भारत के लोग अमीरों से नफरत क्यों करते हैं? Zerodha के नितिन कामत ने दिया दिलचस्प जवाब

44 वर्षीय नितिन कामत (Nithin Kamath) शर्मा से सहमत दिखे और उन्होंने सवाल का बेहद संतुलित जवाब दिया। अरबपति ने भारत में भारी आर्थिक असमानता को स्वीकार किया और भारत की समाजवादी मानसिकता की ओर इशारा किया। नितिन कामत का पूरा जवाब आप इस स्टोरी में पढ़ सकते हैं

अपडेटेड Sep 29, 2024 पर 7:33 PM
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आमतौर पर यह माना जाता है कि ज्यादातर भारतीय अमीर लोगों से नफरत करते हैं या अमीरों के प्रति उनमें नकारात्मक भाव होता है।

आमतौर पर यह माना जाता है कि ज्यादातर भारतीय अमीर लोगों से नफरत करते हैं या अमीरों के प्रति उनमें नकारात्मक भाव होता है। जबकि इसके विपरीत अमेरिका जैसे देशों में अमीरों को लेकर इस तरह की भावना लोगों के अंदर नहीं होती। आपके मुताबिक इसकी वजह क्या है? Zerodha के CEO नितिन कामत (Nithin Kamath) ने बेंगलुरु में एक इवेंट के दौरान इस सवाल का खुलकर जवाब दिया है। हालांकि, आप उनके जवाब से सहमत या असहमत हो सकते हैं। बेंगलुरू में टेकस्पार्क्स 2024 इवेंट में कामत के साथ बातचीत के दौरान योरस्टोरी की फाउंडर श्रद्धा शर्मा ने अमीर लोगों के साथ व्यवहार के मामले में भारतीयों और अमेरिकियों के बीच अंतर पर बात की।

अमेरिका और भारत के लोगों की मानसिकता में अंतर

श्रद्धा शर्मा ने कहा, “अमेरिका में अगर कोई बहुत ज्यादा पैसा कमाता है, अगर वे बहुत सफल होते हैं और नई कार खरीदते हैं, तो यह कवर पेज पर आता है। और यह बहुत सामान्य है - जेट खरीदना और सब कुछ बहुत सामान्य है। और एक समाज के रूप में भी, वे (अमीर लोगों को) नीची नजर से नहीं देखते हैं।” उन्होंने आगे कहा, "दूसरी ओर भारत में लोग जब कोई पैसा कमाता है तो बहुत जजमेंटल होते हैं। हमें लगता है कि वे जरूर कुछ गलत काम कर रहे होंगे।"


नितिन कामत ने दिया दिलचस्प जवाब

44 वर्षीय नितिन कामत शर्मा से सहमत दिखे और उन्होंने सवाल का बेहद संतुलित जवाब दिया। अरबपति ने भारत में भारी आर्थिक असमानता को स्वीकार किया और भारत की समाजवादी मानसिकता की ओर इशारा किया।

कामत ने कहा, "अमेरिका एक शुद्ध रूप से कैपिटलिस्ट सोसाइटी है। हम एक सोशलिस्ट-प्रिटेंडिंग टू बी कैपिटलिस्ट सोसाइटी हैं। दिल से हम सभी समाजवादी हैं।" यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें चीजें बदलती हुई दिख रही हैं, कामत ने कहा कि इसकी संभावना नहीं है। उन्होंने भविष्यवाणी की, "मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई बदलाव आएगा। क्योंकि जब तक धन के मामले में असमानता बनी रहेगी, मुझे कुछ भी बदलता हुआ नहीं दिख रहा है।"

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