Infosys News: इंफोसिस के इस बदलाव ने छीन लिया कई ट्रेनी का सुकून, करीब 400 को घर जाने का मिला फरमान

Infosys News: हर कंपनी में एंप्लॉयीज को रखने का अपना एक क्राइटेरिया होता है। इसमें समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं। इंफोसिस में इसी बदलाव को लेकर उन ट्रेनीज का गुस्सा फूटा है जिन्हें शुक्रवार को तुरंत मैसूर कैंपस खाली करने को कहा गया। यहां तक कि उन्हें एक रात रुकने भर तक का समय नहीं दिया गया। जानिए क्या हुआ है बदलाव और ट्रेनीज की शिकायतें क्या हैं?

अपडेटेड Feb 10, 2025 पर 5:01 PM
Story continues below Advertisement
इंफोसिस से निकाले जाने के बाद सैकड़ों ट्रेनी अपने होमटाउन के लिए टैक्सी और बस की तलाश में जूझते दिखे।

Infosys News: नौकरी का जाना, बहुत दर्द देता है लेकिन अगर नौकरी के साथ-साथ जहां रह रहे हों, वह जगह भी नौकरी के साथ-साथ तुरंत छोड़ने को कहा जाए तो दर्द दोहरा हो जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी इंफोसिस के कुछ ट्रेनी एंप्लॉयीज के साथ। मध्य प्रदेश की एक महिला ट्रेनी ने 7 फरवरी को रोते हुए इंफोसिस के अधिकारियों से गुहार लगाई कि उसे रात रुकने दें क्योंकि अभी तुरंत उसे निकलने में काफी दिक्कत होगा। उसे तुरंत मैसूर कैंपस खाली करने के लिए कहा गया था। यह कहानी सिर्फ एक या दो की नहीं बल्कि करीब 400 ट्रेनी की है जिन्हें लगातार तीन बार में एवैल्यूएशन टेस्ट में फेल होने के बाद इंफोसिस ने 7 फरवरी को निकाल दिया।

महिला ट्रेनी की बात करें तो उसने जब रात रुकने को गुहार लगाई थी तो इंफोसिस के अधिकारियों ने सीधे कहा कि चूंकि अब वह कंपनी की एंप्लॉयी नहीं है तो उसे शाम 6 बजे तक कैंपस खाली करना ही होगा। इंफोसिस से निकाले जाने के बाद सैकड़ों ट्रेनी अपने होमटाउन के लिए टैक्सी और बस की तलाश में जूझते दिखे। इसमें से कई अभी करीब ढाई साल पहले ग्रेजुएशन पूरा किया था और अब कुछ ही महीने बाद इंफोसिस से बाहर हो गए। अब उनके सामने भविष्य की अनिश्चितता है और यह भी कि इसके बारे में घरवालों को कैसे बताएं।

शुक्रवार को ट्रेनीज पर गिरा कहर


7 फरवरी की सुबह करीब 50 ट्रेनी के बैचों को उनके लैपटॉप के साथ सुबह 9:30 बजे चर्चा के लिए बुलाया गया। एक दिन पहले उन्हें गोपनीय मेल मिला था जिसके बारे में किसी को नहीं बताने को कहा गया था। शुक्रवार 7 फरवरी को एक कमरे में इकट्ठा हो रहे थे, जहां बाहर सुरक्षा तैनात थी और अंदर बाउंसर थे। कैंपस से बाहर निकाले जाने वाले एक ट्रेनी ने बताया कि उस समय कैंपस में इंफोसिस के डिजिटल बैंकिंग प्लेटफॉर्म फिनैकल के एंप्लॉयीज और कुछ अमेरिकी ग्राहक भी थे। ऐसे में ट्रेनियों को लाने-जाने के लिए बसें लगाई गई थीं ताकि उनका ध्यान न जाए।

मनीकंट्रोल से बातचीत में एक ट्रेनी ने कहा कि कंपनी ने 2024 बैच के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को बहुत सख्त बना दिया था। सख्त भर्ती प्रक्रिया को लेकर कंपनी का कहना है कि उनके यहां भर्ती की प्रक्रिया काफी सख्त है जिसके तहत फ्रेशर्स को मैसूर कैंपस में ट्रेनिंग के बाद टेस्ट पास करने होते हैं और इसे पास करने के लिए तीन मौके दिए जाते हैं। इंफोसिस के मुताबिक ये बातें कॉन्ट्रैक्ट में भी है और यह प्रोसेस पिछले 20 वर्षों से चल रही है। कंपनी का कहना है कि इससे कंपनी को अपने ग्राहकों के लिए सुपर क्वालिटी के टैलेंट को रखने का रास्ता तैयार होता है।

14 फरवरी को 450 ट्रेनी देने वाले हैं तीसरा टेस्ट

ट्रेनीज का आरोप है कि ट्रेनर्स ने पहले ही एग्जाम को लेकर डरा दिया था कि इसे ऐसा डिजाइन किया गया है कि बड़ी संख्या में लोग पास होने में संघर्ष करेंगे। मनीकंट्रोल को सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक डर अभी भी बना हुआ है। 14 फरवरी को अक्टूबर 21 बैच के करीब 450 ट्रेनी जिनका चयन मुख्य रूप से सिस्टम इंजीनियर के लिए किया गया था, अपनी तीसरी कोशिश करेंगे। इसके बाद पता चलेगा कितने इस परीक्षा को पास कर पाते हैं और कितने लोगों को फिर कैंपस छोड़ना पड़ेगा।

क्या हैं ट्रेनीज की शिकायतें?

ट्रेनीज का आरोप है कि पिछले ढाई साल में फ्रेशर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम में तेजी से बदलाव हुए हैं। वर्ष 2022 में सीखने का अधिक समय दिया जाता था लेकिन अब सिलेबस बहुत बढ़ाया गया है और समय बहुत घटा दिया गया है। वर्ष 2022 में फ्रेशर्स को मुख्य रूप से दो टेस्ट- जेनेरिक और टेक्नोलॉजी स्ट्रीम से होकर गुजरना होता था। जेनेरिक फेज में दो एसेसमेंट्स थे-एफए1 जोकि जावा है और एफए2 जोकि डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS) है। एफए1 में सिर्फ एक कोडिंग प्रॉब्लम और कुछ मल्टीपल-च्वाइस क्वेश्चंस थे और एफए2 में डीबीएमएस से जुड़ी चार क्वैरीज को रन कराना होता था। ओवरऑल 50 फीसदी वाले पास माने जाते थे। जेनेरिक टेस्ट को पास करने के लिए कोई टाइम लिमिट नहीं थी और कैंडिडेट्स अपने छह महीने की ट्रेनिंग के दौरान इसे कभी भी दे सकते थे। अगर कोई इसमें फेल भी हो जाता था तो उन्हें टेक्नोलॉजी स्ट्रीम फेज में जाने की मंजूरी थी और वे लर्निंग जारी रख सकते थे। कई मामले तो ऐसे भी आए, जिसमें फेल होने वाले ट्रेनी को कंपनी ने हायरिंग की डिमांड को पूरा करने के लिए प्रमोट किया।

अब आता है साल 2024, जिसमें पूरा सिस्टम ही बदल गया। ट्रेनी के मुताबिक स्ट्रक्चर तो वही रहा-जेनेरिक और स्ट्रीम फेज लेकिन सिलेबस और पासिंग क्राइटेरिया में बड़ा बदलाव हो गया। जेनेरिक फेज में दो टेस्ट को एफ1 (जावा) और एफए2 (डीबीएमएस) नाम दिया गया। एफ1 (जावा) में अब डेटा स्ट्रक्चर्स, ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग और प्रोग्रामिंग फंडामेंटल्स हैं। अब एक कोडिंग प्रॉब्लम की बजाय कैंडिडेट को इनके लिए एक-एक यानी कि तीन कोडिंग चैलेंज सुलझाने हैं। इसके अलावा MCQs भी है। पास होने के लिए औसतन 50 फीसदी की बजाय हर सेक्शन में कम से कम 65 फीसदी लाना अनिवार्य है। एफए1 या डीबीएमएस की बात करें तो इसमें कैंडिडेट्स को चार की बजाय आठ क्वैरी रन करना है।

सूत्र का कहना है कि प्रोग्रामिंग फंडामेंटल्स का सिलेबस लगभग 120 घंटे लंबा है, जबकि डेटा स्ट्रक्चर्स का सिलेबस करीब 40 घंटे का है। कुल सिलेबस को कवर करने के लिए 200 घंटे की पढ़ाई जरूरी है। हालांकि कैंडिडेट्स को ट्रेनिंग में 9:15 बजे से 5:45 बजे तक पढ़ना होता है, और सिलेबस को कवर करने के लिए उन्हें हर दिन आठ घंटे एक्स्ट्रा भी स्टडी करनी होती है जोकि व्यावहारिक रूप से असंभव है। इसी तरह DBMS ट्रेनिंग को केवल 10 दिनों तक सीमित कर दिया गया है, जबकि इसके लिए 100 घंटे की पढ़ाई की आवश्यकता होती है।

ट्रेनीज की एक और बड़ी शिकायत ये है कि जिनकी सैलरी में बड़ा फर्क है, उनके लिए भी सिलेबस एक ही कर दिया गया है। सिस्टम इंजीनियर्स को हर महीने करीब 20 हजार मिलते हैं लेकिन उन्हें भी वही सिलेबस पढ़ना है जो करीब 70 हजार महीना पाने वाले स्पेशलिस्ट प्रोग्रामर्स पढ़ेंगे। इससे पहले सिलेबस जॉब के हिसाब से होता था। सिस्टम इंजीनियर के पेपर आसान होते थे क्योंकि यह सपोर्ट रोल होता है।

बदलावों का क्या हुआ असर?

इंफोसिस के इन बदलावों के चलते फेल होने वाले कैंडिडेट्स की संख्या तेजी से बढ़ी। 7 अक्टूबर को 930 ट्रेनी ने कंपनी ज्वाइन की और इसमें से करीब 160 ने पहली कोशिश में और दूसरी कोशिश में करीब 140 ने टेस्ट पास किया। इसके बाद 1 जनवरी 2025 तक 630 से अधिक ट्रेनी फेल हो गए। पहले फ्रेशर्स को जेनेरिक फेज के लिए तीन अटेम्प्ट दिए जाते थे और वे इसके बाद भी स्ट्रीम फेज की तरफ जा सकते थे लेकिन अब ट्रेनी को पहले जेनेरिक फेज पास करना अनिवार्य कर दिया गया है। पहले टर्मिनेशन रेट 10 फीसदी से कम था लेकिन अब यह उछलकर 30-40 फीसदी पर पहुंच गया है।

Infosys ने नौकरी से जबरन निकाले 400 ट्रेनी, म्यूचुअल सेपरेशन करा रही साइन; मोबाइल पकड़ने के लिए लगाए बाउंसर

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।