LIC IPO: देश का सबसे बड़ा IPO आज खुल गया है। निवेशकों के लिए यह इश्यू 6 दिन खुला रहेगा। यह इश्यू 9 मई को बंद होगा। LIC के IPO का प्राइस बैंड 902-949 रुपए है। इस इश्यू में पॉलिसीहोल्डर्स और निवेशकों को इश्यू प्राइस पर डिस्काउंट मिल रहा है। यही वजह है कि इस इश्यू में रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी अच्छी रह सकती है।
अगर आप भी इस इश्यू में निवेश करना चाहते हैं तो पहले जान लीजिए कि इसे सब्सक्राइब करना सही फैसला है या नहीं।
मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी के एसोसिएट डायरेक्टर एवं फंड मैनेजर मनीष सोंथालिया ने इस इश्यू को अट्रैक्टिव बताया है। उनका मानना है कि एलआईसी की जो वैल्यूएशन तय की गई है, उससे इनवेस्टर्स को लॉस होने का डर नहीं है।
सोंथालिया ने CNBC-TV18 को बताया, 'मौजूदा प्राइस पर इस इश्यू में भारी सब्सक्रिप्शन दिख सकता है। यह इश्यू इनवेस्टर्स के लिए अच्छा है।'
सरकार LIC में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 21,000 करोड़ रुपये जुटा रही है। LIC की इम्बेडेड वैल्यूएशन के मुकाबले यह इश्यू 1.1 गुना है। यह पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल है। इसका मतलब है कि शेयरों की बिक्री से पूरा पैसा सरकार के पास जाएगा।
कई दूसरे एनालिस्ट्स ने भी इस इश्यू में पैसे लगाने की सलाह इनवेस्टर्स को दी है। ब्रोकरेज फर्म इनवेस्टमेंट्ज डॉट कॉम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'हमारा मानना है कि एलआईसी को अपने डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क का फायदा मिलेगा।
फ्यूचर ग्रोथ में हाई-मार्जिन नॉन-पार्टिसिपेटिंग प्रोडक्ट्स का बड़ा हाथ हो सकता है।' सोंथालिया ने कहा कि मौजूदा माहौल में इनवेस्टर्स को सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मौजूदा माहौल में इनवेस्टर्स को गिरावट की स्थिति में अपने नुकसान को कम करने पर फोकस करना चाहिए।
कई ब्रोकरेज फर्मों ने कहा है कि कई लोग पहली बार आईपीओ में निवेश करने जा रहे हैं। इस साल की पहली तिमाही में खोले गए डीमैट अकाउंट से इस बात का संकेत मिलता है। ऐसे निवेशकों को एलआईसी के इश्यू में इनवेस्ट तो करना चाहिए, लेकिन बहुत ज्यादा लिस्टिंग गेंस की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। इसकी वजह यह है कि मार्केट का सेंटीमेंट कमजोर है।"
कितना मिल रहा है डिस्काउंट?
इश्यू का करीब 10 फीसदी हिस्सा पॉलिसीहोल्डर्स के लिए रिजर्व रखा गया है। उन्हें प्रति शेयर 60 रुपये का डिस्काउंट भी मिलेगा। सरकार इस इश्यू में अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है। पहले उसने अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई थी। लेकिन, स्टॉक मार्केट के खराब हालत को देखते हुए सरकार ने इश्यू का साइज घटा दिया।