भारत के मून मिशन (Moon Mission) की आश्चर्यजनक उपलब्धि के बीच, प्रशंसा और सुर्खियों के नीचे दबी एक अंदर की कहानी भी है, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के भीतर से निकल कर सामने आई है। ये किस्सा चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफलता और शाम 5 बजे के एक साधारण मसाला डोसा (Masala Dosa) से जुड़ा है, जिसने मिशन कामयाब बनाने में एक अहम भूमिका निभाई है।
जब चंद्रयान-3 एक असंभव काम को संभव बनाने के लिए चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब ISRO के वर्कफोर्स के पास वित्तीय प्रोत्साहन नहीं था। पत्रकार बरखा दत्त ने The Washington Post के लिए एक ओपिनियन पोस्ट में बताया कि ऐसे समय किस चीज ने टीम को आगे बढ़ाया।
मिशन से जुड़े एक वैज्ञानिक वेंकटेश्वर शर्मा बताते हैं, "हमने हर शाम 5 बजे मुफ्त मसाला डोसा और फिल्टर कॉफी की पेशकश करके इसे पूरा किया।" चंद्रयान-3 मिशन पर काम करने के लिए लोगों को ज्यादा समय तक रोकने के लिए शाम 5 बजे फ्री में फिल्टर कॉफी और मसाला डोसा दिया जाता था।
उन्होंने बताया कि इससे लोगों को काफी प्रेरणा मिली, क्योंकि सभी ने अपनी इच्छा से अतिरिक्त घंटे निवेश किए। "अचानक, हर कोई लंबे समय तक रुकने से खुश था।"
इतना ही नहीं शर्मा को खुद इस मून मिशन पर काम करने के दौरान अपना प्यार मिला और उन्होंने प्रोजेक्ट के मेन टीम में शामिल एक महिला वैज्ञानिक से शादी कर ली।
ISRO के पूर्व डायरेक्टर सुरेंद्र पाल ने दत्त को उस समय की याद दिलाई, जब एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट को एक साधारण बैलगाड़ी पर ले जाया जाता था। तब इसमें मात्र 150 रुपए का खर्च आता था।
ISRO के एक और पूर्व प्रमुख माधवन नायर कहते हैं, "हम केवल जरूरी चीजों पर खर्च करते हैं। हमारे वैज्ञानिक भारत या विदेश में किसी भी दूसरी कंपनी के वैज्ञानिकों की तुलना में ज्यादा प्रयास करते हैं।''
इस बीच ISRO ने एक दिल को छू लेने वाली तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर की, जिसमें रॉकेट के एक पुर्जे को दो लोग साइकिल पर ले जा रहे हैं। इस तस्वीर के साथ स्पेस एजेंसी ने लिखा, "साइकिल से, चांद तक"
नायर ने दत्त को ये भी बताया कि ISRO वैज्ञानिकों को उनके वैश्विक समकक्षों की तुलना में पांच गुना कम मिलता है।
भारत मून मिशन में आए खर्च की भी काफी चर्चा है। चंद्रयान-3 का बजट 615 करोड़ रुपए है। इसकी लागत हॉलीवुड की अंतरिक्ष पर बनी ब्लॉकबस्टर फिल्म 'Interstellar' की तुलना में काफी कम है। ये फिल्म 16.5 करोड़ डॉलर में बनी थी। इसकी तुलना में चंद्रयान-2 मिशन की कुल लागत 978 करोड़ रुपए थी।
पिछले महीने, भारत ने चंद्रमा के रहस्यमय दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया था। ये एक मील का पत्थर था, जिसने इसे ये उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश और चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करने वाला चौथा देश बना दिया।
सॉफ्ट-लैंडिंग के निर्णायक पल को ISRO अधिकारियों ने "आतंक के 17 मिनट" करार दिया था। इस चरण के दौरान, लैंडर ने धीरे-धीरे टचडाउन से पहले संभावित बाधाओं के लिए चांद की सतह को स्कैन करते हुए सटीक समय और ऊंचाई पर अपने इंजनों को बड़ी ही सावधानीप से चलाया।
जैसे ही 23 अगस्त को मून मॉड्यूल, जिसमें लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान शामिल थे, चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से उतरा, पूरे देश ने एक असाधारण उपलब्धि का जश्न मनाया।