Odisha Train Accident: ओडिशा के बालासोर में दो जून को हुए भीषण ट्रेन हादसे में करीब 275 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,000 से अधिक लोग घायल हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) मामले की जांच शुरू कर चुकी है। इस दर्दनाक हादसे में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें ईश्वर ने दूसरी जिंदगी तोहफे में दी और अपनों से भी मिलाया। हादसे से जुड़ी कई दर्दनाक कहानियां सामने आ रही हैं। कुछ ऐसी ही कहानी 24 साल के विश्वजीत मलिक की भी है, जिन्हें मृत घोषित कर मुर्दाघर भेज दिया गया था। लेकिन मुर्दाघर तक जाने के बाद भी उनके पिता की जिद की वजह से विश्वजीत जिंदा बच गए। पिता को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि विश्वजीत मर गयाहै। ऐसे में वह जब मुर्दाघर पहुंचे तो लाशों के बीच पड़े विश्वजीत के हिलते हाथ को देख वह समझ गए कि उनका बेटा जिंदा है। इससे यह कहावत 'जाको राखे साइयां, मार सके ना कोई' एक बार फिर से सच साबित होते दिखाई पड़ती है।
दरअसल, कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार होने के लिए शालीमार स्टेशन पर अपने बेटे बिस्वजीत को छोड़ने के कुछ घंटों बाद ही हेलाराम मलिक को ओडिशा की ट्रेन दुर्घटना की खबर मिली। टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हावड़ा के एक दुकानदार हेलाराम ने दुर्घटना की खबर मिलते ही अपने 24 वर्षीय बेटे को फोन किया। बिस्वजीत ने फोन उठाया और धीमी आवाज में जवाब दिया, "वह जीवित है, लेकिन भयानक दर्द में है।"
इसके बाद हेलाराम को अंदाजा हो गया कि उनका बेटा गंभीर रूप से घायल है। उन्होंने तुरंत स्थानीय एंबुलेंस चालक पलाश पंडित को फोन किया। इसके बाद उन्होंने अपने बहनोई दीपक दास को साथ चलने के लिए कहा और उसी रात बालासोर के लिए एंबुलेंस में रवाना हो गए। उन्होंने उस रात करीब 230 किमी से अधिक की यात्रा की, लेकिन उन्हें किसी भी अस्पताल में बिश्वजीत नहीं मिला।
दास ने TOI को बताया कि हमने फिर भी हार नहीं मानी। हमें पूरी उम्मीद थी हमारा बेटा जिंदा है और हम पूरी रात उसकी तलाश करते रहे। एक व्यक्ति ने हमसे कहा कि अगर हमें अस्पताल में कोई नहीं मिला, तो हमें बहानागा हाई स्कूल जाना चाहिए, जहां शव रखे गए थे। उन्होंने बताया कि पहले हमें शवों को देखने की अनुमति नहीं थी। थोड़ी देर बाद, जब किसी ने देखा कि किसी पीड़ित का दाहिना हाथ कांप रहा है। हमने देखा कि यह हाथ बिस्वजीत का था, जो बुरी तरह से घायल था।
इलाज के लिए कोलकाता ले गया पिता
इसके बाद हम तुरंत उसे एंबुलेंस में बालासोर अस्पताल ले गए, जहां उसे कुछ इंजेक्शन दिए गए। उसकी हालत को देखते हुए, उन्होंने उसे कटक मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया। इसके बाद परिजन बिस्वजीत को आगे के इलाज के लिए कोलकाता के SSKM अस्पताल ले गए। फिलहाल, उनकी स्थिति गंभीर, लेकिन स्थिर है। बिस्वजीत के टखने की रविवार को सर्जरी हुई। जबकि सोमवार को उसके पैर की एक और सर्जरी हुई। उसका दाहिना हाथ कांप रहा था, जिसमें कई फ्रैक्चर बताया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कम सांसों की वजह से विश्वजीत को मृत मान लिया गया था। ओडिशा प्रशासन को शक है कि किसी नॉन-मेडिकल व्यक्ति ने उसकी जांच की थी और उसे बाद में मृत समझकर मुर्दाघर में रख दिया। यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल है। एक पिता के विश्वास के कारण उन्हें उनका बेटा जीवित मिल गया। शवों के बीच अपने बेटे की चलती हुई सांसों को महसूस कर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसे ईश्वर का बड़ा चमत्कार माना जा रहा है।