कभी जमाना था जब पड़ोसी भी घर के सदस्य की तरह रहते थे। अब ऐसा जमाना आ गया है कि घर के सदस्य भी पड़ोसी की तरह रहने लगे हैं। जिस भारतीय संस्कृति में बच्चों को बुढ़ापे की लाठी कहा जाता था। वही लाठी बुढ़ापे का सहारा नहीं माता-पिता को तकलीफ पहुंचाने का काम करने लगे हैं। एक ऐसी ही घटना बिहार के समस्तीपुर में सामने आई है। 88 साल के बूढ़े रामानंद शर्मा के तीन बेटे हैं। लेकिन सभी पिता से मुंह मोड़ चुके हैं। ऐसे में अब इस उम्र में 88 साल के बूढ़े पिता को अपनी जिंदगी गुजारने के लिए सड़क पर चाय बेचकर काटनी पड़ रही है।