अटलांटा इलेक्ट्रिकल्स (एईएल) का आईपीओ 22 सितंबर को खुल गया है। इस इश्यू में 24 सितंबर तक निवेश किया जा सकता है। यह आईपीओ 687 करोड़ रुपये का है। कंपनी ने 718-754 करोड़ रुपये का प्राइस बैंड तय किया है। अटलांटा इलेक्ट्रिकल्स गुजरात की कंपनी है, जो पावर और स्पेशल ड्यूटी ट्रांसफॉर्मर्स बनाती है। 1988 में शुरू हुई यह कंपनी मार्केट में अच्छी पैठ बनाने में सफल रही है। सवाल है कि क्या आपको इस आईपीओ में निवेश करना चाहिए?
आईपीओ में ऑफर फॉर सेल भी शामिल
Atlanta Electricals Limited (AEL) कई सेगमेंट को अपने प्रोडक्ट्स की सप्लाई करती है। इनमें पावर जेनरेशन, डिस्ट्रिब्यूशन और स्पेशियलाइज्ड इंडस्ट्रियल इंडस्ट्रीज शामिल हैं। कंपनी ग्लोबल क्वालिटी स्टैंडर्ड्स का पालन करती हैं। मैन्युफैक्चरिंग के अलावा कंपनी EPC प्रोजेक्ट्स में भी सक्रिय है। पावर सेक्टर के लिए यह कई तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर सॉल्यूशंस ऑफर करती है। कंपनी के 687.34 करोड़ रुपये के आईपीओ में ऑफर फॉर सेल (OFS) भी शामिल है।
एक्सपोर्ट बढ़ाने पर कंपनी का फोकस
इस इश्यू में कंपनी में 400 करोड़ रुपये के नए स्टॉक्स इश्यू करेगी। ओएफएस के तहत प्रमोटर्स 287.34 करोड़ रुपये के शेयर बेचेंगे। इश्यू के बाद कंपनी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 94.36 फीसदी घटकर 86.97 फीसदी रह जाएगी। कंपनी ग्रोथ के लिए प्रोडक्ट डायवर्सिफिकेशन के साथ ही नए इलाकों में बिजनेस का विस्तार करना चाहती है। कंपनी ने BTW-Atlanta Transformers में 90 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। इससे कंपनी की एक्सपोर्ट की क्षमता बढ़ी है। साथ ही उसे ग्लोबल मार्केट्स में पार्टिसिपेट करने में मदद मिलेगी।
क्षमता बढ़ाने के लिए ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक तरीकों का इस्तेमाल
AEL अपनी कैपेसिटी बढ़ाने पर फोकस कर रही है। FY25 में कंपनी की क्षमता 16,700 एमवीए थी। कंपनी इसे बढ़ाकर 62,000 MVA करना चाहती है। इसके लिए कंपनी ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक दोनों तरीका का इस्तेमाल करने को तैयार है। खास बात यह है कि ज्यादा पूंजीगत खर्च के बावजूद कंपनी ने इक्विटी डायल्यूशन से बचने की कोशिश की है। पूंजीगत खर्च के लिए इसने आंतरिक स्रोतों से पैसे जुटाने पर फोकस किया है। इससे इसे ज्यादा कर्ज नहीं लेना पड़ा है।
हाई-वॉल्टेज ट्रांसफॉर्मर्स सेगमेंट में उतरने का प्लान
कंपनी आईपीओ से मिले पैसे में से 79 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कर्ज चुकाने के लिए करेगी। इससे इसकी बैलेंसशीट को मजबूती मिलेगी। 210 करोड़ रुपये का इस्तेमाल वर्किंग कैपिटल के लिए करेगी। इससे अगले 2-3 साल के लिए कंपनी को पैसे की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा, जिससे ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा। मीडियम टर्म में कंपनी की ग्रोथ के लिए अच्छी संभावनाएं दिखती हैं। कंपनी हाई-वॉल्टेज ट्रांसफॉरमर्स सेगमेंट में उतरना चाहती है। इससे उसे ऐसे सेगमेंट में दाखिल होने के मौका मिलेगा, जिसमें कॉम्प्टिशन अपेक्षाकृत कम है।
क्या आपको आईपीओ में निवेश करना चाहिए?
प्राइस बैंड के ऊपरी लेवल (754 रुपये) पर FY25 की अर्निंग्स के मुकाबले इसकी कीमत 49 गुना दिखती है। यह थोड़ा महंगा लगता है। लेकिन, कंपनी जिस तरह से क्षमता बढ़ा रही है और हाई-वॉल्टेज सेगमेंट में उतर रही है। इसके अलावा पहले से इसकी मार्केट में मजबूत स्थिति है। इस वजह यह आईपीओ मीडियम और लॉन्ग टर्म इनवेस्टर्स के लिए अट्रैक्टिव दिखता है।