IIFL होम फाइनेंस और 'समस्ता' का अगले 18 महीनों में आ सकता है IPO, कंपनी के को-फाउंडर ने बताया प्लान

बिजनेस से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए, IIFL फाइनेंस अपनी 2 सहायक कंपनियों को लिस्ट कराने की संभावना पर विचार कर रही है। इसमें इसके आवास और माइक्रोफाइनेंस बिजनेस शामिल हैं। कंपनी के को-फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर, निर्मल जैन ने मनीकंट्रोल को बताया कि अगले 18 महीनो में ऐसा हो सकता है

अपडेटेड Sep 23, 2024 पर 3:35 PM
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RBI ने हाल ही में IIFL फाइनेंस पर नियामकीय प्रतिबंध लगाए थे

बिजनेस से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए, IIFL फाइनेंस अपनी 2 सहायक कंपनियों को लिस्ट कराने की संभावना पर विचार कर रही है। इसमें इसके हाउसिंग फाइनेंस (IIFL Home Finance) और माइक्रोफाइनेंस (Samasta) बिजनेस शामिल हैं। कंपनी के को-फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर, निर्मल जैन ने मनीकंट्रोल को बताया कि अगले 18 महीनो में ऐसा हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जब हाल ही में IIFL फाइनेंस पर नियामकीय प्रतिबंध लगाए, तो बैंकों ने गोल्ड लोन के साथ हाउसिंग फाइनेंस और माइक्रोफाइनेंस बिजनेस को दी जाने वाली क्रेडिट सुविधा भी रोक दी।

हाउसिंग फाइनेंस और MFI बिजनेस की संभावित लिस्टिंग के पीछे के कारण को समझाते हुए, जैन ने एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, "एक और बात जो हमें समझ में आई- वह है बिजनेस को जोखिम मुक्त करना।"

RBI ने 4 मार्च को IIFL फाइनेंस पर गोल्ड लोन बिजनेस में नए ग्राहक जोड़ने से रोक दिया था। इसके चलते कंपनी का गोल्ड लोन बुक 23,000 करोड़ रुपये से घटकर 5 अगस्त 2024 को 12,162 करोड़ रुपये पर आ गया। RBI ने 20 सितंबर को ये प्रतिबंध हटा लिए। इस अवधि के दौरान, कंपनी को पहले से मंजूर क्रेडिट सुविधाओं को पाने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ा और वह बैंक फंडिंग नहीं पा सका।


बाद में फेयरफैक्स इंडिया होल्डिंग्स ने कंपनी को 500 करोड़ रुपये का कर्ज मुहैया कराया और मई में इसके राइट इश्यू में भाग लिया। फेयरफैक्स इंडिया होल्डिंग्स, पहसे से ही IIFL फाइनेंस की शेयरधारक है और इसके पास कंपनी की लगभग 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

जैन ने कहा, "इन जोखिमों को कम करने के लिए हम 2 तरह के स्ट्रक्चर अपना सकते हैं। पहला कि जैसे कोई बड़ा कारोबारी समूह अपना बिजनेस चलाता है। इसमें आप एक बड़ा औप आपस में उलझा हुआ स्ट्रक्चर बनाते हैं, जहां आप क्रॉस-होल्डिंग्स के जरिए नियंत्रण रख सकते हैं। दूसरा यह है कि एक स्पष्ट ढांचा होना चाहिए, लेकिन तब आप नियंत्रण खो सकते हैं, क्योंकि आपके पास केवल 51 प्रतिशत हिस्सेदारी ही रहेगी। लेकिन फिर यह कुछ हद तक जोखिम को कम करता है।"

उन्होंने कहा कि RBI का बैन करीब साढ़े 6 महीना लंबा था। इसका '360 वन वेल्थ' और IIFL सिक्योरिटीज के बिजनेस पर कोई असर नहीं पड़ा क्योंकि दोनों अलग से लिस्टेड थीं। इसी बात ने हमें अपनी बाकी सब्सिडियरीज को भी लिस्ट कराने पर सोचने के लिए मजबूर किया है।

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First Published: Sep 23, 2024 3:35 PM

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