PIB Fact-Checks: अमेरिकी वायुसेना के विमान से बुधवार (5 फरवरी) को लाए गए 104 निर्वासितों में शामिल जसपाल सिंह ने पीटीआई से बातचीत में दावा किया कि पूरी यात्रा के दौरान उन्हें (निर्वासित प्रवासियों के) हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां बांधी गईं। उनके मुताबिक अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरने के बाद ही उन्हें हटाया गया। सोशल मीडिया पर यूजर्स द्वारा शेयर की गई कई तस्वीरों में भारतीय अप्रवासियों को संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा निर्वासित किए जाने के दौरान हथकड़ी और उनके पैरों में जंजीरें दिखाई दे रही थीं।
गुरदासपुर जिले के हरदोरवाल गांव के रहने वाले 36 वर्षीय सिंह ने बताया कि 24 जनवरी को अमेरिकी सीमा पार करने के बाद उन्हें अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने पकड़ लिया था। विभिन्न राज्यों से 104 अवैध प्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार को अमृतसर उतरा। अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा वापस भेजा गया यह भारतीयों का पहला जत्था है।
सूत्रों ने बताया कि इनमें से 33-33 हरियाणा और गुजरात से, 30 पंजाब से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तथा दो चंडीगढ़ से हैं। उन्होंने बताया कि निर्वासित लोगों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल हैं, जिनमें एक चार वर्षीय लड़का और पांच व सात वर्ष की दो लड़कियां शामिल हैं। पंजाब के निर्वासित लोगों को अमृतसर एयरपोर्ट से पुलिस वाहनों में उनके मूल स्थानों तक ले जाया गया।
वायरल तस्वीरों का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, "अमेरिका से भारतीयों को हथकड़ी लगाकर और अपमानित करके निर्वासित किए जाने की तस्वीरें देखकर, एक भारतीय होने के नाते मुझे दुख होता है। मुझे दिसंबर 2013 की वह घटना याद है जब भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को अमेरिका में हथकड़ी लगाई गई थी और स्ट्रिप सर्च किया गया था। विदेश सचिव सुजाता सिंह ने अमेरिका की राजदूत नैन्सी पॉवेल के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया था।" कथित तस्वीर जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इस पर कई यूजर्स ने प्रतिक्रिया दी और भारतीयों के साथ किए जा रहे व्यवहार पर अपनी नाराजगी जाहिर की।
क्या है तस्वीर की सच्चाई?
सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही तस्वीर फर्जी है। पीआईबी ने वायरल तस्वीर की तथ्य-जांच की। PIB ने पाया कि जिन तस्वीरों में दावा किया जा रहा है कि अमेरिका द्वारा निर्वासित किए जाने के दौरान अवैध भारतीय प्रवासियों को हथकड़ी और जंजीरों में जकड़ा गया था। दरअसल, वे भारतीयों से संबंधित नहीं हैं। इसके बजाय, तस्वीरों में वे प्रवासी हैं जिन्हें 30 जनवरी को संयुक्त राज्य अमेरिका से ग्वाटेमाला निर्वासित किया गया था।
यह तस्वीर सबसे पहले 1 फरवरी को समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस द्वारा प्रकाशित की गई थी। उसमें कैप्शन लिखा था, "अमेरिकी वायु सेना का जेट विमान गुरुवार को टेक्सास से ग्वाटेमाला के लिए रवाना हुआ, जिसमें कलाई और टखने बंधे हुए प्रवासी थे, जो एक अन्य निर्वासन उड़ान में 80 निर्वासितों को लेकर आया, जो आव्रजन कानूनों को लागू करने में सशस्त्र बलों की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।"
बुधवार रात अपने गृह नगर पहुंचने के बाद जसपाल ने बताया कि एक ट्रैवल एजेंट ने उनके साथ धोखाधड़ी की है, क्योंकि उनसे वादा किया गया था कि उन्हें कानूनी तरीके से अमेरिका भेजा जाएगा। जसपाल ने कहा, "मैंने एजेंट से कहा था कि वह मुझे उचित वीजा (अमेरिका के लिए) के साथ भेजे। लेकिन उसने मुझे धोखा दिया।" उन्होंने बताया कि सौदा 30 लाख रुपए में हुआ था।
जसपाल ने दावा किया कि वह पिछले साल जुलाई में हवाई जहाज से ब्राजील पहुंचा था। उसने कहा कि वादा किया गया था कि अमेरिका की अगली यात्रा भी हवाई जहाज से ही होगी। हालांकि उसके एजेंट ने उसे "धोखा" दिया, जिसने उसे अवैध रूप से सीमा पार करने के लिए मजबूर किया। ब्राजील में छह महीने रहने के बाद वह सीमा पार कर अमेरिका चला गया, लेकिन अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
जसपाल ने बताया कि उसे वहां 11 दिनों तक हिरासत में रखा गया और फिर वापस घर भेज दिया गया। जसपाल ने कहा कि उसे नहीं पता था कि भारत भेजा जा रहा है। उसने पीटीआई से बातचीत में दावा किया, "हमने सोचा कि हमें किसी दूसरे शिविर में ले जाया जा रहा है। फिर एक पुलिस अधिकारी ने हमें बताया कि भारत ले जाया जा रहा है। हमें हथकड़ी लगाई गई और पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं। इन्हें अमृतसर हवाई अड्डे पर खोला गया।"
जसपाल ने कहा कि निर्वासन से वह टूट गए हैं। "बड़ी रकम खर्च हुई। पैसे उधार लिए गए थे।" बुधवार रात को होशियारपुर स्थित अपने गृह नगर पहुंचे दो अन्य निर्वासितों ने भी अमेरिका पहुंचने के दौरान उन्हें हुई कठिनाइयों के बारे में बताया। होशियारपुर के टाहली गांव के रहने वाले हरविंदर सिंह ने बताया कि वह पिछले साल अगस्त में अमेरिका के लिए रवाना हुए थे। उन्हें कतर, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, पनामा, निकारागुआ और फिर मैक्सिको ले जाया गया। उन्होंने बताया कि मैक्सिको से उन्हें अन्य लोगों के साथ अमेरिका ले जाया गया।