किसी भी जगह पहचान पत्र में फिंगरप्रिंट सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। उंगुलियों के पोरों पर मौजूद ये बारीक निशान किसी अपराधी को पकड़ने में भी महत्वपूर्ण हैं। लेकिन क्या हो अगर किसी के पास ये पहचान यानी फिंगरप्रिंट ही न हों। दुनिया में ऐसे इक्का-दुक्का अनोखे मामले आ चुके हैं। इन लोगों की अंगुलियों पर कोई निशान है। जिससे इन्हें पहचान पत्र के लिए कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यह एड्रमेटोग्लीफिया (Adermatoglyphia) जेनेटिक बीमारी है। इसका पहला केस साल 2007 में सामने आया था। इसके बाद बांग्लादेश में एक ऐसा ही मामला सामने आया था।
साल 2007 में इस रोग से पीड़ित स्विटजरलैंड मूल की महिला अमेरिका में आने की कोशिश कर रही थी। उसका चेहरा पासपोर्ट से मिल रहा था, लेकिन कस्टम अधिकारियों को फिंगरप्रिंट समझने में दिक्कत आ रही थी। इसकी वजह ये थी कि उसके फिंगर प्रिंट नहीं थे।
अंगुलियों पर कोई निशान नहीं
इसी तरह बांग्लादेश के उत्तरी जिला है राजशाही। यहां ऐसे ही एक परिवार के सदस्य हैं। जिनके फिंगर प्रिंट नहीं है। इस खानदान में एक-दो नहीं, बल्कि परिवार के कई सदस्यों के साथ ऐसा है। पुराने जमाने में पहचान-पत्र के लिए फिंगरप्रिंट लेने का नियम नहीं था। लिहाजा परिवार को इस तरह की समस्यों का सामना नहीं करना पड़ा था। लेकिन अब इस परिवार के सदस्यों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। किसी के पास मोबाइल फोन नहीं है और न ही कोई पक्का पहचान पत्र है। जब इस परिवार के सदस्य सरकारी दफ्तर पहुंचे तो लोग हैरान हो गए। उन लोगों की उंगुलियों में फिंगरप्रिंट के निशान नहीं थे। बाद में उन्हें बिना फिंगरप्रिंट के आधिकारिक तौर पर जारी कर दिया है। लेकिन उसमें लिख दिया गया कि फिंगरप्रिंट नहीं हैं।
यह एक एक रेयर जेनेटिक बीमारी है। गलुलियों पर बारीक लकीरें नहीं होतीं हैं। जिसमें अंगलियों पर बारीक लकीरें नही होती हैं। भ्रूण के विकास के दौरान ही उसका फिंगरप्रिंट तैयार हो जाता है। फिंगरप्रिंट यानी अंगुलियों पर लकीरों का खास पैटर्न, जो गोलाकार भी हो सकता है, नुकीला भी या कोई दूसरा पैटर्न भी हो सकता है। इसे डर्मैटोग्लिफ कहते हैं। इनके न होने को एड्रमेटोग्लीफिया कहा गया है।
फिंगरप्रिंट किन्हीं दो लोगों में कभी भी एकसामन नहीं होते। सबके फिंगरप्रिंट और आंखों की पुतलियां अलग होती हैं। यही कारण है कि इनसे पहचान पत्र तैयार किया जाता है। इसी वजह से अपराधियों को पकड़ने में भी फिंगरप्रिंट अहम भूमिका निभाते हैं। फिंगरप्रिंट मिटाना आसान काम नहीं है। इसके लिए त्वचा की कई परतें हटाई जाती हैं, जो कि बेहद तकलीफदेह है। इसके बाद भी पक्का नहीं कि स्किन की नई परत बनने पर उसमें रिजेस न दिखाई दें।