ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) भारत में चीते की रफ्तार से बढ़ रहा है। यह कई देशों में फैल चुका है। चीन से शुरू हुआ संक्रमण यूएस-मलेशिया के बाद अब भारत में भी पहुंच गया है। भारत में सबसे पहले कर्नाटक में संक्रमण का पहला मामला रिपोर्ट किया गया। 24 घंटे के भीतर ही ये तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र में भी पहुंच गया। जिस गति से एचएमपीवी बढ़ रहा है उसने लोगों को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या कोरोना के बाद अब एचएमपीवी के कारण एक बार फिर से हालात बिगड़ने वाले हैं? हालांकि जानकारों का कहना है कि HMPV वायरस कोरोना से बड़ा है, लेकिन कोरोना के मुकाबले घातक नहीं है।
दरअसल, खांसने और छींकने से HMPV वायरस के फैलने का खतरा अधिक है। वायरस का असर ज्यादा होने पर इससे ब्रोंकाइटिस और निमोनिया भी हो सकता है। कहा जा रहा है कि चीन इससे निपटने के लिए एक निगरानी सिस्टम की टेस्टिंग भी कर रहा है। CDC के मुताबिक इसके लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना और गले में घरघराहट शामिल हैं। यही लक्षण कोरोना वायरस में भी नजर आते हैं।
HMPV वायरस कोरोना के मुकाबले कितना घातक है?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में HMPV वायरस पहले से ही मौजूद है। इस वायरस का आकार कोरोना से बड़ा है। लेकिन खतरे के मामले में यह उससे काफी कम है। कोरोना के वायरस का साइज 90 है। वहीं HMPV वायरस का साइज 130 नैनो मीटर है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके बचाव के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। कोरोना का आकार छोटा होने के कारण हवा में दूर तक जा सकते हैं। लेकिन HMPV वायरस के साथ ऐसा नहीं है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है। घातक नहीं होने की वजह से लॉकडाउन के आसार बिल्कुल भी नहीं है। इससे सांस की नली और फेफड़ा प्रभावित हो सकता है। अभी तक इसकी वैक्सीन नहीं आई है।
साल 2021 में हुई थी पहली बार पहचान
HMPV वायरस की पहचान पहली बार 2001 में हुई थी। एक डच शोधकर्ता ने सांस की बीमारी से जूझ रहे बच्चों के सैंपल में इस वायरस का पता लगाया था। हालांकि, ये वायरस पिछले 6 दशकों से मौजूद है। ये वायरस सभी तरह के मौसम में वातावरण में मौजूद होता है, लेकिन इसके सबसे ज्यादा फैलने का खतरा सर्दियों में होता है।