मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना करने का सबसे बेहतर समय नवरात्रि होती हैं। साल में कुल 4 नवरात्रि आती हैं। इनमें दो गुप्त, एक शारदीय और दूसरे चैत्र नवरात्रि होती हैं। इन दिनों शारदीय नवरात्रि चल रही है। आज (6 अक्टूबर 2024) इसका चौथा दिन है। इस दिन मां कूष्मांडा माता की पूजा अर्चना की जाती है। मां की पूजा करने से घर से संकट और विपदाओं को निकालकर व्यक्ति के जीवन में सुख शांति और धन के भंडार भरती हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, दुर्गा मां के इस रूप की आराधना करने से देवी आशीष प्रदान करती हैं और सभी दुखों का नाश होता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कूष्मांडा की मुस्कान की एक झलक ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया। इन्हें अष्टभुजा देवी के रूप में भी जाना जाता है। अगर आप इस त्योहार को मना रहे हैं, तो आपको मां कूष्मांडा की पूजा जरूर करनी चाहिए। वहीं मां कुष्मांडा को लेकर ऐसी मान्यता है पढ़ने वाले छात्र अगर कूष्मांडा देवी की पूजा करें तो उनके बुद्धि विवेक में वृद्धि होती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 अक्टूबर को सुबह 07:49 बजे से होगी। जिसका समापन 7 अक्टूबर को सुबह 09:47 बजे होगा।
ऐसे पड़ा मां का नाम कूष्मांडा
कहा जाता है कि मां कूष्मांडा देवी ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पन्न किया था। इसलिए इनका नाम कूष्मांडा पड़ा। माना जाता है जब सृष्टि के आरंभ से पहले चारों तरफ सिर्फ अंधेरा था। ऐसे में मां ने अपनी हल्की सी हंसी से पूरे ब्रह्मांड की रचना की। वह सूरज के घेरे में रहती हैं। उन्हीं के अंदर इतनी शक्ति है कि वह सूरज की तपिश को सह सकती हैं। मां कूष्मांडा का स्वरूप बहुत ही दिव्य और अलौकिक माना गया है। मां कूष्मांडा शेर पर सवारी करते हुए प्रकट होती हैं। अष्टभुजाधारी मां, मस्तक पर रत्नजड़ित मुकुट धारण किए हुए हैं। मां कूष्मांडा ने अपनी आठ भुजाओं में कमंडल, कलश, कमल, सुदर्शन चक्र, गदा, धनुष, बाण और अक्षमाला धारण किया है। मां का यह रूप हमें जीवन शक्ति प्रदान करने वाला माना गया है।
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।
पहने पीले रंग के कपड़े और माता को लगाएं पीला भोग
नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा अर्चना और व्रत किया जाता है। इस दिन सुबह स्नान के बाद पीले कपड़े पहनना चाहिए। इसके साथ ही माता के मंत्रों के जाप और आरती के बाद उन्हें पहले रंग की मिठाईयां का भोग लगाना चाहिए। इससे मां प्रसन्न होती हैं।
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