Holi 2024: मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर में खेलें अनोखी होली, लड्डू और लट्ठ की होती है बारिश

Holi in Dwarkadhish Temple, Mathura: ब्रज में 40 दिन तक होली के अलग अलग रंग दिखाई देते हैं। ब्रज में बसंत पंचमी से शुरू हुए होली उत्सव की धूम बरसाना, नंदगांव के बाद मथुरा के विश्व प्रसिद्ध द्वारिकाधीश मंदिर में होली के कई रूप में दिखाई दे रहे हैं। हर साल देश-विदेश से लाखों लोग मथुरा होली खेलने जाते हैं

अपडेटेड Feb 28, 2024 पर 2:53 PM
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Holi in Dwarkadhish Temple, Mathura: मथुरा में होली का उत्सव बसंत पंचमी से शुरू हो जाता है।

Holi 2024: ब्रज की होली कई मायनों में अलग है। यहां होली अन्य शहरों की तरह एक-दो दिन नहीं, बल्कि डेढ़-दो माह तक मनाई जाती है। दरअसल, ब्रज में होली से जुड़ी परंपराएं बसंत पंचमी के दिन से ही शुरू हो जाता है। ब्रज मंडल में विशेषकर मथुरा की होली मशहूर है। हर साल मथुरा वृंदावन में मनाई जाने वाली होली के रंग दुनिया भर में छाए हुए हैं। देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग हर साल यहां होली मनाने के लिए पहुंचते हैं। मथुरा के विश्व प्रसिद्ध द्वारिकाधीश मंदिर की होली बेहद अनोखी है।

ब्रज के मंदिरों में सुबह भगवान कृष्ण को अबीर गुलाल लगाने की परंपरा भी शुरू हो चुकी है। ब्रज भूमि में अभी से चारों तरफ होली की रौनक देखने को मिल रही है। मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर में पिचकारी में टेशू के फूलों को भरकर रंगों की बौछार भक्‍तों पर की गई। बड़ी संख्या में लोग होली के रंगो में रंगने के लिए इस मंदिर में पंहुचे।

श्री द्वारकाधीश मंदिर में रंगोत्‍सव


मथुरा के श्री द्वारकाधीश मंदिर में होली के इस मौसम में भक्‍त रंग, अबीर और गुलाल से सराबोर हैं। बलदेव (दाऊजी) के मंदिर प्रांगण में भगवान बलदाऊ और रेवती मैया के श्रीविग्रह के समक्ष बलदेव का प्रसिद्ध हुरंगा खेला जाता है। हुरंगा के लिए 2.4 क्विंटल केसरिया रंग मिलाकर टेसू के 10 क्विंटल फूलों से रंग तैयार किया गया। टेसू का रंग पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से तैयार किया जाता है। इसमें केसर, चूना, फिटकरी मिलाकर शुद्ध रंग बनाया जाता है। वृंदावन में रहने वाली विधवाएं भगवान कृष्‍ण को संरक्षक मान वहां जीवन ब‍िताती हैं। होली पर उनके जीवन में केसरिया हो जाता है।

क्यों होती है ब्रज की होली इतनी खास?

ब्रज को कान्हा की नगरी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार द्वापरयुग में भगवान कृष्ण ने राधा रानी और गोपियों ने इन्हीं जगहों पर होली खेली थी। इन सब में से लट्ठमार होली को सबसे ज्यादा खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा यहां छड़ीमार, लड्डू और फूलों वाली होली मनाई जाती है। होली के पहले प्रेम का प्रतीक माना जाता है। राधा-कृष्ण होली खेलते हुए जगत को प्रेम का पाठ पढ़ाते हैं। ब्रज की होली को लेकर एक बात कही जाती है जगत होली ब्रज होरा।

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First Published: Feb 28, 2024 2:24 PM

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