Vedanta के Anil Agarwal ने कहा, मैं दुनिया में जहां जाता हूं वहां मुझे घर जैसा कुछ मिल जाता है

काफी संघर्ष के बाद उद्योग की दुनिया में अपनी खास जगह बनाने वाले अग्रवाल अक्सर लोगों खासकर युवाओं को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करते रहते हैं

अपडेटेड Nov 09, 2022 पर 11:59 AM
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Anil Agarwal ने कहा कि जो युवा अपने प्रोफेशनल करियर का सफर शुरू करने जा रहे हैं, उन्हें यह जरूर याद रखना चाहिए कि सफलता का स्वाद तभी मीठा होता है, जब इसके साथ मानवता जुड़ी होती है।

Vedanta के फाउंडर और चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है। इस पोस्ट की खूब चर्चा हो रही है। इसमें दिग्गज इंडस्ट्रियलिस्ट ने कनाडा के अपने टोरंटो दौरे के बारे में बताया है। इस दौरे में वह यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो (University of Toronto) भी गए थे। यहां उनकी मुलाकात ऐसे दो इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स से हुई, जिनके पेरेंट्स अग्रवाल के एंप्लॉयी रह चुके हैं।

अग्रवाल ने इस मुलाकात के लिए खुद को सौभाग्यशाली बताया है। उन्होंने पोस्ट में लिखा है, "सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं, क्योंकि मैं जहां जाता हूं वहां मुझे कुछ घर जैसा मिल जाता है।" उन्होंने कनाडा में टोरंटो यूनिवर्सिटी के अपने अनुभव के बारे में कहा है, "हाल में अपनी एक ट्रिप के दौरान मैं यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो को दो इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स-सिद्धार्थ और रिया से मिला। वे मेरे पास आए और बताया कि उनके पेरेंट्स वेदांता के हिस्सा हैं।"

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Vedanta के चेयरमैन ने कहा, "सिद्धार्थ के पिता जिंक के एक इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स में हमारे साथ काम करते थे। रिया के पिता केयर्न ऑयल एंड गैस में हमारे साथ काम करते हैं। मुझे इस बात का गर्व है कि वेदांता में न सिर्फ टैलेंटेड पेरेंट्स हैं बल्कि ऐसे पेरेंट्स हैं जो अपने बच्चों को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करते हैं।"

काफी संघर्ष के बाद उद्योग की दुनिया में अपनी खास जगह बनाने वाले अग्रवाल अक्सर लोगों खासकर युवाओं को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। वह सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने की सलाद देते है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात से खुशी है कि स्टूडेंट्स इंडिया पर अपनी छाप छोड़ने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

अग्रवाल ने कहा, "सिद्धार्थ और रिया ने कहा कि वे इंडिया लौटने और एक फर्क पैदा करने को लेकर किस तरह उत्साहित हैं। ऐसे सपनों से मुझे बहुत खुशी होती है।" युवा किस तरह से कंपनी के लिए बड़ा फर्क पैदा कर सकते हैं, इस बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, "मुझे इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि सिद्धार्थ और रिया जैसे स्टूडेंट्स लोकल और ग्लोबल के बीच के फर्क को दूर करने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे। इससे हमें वसुधैव कुटुंबकम के एक कदम और करीब पहुंज जाएंगे।"

अग्रवाल ने अक्टूबर में यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के अपने दौरे में उन्होंने स्टूडेंट्स को कभी सपने देखने से परहेज नहीं करने की सलाह दी। उन्होंने युवाओं को हमेशा विनम्र रहने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि जो युवा अपने प्रोफेशनल करियर का सफर शुरू करने जा रहे हैं, उन्हें यह जरूरत याद रखना चाहिए कि सफलता का स्वाद तभी मीठा होता है, जब इसके साथ मानवता जुड़ी होती है।

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