क्‍लर्क से GM बने शख्स ने कैसे गायब कर दिए 122 करोड़! न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले की असली कहानी अब पता चली

मुंबई की कोर्ट ने रविवार को न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी हितेश मेहता और धर्मेश पौन को 21 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। एक दिन पहले मुंबई पुलिस की ने बैंक में कथित अनियमितताओं के मामले में हितेश मेहता को हिरासत में लिया था

अपडेटेड Feb 16, 2025 पर 7:33 PM
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New India Cooperative Bank : कोविड के समय गायब किए 122 करोड़

New India Cooperative Bank  : मुंबई की कोर्ट ने रविवार को न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी हितेश मेहता और धर्मेश पौन को 21 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। एक दिन पहले मुंबई पुलिस की ने बैंक में कथित अनियमितताओं के मामले में हितेश मेहता को हिरासत में लिया था। उनपर बैंक से 122 करोड़ का वित्तीय जालसाजी और गबन का आरोप है। अधिकारियों के अनुसार, यह धोखाधड़ी उस समय सामने आई जब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की टीम बैंक के प्रभादेवी मुख्यालय में ऑडिट के लिए गई।

ऑडिट के दौरान पता चला कि बैंक की तिजोरी से 112 करोड़ रुपये गायब थे। इसके बाद, कर्मचारियों से पूछताछ की गई और बाद में यह भी सामने आया कि गोरेगांव शाखा से भी पैसे गायब थे। कुल मिलाकर 122 करोड़ रुपये की नकदी बैंक की तिजोरियों से गायब थी। वहीं हितेश मेहता के वकील ने कहा कि, उनका मुवक्किल निर्दोष है और यह अजीब है कि धोखाधड़ी का पता बैंक या ऑडिटरों को अब तक नहीं चला।

क्लर्क से जीएम तक का सफर 


हितेश मेहता ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में अपने करियर की शुरुआत क्लर्क के रूप में की थी। समय के साथ कई प्रमोशन के बाद वह जनरल मैनेजर बन गया। उसे दादर और गोरेगांव ब्रांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अकाउंट हेड होने के कारण वह बैंक के कैश को संभालता था। जब आरबीआई ने जांच की, तो पता चला कि बैंक के प्रभादेवी कार्यालय की तिजोरी से 112 करोड़ रुपये गायब थे, और गोरेगांव कार्यालय की तिजोरी से 10 करोड़ रुपये गायब थे। आपको बता दें कि हितेश के अकाउंट हेड होने की वजह से उसके पास बैंक का कैश संभालने की जिम्मेदारी है, इसके अलावा उसके पास GST और TDS देखने का और पूरा अकाउंट देखने की जिम्मेदारी थी।

122 करोड़ का गबन 

जानकारी के मुकाबिक हितेश मेहता ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि, उसने बैंक की तिजोरियों से 122 करोड़ रुपये निकाल लिए थे और इसे अपने जानने वालों को दे दिया था। उसने यह भी कहा कि वह कोविड महामारी के समय से यह काम कर रहा था। इसके बाद, आरबीआई अधिकारियों ने उसका बयान लिखित में लिया। आरबीआई अधिकारियों ने बैंक को अपराध दर्ज करने का आदेश दिया। इसके बाद पुलिस ने मेहता और उसके अज्ञात साथियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया।

बता दें कि बीते गुरुवार को आरबीआई ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पर कई प्रतिबंध लगाए। इनमें बैंक से पैसे उधार देने, नई जमा राशि स्वीकार करने और भुगतान करने पर रोक लगाई गई थी। फिर शुक्रवार को आरबीआई ने बैंक के बोर्ड को हटा दिया और बैंक का संचालन अपने हाथ में ले लिया। आरबीआई ने भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अधिकारी श्रीकांत को न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक का प्रशासक नियुक्त किया, जो अगले 12 महीने तक काम करेंगे।

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