जब आप ट्रेन से सफर करते हैं, तो स्टेशन और रेलवे लाइन से लेकर ट्रेन पर भी आपको अलग-अलग तरह के शब्द या संकेत दिखाई देते हैं। इन शब्दों या संकेतों का अपना खास मतलब होता है। जो अपने आप में कई तरह की जानकारी समेटे हुए होते हैं। यहां तक कि स्टेशन के नाम के साथ जुड़े शब्द भी किसी खास वजह से ही लगाए जाते हैं। इसी क्रम में आपने कुछ स्टेशन ऐसे भी देखे होंगे। जिनके नाम के पीछे ‘रोड’ शब्द लगा रहता है। हालांकि, उस शहर के नाम में रोड शब्द नहीं होता है। लेकिन स्टेशन के नाम के आगे रोड शब्द जरूर लिखा रहता है। जैसे माटुंगा रोड, रांची रोड, हमीरपुर रोड, हजारीबाग रोड।
रेलवे ने इन स्टेशनों के नाम के पीछे रोड शब्द का इस्तेमाल यात्रियों को एक खास जानकारी देने के लिए किया है। जिस रेलवे स्टेशन के नाम के पीछे रोड शब्द लगा है। वह शहर से दूर है। यानी आपको रोड (सड़क) से होते हुए उस शहर तक जाना होगा। ट्रेन आपको शहर से कुछ दूरी पर उतारती है।
2 से 100 किलोमीटर हो सकती है दूरी
रोड नाम वाले स्टेशन से शहर की दूरी 2-3 किलोमीटर से लेकर 100 किलोमीटर तक भी हो सकती है। जैसे वसई रोड रेलवे स्टेशन से वसई 2 किलोमीटर है। कोडाईकनाल रोड से कोडाईकनाल शहर की दूरी 79 किलोमीटर है। हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन से हजारीबाग शहर 66 किलोमीटर दूर पड़ता है। रांची रोड रेलवे स्टेशन से रांची शहर 49 किलोमीटर है। इसी तरह आबू रोड रेलवे स्टेशन से आबू 27 किलोमीटर तो जंगीपुर रोड रेलवे स्टेशन से जंगीपुर शहर 7.5 किमी की दूरी पर है। हालांकि, बहुत से ऐसे रेलवे स्टेशनों के आसपास भी अब काफी आबादी बसने लगी है। लेकिन, जिस वक्त ये रेलवे स्टेशन बने थे, तब वहां कोई नहीं बसता था।
इन्हे शहर से दूर क्यों बनाया गया है?
दरअसल, उन शहरों तक रेलवे लाइन बिछाने में कोई बड़ी अड़चन आने पर ही रेलवे स्टेशनों को इन शहरों से दूर बनाए गए हैं। जैसे माउंट आबू पहाड़ पर रेलवे लाइन बिछाने में बहुत अधिक खर्चा आता। लिहाजा आबू से 27 किलोमीटर दूर पहाड़ से नीचे ही रेलवे स्टेशन बनाया गया है।