Ayodhya Election Result 2024: राम मंदिर का निर्माण पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अभियान का मुख्य मुद्दा रहा। हालांकि विडंबना यह रही कि अयोध्या में ही भगवा पार्टी का चुनावी मुद्दा कारगर साबित नहीं हुआ। फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से दो बार के बीजेपी सांसद रह चुके लल्लू सिंह को समाजवादी पार्टी (सपा) के अवधेश प्रसाद ने 54,567 मतों से शिकस्त दे दी। यह वही लोकसभा क्षेत्र है जहां अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भव्य राम मंदिर का निर्माण किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी साल 22 जनवरी को मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की थी। बता दें कि फैजाबाद क्षेत्र के अंतर्गत अयोध्या भी आता है। सत्तारूढ़ बीजेपी को 2019 लोकसभा चुनाव में 62 सीट मिली थी। जबकि इस बार पार्टी को सिर्फ 33 सीट पर ही जीत मिली।
- बीजेपी की करारी हार के पीछे का एक कारण चौड़ी सड़कें बनाने के लिए घरों को गिराना भी हो सकता है। 2014 के आम चुनावों में नरेंद्र मोदी लहर में लल्लू सिंह ने सपा के मित्रसेन यादव को 2.82 लाख वोटों से हराया था। BSP 1.41 लाख वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी, जबकि कांग्रेस 1.29 लाख वोटों के साथ चौथे स्थान पर रही थी। 2019 में जब सपा और BSP ने गठबंधन किया तो BJP से अंतर कम हो गया। इस बार दलित, ओबीसी और मुस्लिम वोट सपा के पक्ष में गए। मुस्लिम वोट I.N.D.I.A. गुट के पीछे एकजुट हुए और ओबीसी, ब्राह्मण और ठाकुरों में BJP के प्रति नाराजगी का भी इस गुट ने फायदा उठाया।
- बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह की सबसे बड़ी गलतियों में से एक 'नया संविधान बनाने' पर उनकी टिप्पणी थी। सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से सेयर किए गए एक वीडियो में सिंह को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है कि 272 सीटों वाली बहुमत वाली सरकार भी 'संविधान में संशोधन नहीं कर सकती। इसके लिए, या फिर अगर नया संविधान बनाना है, तो दो तिहाई से ज्यादा बहुमत की जरूरत है।
- वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक पर्यवेक्षक राम नरेश तिवारी ने न्यूज 18 से बातचीत में कहा कि इस टिप्पणी ने अयोध्या में बीजेपी की हार की उल्टी गिनती शुरू कर दी। इस भाषण ने I.N.D.I.A. ब्लॉक को नया हथियार दे दिया। इसके अलावा राम मंदिर प्रोजेक्ट पर इतना जोर था कि मौजूदा सांसद और बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह और अयोध्या में बीजेपी की बाकी मशीनरी स्थानीय मुद्दों को देखने में विफल रही।
- मिल्कीपुर और सोहावल सीटों से 9 बार विधायक रहे दलित नेता अवधेश प्रसाद को मैदान में उतारने के समाजवादी पार्टी के फैसले ने पार्टी को फैजाबाद में सबसे बड़े मतदाता वर्ग दलितों का महत्वपूर्ण समर्थन दिलाया। सपा के पास पहले से मौजूद मुस्लिम-यादव समर्थन के साथ ही अयोध्या में बीजेपी की किस्मत भी तय हो गई। बहुजन समाज पार्टी द्वारा ब्राह्मण उम्मीदवार सचिदानंद पांडे को मैदान में उतारने का फैसला भी बीजेपी के खिलाफ गया, क्योंकि पांडे ने भगवा पार्टी के वोट शेयर में सेंध लगाई और 46,000 से अधिक वोट हासिल किए।
- फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में ओबीसी 22%, दलित 21%, मुस्लिम 19%, ठाकुर 6%, ब्राह्मण 18% और वैश्य 10% हैं। अखिलेश यादव ने टिकट बंटवारे के लिए अपनी पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक (PDA) रणनीति को ध्यान में रखते हुए दलित, मुस्लिम और ओबीसी के संयोजन को मजबूत किया।
- विडंबना यह है कि अयोध्या में BJP की हार की शुरुआत राम मंदिर के लिए भूमि अधिग्रहण के चरण से हुई। राम नरेश तिवारी ने कहा, "चाहे राम मंदिर तक जाने वाली सड़कों का चौड़ीकरण हो या संबंधित परियोजनाओं का निर्माण, भूमि अधिग्रहण अभियान के तहत कई लोगों को अपनी संपत्ति (दुकानें, घर) जिला प्रशासन को सौंपने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिनके परिवार 100 साल से अधिक समय से यहां रह रहे हैं। यह एक ऐसा मुद्दा था जिसे BJP पहचानने में विफल रही, लेकिन विपक्ष ने इस पर ध्यान दिया।"