IPO का मतलब एग्जिट नहीं, अर्बन कंपनी में हम नहीं बेच रहे एक भी शेयर: प्रोसेस इंडिया के अशुतोष शर्मा
अर्बन कंपनी (Urban Company) का 1,900 करोड़ रुपये का इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) कल 10 सितंबर से खुलने वाला है। यह प्रोसेस इंडिया (Prosus India) के निवेश वाली तीसरी कंपनी है, जिसका पिछले 12 महीने में आईपीओ आया है। इससे पहले स्विगी और हाल ही में ब्लूस्टोन (Bluestone) ने शेयर बाजार में कदम रखा।
आशुतोष शर्मा, प्रोसेस इंडिया के हेड ऑफ इंडिया इकोसिस्टम
अर्बन कंपनी (Urban Company) का 1,900 करोड़ रुपये का इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) कल 10 सितंबर से खुलने वाला है। यह प्रोसेस इंडिया (Prosus India) के निवेश वाली तीसरी कंपनी है, जिसका पिछले 12 महीने में आईपीओ आया है। इससे पहले स्विगी और हाल ही में ब्लूस्टोन (Bluestone) ने शेयर बाजार में कदम रखा।
प्रोसेस इंडिया के हेड ऑफ इंडिया इकोसिस्टम आशुतोष शर्मा ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा कि अर्बन कंपनी का आईपीओ किसी तरह का एग्जिट नहीं है। कंपनी अब भी इस तरह की फर्मों में निवेश कर रही है और लिस्टिंग के बाद भी इसका सफर जारी रहेगा।
लंबी अवधि की सोच के साथ निवेश
शर्मा ने कहा, “पिछले साल हमारे लिए अच्छा रहा। पिछले साल हमारे पास स्विगी थी। फिर कुछ हफ्ते पहले ब्लूस्टोन लिस्ट हुई और अब उम्मीद है कि अर्बन कंपनी का आईपीओ भी अच्छा होगा। ये सब रोमांचक है, लेकिन हम निवेश के मोर्चे पर भी व्यस्त रहे हैं। पिछले साल हमने तीन बड़े चेक काटे। प्रत्येक चेक 8 से 10 करोड़ डॉलर का।"
उन्होंने बताया कि कंपनी ने नए सेक्टर्स में एंट्री ली है, खासकर फाइनेंशियल सर्विसेज और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर। जहां हमने पहले ज्यादा कुछ नहीं किया था। हमने कई शुरुआती चरण के सौदे भी किए गए हैं, जिनमें भारत आधारित कंपनियां और अमेरिका की टेक फर्में शामिल हैं।
भारत पर भरोसा
टैरिफ और जियोपॉलिटिकल बदलावों पर पूछे गए सवाल पर शर्मा ने कहा कि प्रोसेस लॉन्ग-टर्म व्यू अपनाता है। उन्होंने कहा, "अगर आप भारत को 10 से 25 साल की नजर से देखें, तो टैरिफ या शॉर्ट-टर्म राजनीति का ज्यादा असर नहीं पड़ता। लंबे समय में देश की ग्रोथ ही तय करती है कि निवेशक किस सेक्टर में रुचि लेंगे।"
उन्होंने यह भी कहा कि अगर निवेशक केवल 3-4 साल के नजरिए से देखते हैं, तो वे एंट्री वैल्यूएशन या राजनीतिक माहौल से घबराते हैं और किनारे बैठ जाते हैं। लेकिन प्रोसेस के लिए यह मायने नहीं रखता, क्योंकि वह लंबी अवधि में भारतीय बाजार को लेकर आश्वस्त है।
लिस्टिंग मंजिल नहीं, सफर का हिस्सा
आशुतोष शर्मा ने कहा, “लिस्टिंग एक अहम माइलस्टोन है, लेकिन यह अंत नहीं है। हमने ब्लूस्टोन में एक भी शेयर नहीं बेचा और अर्बन कंपनी में भी हम नहीं बेच रहे। बल्कि इसके उलट हमने दोनों कंपनियों के प्री-IPO राउंड्स में और निवेश किया है।”
निवेशकों को समझाना बड़ी चुनौती
उन्होंने बताया कि नए बिजनेस मॉडल को निवेशकों तक समझाना सबसे बड़ी सीख रही। शर्मा ने कहा "भारत के पब्लिक मार्केट्स में 15-20 साल पुराने कम्पैरिजन मौजूद नहीं हैं। ऐसे में जब नए शेयरहोल्डर्स आते हैं तो पहले उन्हें कंपनी का बेसिक मॉडल समझाना पड़ता है – प्रोडक्ट क्या है, प्रोडक्ट-मार्केट फिट क्यों है, कॉम्पिटीटर्स कौन हैं। उसके बाद गहराई से समझाना पड़ता है कि ग्रोथ के इंजन क्या हैं, प्रॉफिटबिलिटी कैसे बढ़ेगी और तीन साल बाद तस्वीर कैसी होगी।"
उन्होंने कहा कि अर्बन कंपनी का फिलहाल कोई बड़ा ग्लोबल इक्विवेलेंट नहीं है। विदेशी निवेशकों ने फूड डिलीवरी मॉडल तो देखा है, लेकिन ऑन-डिमांड हेयरकट, ब्यूटी या प्लंबिंग सर्विसेज जैसे मॉडल को नहीं। इसलिए यह बताना जरूरी हो जाता है कि सप्लाई कहां से आती है, ट्रेनिंग कैसे होती है और क्वालिटी कैसे सुनिश्चित की जाती है।
फाउंडर्स और मैनेजमेंट के लिए नई चुनौती
शर्मा ने कहा, “पहले फाउंडर्स कुछ निवेशकों से डील करते थे, लेकिन लिस्टिंग के बाद उन्हें हजारों निवेशकों से संवाद करना पड़ता है। यह काम सिर्फ तिमाही नहीं, बल्कि रोज का हो जाता है। उम्मीदों को मैनेज करना एक फुल-टाइम जिम्मेदारी है।”
उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती होती है लॉन्ग-टर्म गोल्स को शॉर्ट-टर्म मार्केट रिजल्ट्स के साथ बैलेंस करना। उन्होंने कहा, “यह एक नई स्किल है, जो फाउंडर्स को सीखनी पड़ती है।”
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