Indian Railways: भारतीय रेल को देश की लाइफ लाइन कहा जाता है। वजह यह है कि हमारे देश में तकरीबन 15,000 से ज्यादा ट्रेनें चलती हैं। जिसमें देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा रोजाना सफर करता है। ट्रेन में यात्रा के दौरान रेलवे प्लेटफार्म से लेकर चलती ट्रेन में यात्रियों से टिकट के बारे में पूछताछ करने के लिए रेलवे अपने कर्मचारियों को नियुक्त किया जाता है। जिन्हें TTE या TC कहते हैं। आमतौर पर लोग TTE और TC को एक ही समझ लेते हैं। जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं। दोनों के काम अलग-अलग होते हैं।
TTE और TC दोनों ही रेलवे के कमर्शियल डिपार्टमेंट से आते हैं। लेकिन इन दोनों लोगों के काम अलग-अलग होते हैं। आज हम आपको इसी बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि TTE और TC में क्या फर्क होता है। इनके अधिकार क्या-क्या होते हैं।
जब भी ट्रेन में यात्रा के दौरान जो रेलवे कर्मचारी यात्रियों की टिकट चेक करते हैं। उन्हें TTE कहा जाता है। इसका फुल फॉर्म ट्रैवल टिकट एग्जामिनर (Travel Ticket Examiner) होता है। रेलवे के इस कर्मचारी को प्रीमियम ट्रेन से लेकर मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्रा करने वालों के टिकट चेक करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। TTE का काम टिकट चेक करना, आईडी देखना, यात्री सही जगह बैठे हैं या नहीं, यात्रियों को सीट मिली है या नहीं या फिर यात्रियों को कोई दिक्कत तो नहीं है जैसे कामकाज देखना होता है। सीधे शब्दों में कहें तो TTE ट्रेन में यात्रा के दौरान यात्रियों का ध्यान रखते हैं और उनका मैनेजमेंट देखते हैं।
वहीं, अब बात आती है कि आखिर TC किसे कहते हैं? TTE और TC का काम लगभग एक जैसा ही है। TC भी टिकट ही चेक करते हैं, लेकिन उनका कार्य क्षेत्र अलग होता है। जिस तरह TTE ट्रेन में यात्रा के दौरान टिकट चेक करते हैं। और उसी तरह TC प्लेटफॉर्म पर टिकट चेक कर करते हैं। इनका काम ग्राउंड पर होता है। TC का फुल फॉर्म Ticket Collector होता है।
कैसे करें TTE और TC की पहचान
आपने TTE और TC के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर ली है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर कैसे पहचान करें कि इसमें TTE और TC हैं। ट्रेन के अंदर टिकटों की जांच करने वाला TTE हमेशा काले कोट पहनते हैं। उनके बैच पर साफ-साफ TTE लिखा होता है। वहीं TC रेलवे स्टेशन परिसर में प्लेटफॉर्म और स्टेशन के गेट पर तैनात रहते हैं। ये अक्सर ब्लैक पेंट और सफेद शर्ट पहने हुए नजर आते हैं।