जब भी आप बीमार पड़ते हैं तो अपने इलाज के लिए डॉक्टर के पास जरूर जाते हैं। डॉक्टर आपका इलाज करने के बाद आपको कुछ दवाईयां प्रिस्क्राइब करते हैं। हालांकि, डॉक्टरों की ओर से लिखे गए प्रिस्क्रिप्शन पर लिखा है, यह समझ पाना बेहद मुश्किल काम है। बहुत से लोग हैं, जिनकी शिकायत रहती है कि आखिर डॉक्टरों की हैंड राइटिंग खराब क्यो रहती है। उनके लिखे पर्चे समझ से बाहर होते हैं। कोई कितना भी पढ़ा लिखा क्यों न हो, अगर वो मेडिकल सेक्टर से जुड़ा नहीं है। तब ऐसी स्थिति में डॉक्टर की लिखावट को समझ पाना उसके बस से बाहर है। आये जानते हैं आखिर डॉक्टरों की हैंड राइटिंग क्यों खराब रहती है?
एक सर्वे के मुताबिक, दुनिया भर में करीब 7000 लोगों की मौत इस वजह से हो जाती है कि वो समझ ही नहीं पाते हैं कि डॉक्टर्स ने उन्हें क्या लिखकर दिया है। इस बात का भी खुलासा हो चुका है कि कई बार मेडिकल शॉप वाले भी डॉक्टर की लिखावट समझ नहीं पाते है। ऐसी स्थिति में वो गलत दवाएं दे देते हैं। साथ ही दवा कब और कितनी बार लेनी है, ये भी जिस स्टाइल से लिखा जाता है, उसे कम लोग ही समझ पाते हैं।
हड़बड़ी में लिखने पर लिखावट खराब
डॉक्टरों के पास हर दिन बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। उनके पास इतना टाइम नहीं होता कि वह हर मरीज को पूरा समय दे पाएं। आराम से उससे बातें करते हुए उसका पर्चा तैयार करें। हकीकत ये है कि ज्यादातर डॉक्टर हड़बड़ी में रहते हैं। इसकी वजह ये है कि उन्हें एक निश्चित समय में बहुत सारे मरीजों को अटेंड करना होता है। लिहाजा कम समय और हड़बड़ी की वजह से भी डॉक्टरों की लिखावट खराब हो इसके अलावा उनके हाथों की मांसपेशियां भी थक जाती हैं। ऐसे में कम समय में हड़बड़ी के कारण उनकी लिखावट अक्सर खराब होती है।
डॉक्टर्स जो भी दवाई लिखते हैं। उसका एक मेडिकल टर्म होता है। ये मेडिकल टर्म उस बीमारी से जुड़ा हुआ होता है। वहीं कई मेडिकल टर्म के स्पेलिंग इतनी लंबी और बोझिल होती हैं कि वो हर किसी को स्पेलिंग के साथ याद नहीं हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर्स इस तरीके से लिखते हैं कि उसका नाम गलत होने पर भी आप समझ नहीं पाते हैं। लेकिन कोड की वजह से मेडिकल स्टोर वाला समझ जाता है।
आपने गौर किया होगा कि डॉक्टर्स लगातार एक मरीज के बाद दूसरे मरीज को देखते हैं। डॉक्टर्स जब लगातार कई घंटों तक मरीजों की दवाईयां लिखते हैं, तो उनके हाथ मसल्स थक जाते हैं। ये भी एक कारण है कि डॉक्टर्स की राइटिंग काफी खराब होती है।
मेडिकल जार्गन (शब्दावली) है जिम्मेदार
डॉक्टरों का मेडिकल जार्गन यानी शब्दावली भी डॉक्टरों की खराब लिखावट के लिए जिम्मेदार है। जरा सोचिए epididymitis नाम की कोई बीमारी हो, जिसे बिना स्पेलिंग चेक किए हुए लिखना पड़े तो आप सोच में पड़ जाएंगे। इसी तरह कई मेडिकल टर्म्स हैं। जिन्हें अगर डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन पर लिखना शुरू करें तो मरीज भी कन्फ्यूज हो जाएगा। लिहाजा डॉक्टरों की लिखाई भले ही आपको समझ न आए लेकिन केमिस्ट को समझ में आ जाती है।