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Haryana Lok Sabha Chunav: जाटों के सहारे पार लगेगी कांग्रेस की नाव, या पूरा होगा बीजेपी का 10 में से 10 का सपना?

Haryana Lok Sabha Chunav 2024: 2019 में, BJP ने अकेले चुनाव लड़ा और 10 सीटों का शानदार प्रदर्शन किया, जबकि कांग्रेस कोई भी सीट नहीं जीत पाई और उसका सामूहिक वोट शेयर 28 प्रतिशत पर स्थिर रहा। बीजेपी की हिस्सेदारी बढ़कर 58 प्रतिशत हो गई, जो 2014 के प्रदर्शन से 23 प्रतिशत ज्यादा है

अपडेटेड May 23, 2024 पर 4:08 PM
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Haryana Lok Sabha Chunav: जाटों के सहारे पार लगेगी कांग्रेस की नाव, या पूरा होगा बीजेपी का 10 में से 10 का सपना?

जब से भारतीय जनता पार्टी ने जाट बहुल हरियाणा में गैर-जाट गठबंधन के विचार पर जोर देना शुरू किया है, तब से पार्टी के लिए बहेद ही चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में, बीजेपी ने हरियाणा की 10 सीटों में से सात सीटें जीतीं। बीजेपी ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि हरियाणा जनहित कांग्रेस ने तीन सीटों पर उसके सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन कोई भी जीत नहीं पाई, जबकि INLD ने दो सीटें जीतीं और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली।

2019 में, BJP ने अकेले चुनाव लड़ा और 10 सीटों का शानदार प्रदर्शन किया, जबकि कांग्रेस कोई भी सीट नहीं जीत पाई और उसका सामूहिक वोट शेयर 28 प्रतिशत पर स्थिर रहा। बीजेपी की हिस्सेदारी बढ़कर 58 प्रतिशत हो गई, जो 2014 के प्रदर्शन से 23 प्रतिशत ज्यादा है।

लेकिन इस बार जाट एकजुट होकर कांग्रेस के पीछे खड़े हैं, ऐसे में क्या सबसे पुरानी पार्टी कुछ सीटें छीनकर BJP का 10 में 10 सीटें जीतने का सपना तोड़ सकती है?


जाट एकजुट होकर मतदान करना चाहते हैं

2019 के विधानसभा चुनाव में जाट दुष्यन्त चौटाला की नई पार्टी JJP के साथ मजबूती से खड़े रहे, लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद, उन्होंने बीजेपी के साथ चुनाव बाद गठबंधन किया, जिससे उन्हें जाटों के बीच 'गद्दार' का टैग मिला।

देवीलाल की असली जाट पार्टी INLD उस पार्टी की याद दिलाती है, जिसकी कभी इस मिल्क बेल्ट में शानदार मौजूदगी थी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, जो खुद एक जाट हैं, उन्होंने जाटों से अपने वोट न बंटने का आग्रह किया है। आमतौर पर ये धारणा है कि ज्यादातर जाट रोहतक, हिसार, कुरूक्षेत्र और सिरसा जैसी जाट बहुल सीटों पर कांग्रेस को वोट देंगे।

राज्य की आबादी में जाटों की संख्या लगभग 26-28 प्रतिशत है। जबकि बीजेपी ने दलित, ब्राह्मण, गुज्जर, बनिया और पंजाबियों के अपने आजमाए हुए गैर-जाट गठबंधन को काम में लगाया है, कांग्रेस के पास इन चार सीटों पर एक वास्तविक मौका है।

मैं पोस्टल बैलेट में हार गया: हुड्डा

तीन बार सांसद रहने के बाद भी दीपेंद्र हुड्डा पिछले लोकसभा चुनाव में 7,000 वोटों से हार गए थे। उन्होंने कहा, “पिछली बार, कई मुद्दे थे। मैं रोहतक में लगभग 7,000 वोटों से हार गया... मैं EVM गिनती में जीत गया, लेकिन मैं पोस्टल बैलेट में हार गया।"

हालांकि, उन्हें इस बार न केवल रोहतक बल्कि हरियाणा की ज्यादातर सीटों पर जीत की उम्मीद है। हालांकि, यह एक बड़ा दावा हो सकता है, लेकिन कांग्रेस निश्चित रूप से इन चार सीटों पर लड़ाई में है।

इसी तरह, सोनिया गांधी की वफादार कुमारी शैलजा, जिन्हें सिरसा से मैदान में उतारा गया है, उन्होंने दावा किया कि वो "जीत" रही हैं। हिसार कांग्रेस के उम्मीदवार जय प्रकाश ने भी ऐसा ही कहा हैं। हिसार से तीन बार के सांसद रहे हैं और उन्होंने 1990 में चंद्र शेखर के मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री के रूप में भी कार्य किया।

कहना आसान है करना मुश्किल

जहां इन चार लोकसभा सीटों पर जाटों का समर्थन कांग्रेस को शुरुआती बढ़त देता है, वहीं जवाबी ध्रुवीकरण और भी बड़ा है। एक बात ये भी सामने आई है, जब बीजेपी को वोट देने की बात आती है, जहां जाटों का एकीकरण हुआ है, तो वाल्मिकी, गुज्जर और ब्राह्मण जैसी अलग-अलग जातियां कैसे एकजुट हो जाती हैं।

उदाहरण के लिए, हिसार को ले लीजिए, जहां 33% जाट हैं। सभी गैर-जाट समुदाय बीजेपी उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला का समर्थन करने के लिए एक साथ आए हैं। संयोग ये है कि चौटाला खुद एक जाट हैं।

हिसार में 70,000 से ज्यादा प्रजापति/कुम्हार, 1,80,000 से ज्यादा ब्राह्मण, 65,000 पंजाबी और 36,000 से ज्यादा बिश्नोई हैं, और बाकी 4,00,000 मतदाता अलग-अलग अनुसूचित जातियों और पिछड़े वर्गों से हैं।

बीजेपी के साथ जा रही हैं ये जातियां

वाल्मिकी समुदाय से आने वाले मतदाता लकी ने News18 को बताया कि हिसार में लगभग सभी समुदाय (जाटों को छोड़कर) बीजेपी को वोट देंगे। गुज्जर समुदाय के स्थानीय निवासी नीरज और जाखड़ समुदाय के सुरेंद्र जाखड़ ने भी कहा कि गुज्जर और जाखड़ बीजेपी को अपना समर्थन देंगे।

साथ ही, इन चार सीटों पर कांग्रेस का मुकाबला करने के लिए, बीजेपी ने हिसार में चौटाला परिवार से एक जाट को मैदान में उतारा है। सिरसा में हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रमुख अशोक तंवर, रोहतक में वर्तमान सांसद अरविंद शर्मा, जो एक गैर-जाट हैं और पूर्व कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल कुरूक्षेत्र से।

हालांकि, बीजेपी को ये इस बात का ध्यान रखना होगा कि वो जाटों की तरह ही अपने गैर-जाट वोट को कुछ इस तरह से एकजुट रख पाए कि वो भीषण गर्मी के बावजूद चुनाव के दिन बूथ तक पहुंच जाएं। अगर ऐसा नहीं होता है, तो कांग्रेस के पास पूरा मौका होगा कि वो राज्य में बीजेपी के 100% स्ट्राइक रेट को तोड़ दे।

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