Vedanta Resources के फाउंडर और चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) अक्सर बिजनेस और निजी जीवन से जुड़ी ऐसी बातें बताते रहते हैं, जो दूसरों को प्रेरित करती हैं। वे इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने LinkedIn पर एक नया पोस्ट डाला है। इसमें उन्होंने बिजनेस में लोकल लोगों के इस्तेमाल के महत्व को बताया है। उन्होंने कहा है कि यंग टैलेंट और लोकल लोगों को सक्षम बनाना जरूरी है। उन्होंने बताया है कि अक्सर आंत्रप्रेन्योर उनसे पूछते हैं कि बिजनेस को कैसे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि इस बारे में मेरी सलाह होती है कि यंग टैलेंट को सक्षम बनाए और लोकल लोगों को नेतृत्व करने का मौके दें।
ऑस्ट्रेलिया का बताया एक किस्सा
उन्होंने 1990 के एक किस्से का जिक्र किया है। जब वह 1990 में एक दिवालिया कंपनी का अधिग्रहण करने के लिए ऑस्ट्रेलिया पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि यह बिजनेस रिस्की है। लेकिन, उन्हें अपने आप पर भरोसा था। इसका कंपनी का नाम Copper Mines of Tasmania था।
लोकल टैलेंट पर किया भरोसा
अग्रवाल ने बताया है कि हालांकि तब वह अच्छी इंग्लिश नहीं जानते थे फिर भी वह कंपनी को मुनाफे में लाने के अपने प्लान से Tasmania के प्रधानमंत्री का भरोसा जीतने में सफल रहे। उन्होंने बताया है, "उन्होंने उस प्लांट को मुझे देने का फैसला किया। मैंने 25 लाख डॉलर में यह डील कर दी।" इस प्लांट को खरीदने के बाद उन्होंने दो काम किए। पहला, उन्होंने जनरल मैनेजर को कंपनी का हेड बनाया। दूसरा, सीनियर लीडरशिप रोल में सिर्फ तीन लोगों को रखा।
वेदांता के बॉस ने बताया है कि जनरल मैनेजर ने जिस तरह का उत्साह और समपर्ण दिखाया, वैसा कंपनी के टॉप एग्जिक्यूटिव्स में भी नहीं दिखा था। इस कंपनी का नेतृत्व पूरी तरह से लोकल लोगों के हाथ में था। उन्होंने बताया है, "जिस तरह से दूध में चीनी मिलाने पर उसकी मिठास बढ़ जाती है, उसी तरह अगर आप घर से दूर कहीं कंपनी शुरू कर रहे हैं तो लोकल लोगों को उसमें रखने से शानदार नतीजें मिलते हैं। इन उपायों का बहुत अच्छे नतीजे आए। कंपनी ने 2.5 करोड़ डॉलरप प्रॉफिट कमाया। वह अगले 10 साल तक प्रॉफिट कमाती रही। अग्रवाल ने बताया है कि ऑस्ट्रेलिया में मिली कामयाबी से उनके लिए सबकुछ बदल गया।
सफलता की बुलंदी पर पहुंचने से पहले किया संघर्ष
अग्रवाल कभी Twitter तो कभी LinkedIn पर बिजनेस से जुड़ी बताते रहते हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि कैसे बिहार की राजधानी पटना से निकल कर उन्होंने इंडस्ट्री की दुनिया में अपनी जगह बनाई। हालांकि, इस दौरान उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। मुंबई में उनके शुरुआती दिन मुश्किल भरे थे। लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी। आज उनका कारोबार दुनिया के कई देशों में फैला है।