Meesho IPO: एनसीएलटी ने ई-कॉमर्स स्टार्टअप मीशो को अपना मुख्यालय अमेरिका के डेललेयर से भारत लाने की मंजूरी दे दी है। रेगुलेटरी फाइलिंग में इसका खुलासा हुआ है। इस मंजूरी के साथ ही मीशो के आईपीओ प्रोसेस का एक बड़ा हिस्सा पूरा हो गया है। अब जबकि मीशो को अपनी अमेरिकी इकाई से अलग होने की मंजूरी मिल गई है तो यह भारतीय फर्म के साथ विलय के लिए आगे बढ़ेगी और भारतीय होने की प्रक्रिया को पूरा करेगी। एक बार यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो मीशो बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के पास आईपीओ का ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) फाइल करेगी। मनीकंट्रोल ने मार्च में ही खुलासा किया था कि मीशो करीब $1 हजार करोड़ के वैल्यूएशन पर करीब $100 करोड़ का आईपीओ लाने की तैयारी में है।
Meesho क्यों बनी थी देश के बाहर की कंपनी?
भारतीय स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने के चलते मीशो को पूरी तरह से भारत शिफ्ट होना जरूरी है। ऐसे में सवाल उठता है कि मीशो आखिर देश के बाहर की कंपनी क्यों बनी। शुरुआती दिनों में वर्ष 2017 में मीशो के शुरुआती निवेशकों में शुमार वाई कॉम्बिनेटर (Y Combinator) ने अपनी पोर्टफोलियो कंपनियों को भारत से बाहर स्थित होना अनिवार्य कर दिया था, ताकि उनके लिए फंडिंग और स्केल सुरक्षित करना आसान हो सके। इसी के चलते मीशो बाहर की कंपनी बनी थी।
फिर भारत वापसी की प्रक्रिया कब हुई शुरू और IPO का क्या है प्लान?
मीशो ने पिछले साल 2024 में भारत आने की प्रक्रिया शुरू की थी। कंपनी इस साल दीवाली तक आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है। कंपनी के प्रवक्ता ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा था कि मीशो का अधिकतर कारोबार जैसे कि ग्राहक, सेलर्स, क्रिएटर्स और वाल्मो पार्टनर्स पहले ही यहीं के हैं तो भारत शिफ्ट होना उनके हर दिन के कारोबार से मेल खाता है। इससे पहले रेजरपे, फोनपे, ग्रो और जेप्टो भी अपना मुख्यालय भारत शिफ्ट कर चुकी हैं।