भारतीय रेलवे को देश की लाइफ लाइन कहा जाता है। यह अपने यात्रियों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने के लिए छोटी-छोटी बातों का भी खास तौर से ध्यान रखता है। आपमें से अधिकतर ने ट्रेन में जर्नी (Train Journey) अवश्य की होगी। कई बार देखा होगा कि ट्रेन बिजली से चल रही है। इसके बावजूद जनरेटर कार लगाया जाता है। ऐसा हर ट्रेन में नहीं होता है। लेकिन कुछ ट्रेनों में जनरेटर कार लगा होता है। जनरेटर कार लगे होने के पीछे एक बड़ी वजह भी है। LHB यानी लोड जनरेशन सिस्टम कोच जिस ट्रेन में इस्तेमाल होता है। उसमें जनरेटर कार लगाया जाता है।
दरअसल, लंबी दूरी की ट्रेन में जैसे पेंट्रीकार, स्लीपर कोच, एसी कोच होता है। वैसे ही एक पूरे कोच के रूप में जनरेटर यान भी लगा रहता है। ऐसे में कई बार यात्रियों के मन सवाल उठता है कि जब ट्रेन बिजली से चलती है तो फिर इसकी क्या जरूरत है। लेकिन ट्रेन में यात्रियों के लिए जनरेटर बेहद अहम होता है।
लंबी दूरी की ट्रेन में लगे होते हैं जनरेटर
लंबी दूरी की ट्रेनों में जनरेटर कार क्यों लगाया जाता है, इस बारे में बहुत से लोगों को नहीं मालूम है। बता दें कि लंबी दूरी तय करने वाली ट्रेन या ट्रेन के एसी कोच में अधिक पावर की जरूरत रहती है। ऐसे में इसे सिर्फ इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई के भरोसे नहीं रह सकते हैं। जनरेटर से पॉवर मैनेज किया जाता है। अगर सिर्फ इलेक्ट्रिसिटी के भरोसे रहेंगे तो हर एसी कोच में एसी चलाना मुश्किल हो जाएगा। इससे भार भी काफी अधिक पड़ेगा। इसलिए जनरेटर यान होता है, जिसके जरिए हर एसी कोच में पावर सप्लाई बनाए रखा जाता है। वहीं लंबी दूरी की ट्रेनों में इंजन के नीचे बैटरी भी लगी होती है। यह हमेशा चार्ज होती रहती है। लेकिन बैटरी की ऊर्जा पर्याप्त नहीं है। लिहाजा जनरेटर यान लगाना जरूरी हो जाता है। ताकि बिजली की सप्लाई बिना किसी रुकावट के बनी रहे और एसी को आराम से चलाया जा सके।
किन ट्रेनों में होता है जनरेटर कार
जनरेटर कार शताब्दी, दुरंतो, गरीब रथ, तेजस और राजधानी जैसी ट्रेनों लगाया जाता है। ये लंबी दूरी की ट्रेनें होती है। ये ट्रेनें देश के एक छोर से दूसरे छोर का सफर तय करती हैं। ऐसी ट्रेनों में ही जनरेटर यान लगाया जाता है।
ट्रेन के बीच में लगाए जाते हैं AC कोच
ट्रेन के दोनों तरफ लगेज कोच, उसके बाद जनरल और स्लीपर कोच लगाए जाते हैं। इससे भीड़ बंट जाती है। इसलिए बीच में एसी कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों को कम भीड़ का सामना करना पड़ता है। वहीं दूसरी वजह स्टेशन में एंट्री और एग्जिट गेट आमतौर पर बीच में होते हैँ। ऐसे में AC कोच के यात्रियों को ट्रेन से उतरने के बाद इन दरवाजों तक पहुंचने में बहुत टाइम नहीं लगता। वह बगैर भीड़ से टकराए बाहर निकल जाते हैं। यही आने के समय भी होता है। उन्हें एंट्री के साथ ही अपना कोच सामने ही मिल जाता है।
जनरल डिब्बे शुरू और अंत में क्यों?
जनरल डिब्बों में बहुत अधिक भीड़ होती है। इसलिए इन्हें शुरू और अंत में कर दिया जाता है। ताकि ये भीड़ आगे और पीछे की ओर बंट जाए। स्टेशन पर जाम की स्थिति न बने। इसलिए राजधानी, शताब्दी या अन्य किसी भी फुल एसी ट्रेन में डिब्बों का अरेंजमेंट लगभग एक जैसा ही होता है।