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Veritas Finance IPO का रास्ता अमेरिकी टैरिफ ने किया ब्लॉक, अब ये है प्लान

Veritas Finance IPO: कई प्राइवेट इक्विटी फर्म्स और केदार कैपिटल के निवेश वाली एनबीएफसी वेरिटास फाइनेंस आईपीओ लाने की तैयारी कर रही थी। हालांकि अब इसने आईपीओ लाने की योजना फिलहाल टाल दी है। यह देरी अमेरिकी टैरिफ के चलते हुई है। डिटेल्स में समझें क्या है पूरा मामला और आईपीओ को लेकर वेरिटास फाइनेंस की क्या योजना थी?

अपडेटेड Aug 27, 2025 पर 1:10 PM
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Veritas Finance IPO: वेरिटास फाइनेंस ने अपने ₹2800 करोड़ के आईपीओ की योजना को फिलहाल टाल दिया है।

Veritas Finance IPO: वेरिटास फाइनेंस ने अपने ₹2800 करोड़ के आईपीओ की योजना को फिलहाल टाल दिया है। मनीकंट्रोल को यह जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है। कंपनी ने यह फैसला अमेरिकी टैरिफ के चलते निर्यात पर फोकस रखने वाले एमएसएमई पर भारी झटका लगने की आशंका के चलते लिया है। सूत्रों के मुताबिक एनबीएफसी ने आईपीओ का ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) पिछले महीने जुलाई के आखिरी में फाइल किया था और इस महीने अगस्त में आईपीओ लाने की थी। अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 25% टैरिफ लगाया था लेकिन रूस से तेल की खरीदारी के चलते 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया यानी कि भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ है। 25% का अतिरिक्त टैरिफ आज 27 अगस्त को सुबह 9.31 बजे से प्रभावी हुआ है। वहीं 25% का रेसिप्रोकल टैरिफ तो पहले ही 1 अगस्त से लागू हो चुका है।

Trump Tariffs ने कैसे रोकी Veritas Finance IPO की रफ्तार?

सूत्रों ने बताया कि भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ ने एमएसएमई के लिए माहौल काफी निगेटिव कर दिया है। इसकी वजह यह है कि ये बड़ी संख्या में ये निर्यात पर ही निर्भर हैं, खासतौर से उन सेक्टर्स में जो टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं जैसे कि टेक्सटाइल्स, जेम्स एंड ज्वैलरी, ऑटो कंपोनेंट्स, केमिकल्स और सी फूड। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 20 अगस्त की अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि अमेरिकी टैरिफ के चलते सबसे अधिक झटका टेक्सटाइल्स, जेम्स एंड ज्वैलरी और सी फूड इंडस्ट्रीज को लगेगा जिनकी अमेरिका को भारतीय निर्यात में 25% हिस्सेदारी है। एमएसएमई की इन सेक्टर्स में 70% से अधिक हिस्सेदारी है। क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक इन सबके अलावा केमिकल सेक्टर को भी झटका लगने की आशंका है।


अब आगे क्या है प्लान?

वेरिटास फाइनेंस शहरों और अर्द्ध-शहरी इलाकों में एमएसएमई को वर्किंग कैपिटल लोन मुहैया कराती है। इसके अलावा यह गांवों में हाउसिंग लोन, यूज्ड कॉमर्शियल वेईकल लोन और स्मॉल बिजनेस लोन मुहैया कराती है। वेरिटास की योजना अब मार्केट में लिस्ट होने की थी और ₹2800 करोड़ का आईपीओ लाने वाली थी जिसमें से ₹600 करोड़ के नए शेयर होते और बाकी शेयरों की ऑफर फॉर सेल विंडो के तहत बिक्री होने वाली थी।

हालांकि अब सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी टैरिफ के चलते इसके आईपीओ की योजना टल गई है। सूत्र ने कहा कि कंपनी को वित्त वर्ष की दूसरी छमाही यानी अक्टूबर 2025 से मार्च 2026 के बीच माहौल सुधरने की उम्मीद है और तब आईपीओ लाने की योजना पर फिर से विचार हो सकता है। वेरिटास को अप्रैल महीने में सेबी से आईपीओ लाने की मंजूरी मिली थी जोकि एक साल तक के लिए वैध है।

वेरिटास फाइनेंस की कैसी है सेहत?

कंपनी के वित्तीय सेहत की बात करें तो सितंबर 2024 के आखिरी में इसका लोन बुक ₹6,517 करोड़ का था। वित्त वर्ष 2024 में इसका लोन बुक सालाना आधार पर 62% बढ़कर ₹5,723 करोड़ पर पहुंच गया। इस एनबीएफसी की 10 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में 424 शाखाएं हैं। 30 सितंबर 2024 तक इसका 88% से अधिक लोन बुक तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल से आता है, जिसका कुल योगदान ₹5,772.6 करोड़ था।

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