दिल्ली से सटे गाजियाबाद में पुलिस ने 31 साल पुराने अपहरण के झूठे दावे का पर्दाफाश किया है। आरोपी का असली नाम इंद्रराज है, जो राजस्थान के गंगानगर जिले का रहने वाला है। पुलिस जांच में पता चला कि इंद्रराज ने अब तक 9 परिवारों को धोखा दिया है। वह खुद को इन परिवारों का भाई, बेटा या रिश्तेदार बताकर उनके साथ रहने लगा था। इंद्रराज मेहनत किए बिना पैसा कमाने के लिए शॉर्टकट अपनाता था। वह उन परिवारों को निशाना बनाता था, जो अपने बिछड़े हुए सदस्यों की तलाश में थे। इनकी भावनाओं का फायदा उठाकर वह उनके घर में शरण लेता और कुछ महीने बाद कैश व गहने चुराकर भाग जाता।
वह चोरी के मामले में पहले भी जेल जा चुका है। हाल ही में वह एक परिवार के साथ दूर के रिश्तेदार के रूप में रह रहा था और फिर कैस और गहनों के साथ फरार हो गया। पुलिस उसकी तलाश कर रही थी, तभी जांच में उसकी असलियत सामने आ गई।
DCP निमिष पाटिल ने बताया कि इंद्रराज उर्फ राजू बिना काम किए अपनी जरूरतें पूरी करना चाहता था, इसलिए उसने धोखाधड़ी का रास्ता चुना। पुलिस हिरासत में सख्ती से पूछताछ करने पर उसने अपने सारे राज खोल दिए। पुलिस ने उसके खुलासों की पुष्टि के लिए अलग-अलग राज्यों में जांच की और उसके शातिर दिमाग का पर्दाफाश किया।साल 2021 में, वह राजस्थान के हनुमानगढ़ में अपने दूर के रिश्तेदार हेतराम के घर ठहरा था। तीन महीने बाद वह कैश और गहने लेकर भाग गया, जिसकी शिकायत हेतराम ने पुलिस में दर्ज कराई थी। उसकी इन्हीं हरकतों से परेशान होकर उसके असली पिता ने उसे घर से बेदखल कर दिया था।
गाजियाबाद में इंद्रराज ने पुलिस को 30 साल पुराने अपने अपहरण की कहानी सुनाई। पुलिस ने सोशल मीडिया पर उसके परिजनों को खोजने के लिए पोस्ट डाली, जिसके बाद तुलाराम नामक व्यक्ति ने उसे अपना रिश्तेदार बताया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद तुलाराम को उस पर शक हुआ और उन्होंने पुलिस को सूचना दी।सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर देहरादून के एक व्यक्ति ने भी उसे पहचानते हुए बताया कि वह उनके यहां भी बेटा बनकर रह चुका है। पुलिस ने जब DNA टेस्ट की बात कही, तो इंद्रराज ने खुद ही अपने झूठ को स्वीकार कर लिया।