्कैम और क्रिप्टो लेन-देन से कमाए गए पैसे को घुमाने और छुपाने के लिए किया जाता था।

मास्टरमाइंड और Axis Bank से कनेक्शन

गिरफ्तार आरोपियों में दो मुख्य नाम सामने आए हैं। वरुण पटवा (40), मूल रूप से उदयपुर का रहने वाला और फिलहाल गुरुग्राम में रह रहा था। वहीं, सतीश कुमार जाट (35), हिसार, हरियाणा का रहने वाला है। पुलिस ने Axis Bank के 4 कर्मचारियों को भी पकड़ा है।

  • साहिल अग्रवाल (33)
  • गुलशन पंजाबी (33)
  • आसू शर्मा (23)
  • अंचल जाट (24)

पुलिस का कहना है कि ये बैंक कर्मचारी फर्जी कागजों के आधार पर नकली करंट अकाउंट खोलते थे और फिर इन्हें बिचौलियों को देते थे। इसके बाद ये बिचौलिए इन्हें साइबर अपराधियों को बेच देते थे।

रैकेट का पैमाना

पुलिस जांच के मुताबिक यह कोई साधारण फ्रॉड नहीं था, बल्कि बड़े स्तर पर चल रहा ऑपरेशन था।

  • इन म्यूल अकाउंट्स से 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन हुआ।
  • 4,000 से ज्यादा शिकायतें नेशनल साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर दर्ज हैं।
  • अब तक 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी सीधे इस रैकेट से जुड़ी पाई गई है।

म्यूल अकाउंट्स क्यों होते हैं खतरनाक

साइबर फ्रॉड की दुनिया में 'म्यूल अकाउंट्स' सबसे अहम हथियार माने जाते हैं। ये अकाउंट चोरी हुए पैसों को अस्थायी तौर पर इधर-उधर करने का काम करते हैं। इससे असली अपराधी तक पहुंचना बेहद मुश्किल हो जाता है। जब बैंक के कर्मचारी ही इन्हें बनाने में मदद करने लगें, तो ठगों के पास बड़े पैमाने पर स्कैम चलाने का पूरा नेटवर्क तैयार हो जाता है।

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