Haryana Loksabha Election: करनाल में बीजेपी के दिग्गज नेता मनोहर लाल को टक्कर दे पाएंगे कांग्रेस के युवा दिव्यांशु बुद्धिराजा?
Haryana Lok Sabha Chunav 2024: करनाल में 2024 के चुनाव के लिए मैदान में दूसरे उम्मीदवारों में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार, 70 साल के मनोहर लाल खट्टर, और कांग्रेस के 31 साल के दिव्यांशु बुद्धिराजा शामिल हैं
Haryana Loksabha Election: करनाल में बीजेपी के दिग्गज नेता मनोहर लाल को टक्कर दे पाएंगे कांग्रेस के युवा दिव्यांशु बुद्धिराजा?
हरियाणा में करनाल लोकसभा क्षेत्र एक शाही लड़ाई का गवाह बनने के लिए पूरी तरह तैयार है। यहां युवा बनाम अनुभवी चेहरे के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है। 25 मई को लोकसभा चुनाव के छठे चरण में हरियाणा की 10 सीटों पर मतदान होगा। करनाल में 2024 के चुनाव के लिए मैदान में दूसरे उम्मीदवारों में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार, 70 साल के मनोहर लाल खट्टर, और कांग्रेस के 31 साल के दिव्यांशु बुद्धिराजा शामिल हैं। सत्ता-विरोधी लहर, कुछ विवाद, कुछ भीतरी असंतोष, सभी को एक साथ मिलाकर, मुख्यमंत्री बदलने की अटकलें तेज थीं।
ऐसी खबरें कुछ समय से आ रही थीं और इस साल के आखिर में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद के साथ, बीजेपी नेतृत्व ने कथित तौर पर खट्टर को राज्य की राजनीति से हटाने का फैसला किया।
PM मोदी को खट्टर ने खुद दिया था CM बदलने का सुझाव
लगभग उसी समय, जननायक जनता पार्टी (JJP) के अध्यक्ष दुष्यंत सिंह चौटाला ने BJP से नाता तोड़ते हुए उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस बीच, तीन निर्दलीय विधायकों ने भी राज्य सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री ने दोहराया है कि उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में बदलने का निर्णय ऊपर से कोई आश्चर्यजनक निर्णय नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्होंने एक साल से भी ज्यादा समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ये सुझाव दिया था। उन्होंने और उनके कैबिनेट सहयोगियों ने 12 मार्च, 2024 को इस्तीफा दे दिया और नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया।
2014 में खट्टर के विरोध में थे बीजेपी नेता
जब 2014 में, खट्टर को करनाल निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी का उम्मीदवार बनाया गया था, तो उन्हें "बाहरी" करार दिया गया था और स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा था।
उन्होंने नेतृत्व से उनकी जगह किसी स्थानीय उम्मीदवार को मैदान में उतारने की मांग की। हालांकि, मोदी लहर की बदौलत वो बड़े अंतर 63,000 से ज्यादा वोट के साथ जीते। 2019 में ये अंतर 45,000 से ज्यादा वोटों का हो गया।
26 अक्टूबर, 2014 को अपने शपथ ग्रहण समारोह के बाद वो हरियाणा के बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री बने। JJP के साथ गठबंधन के साथ, 27 अक्टूबर, 2019 को खट्टर ने दूसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
लोकसभा और उसके बाद होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में सत्ता परिवर्तन के साथ, BJP ने JJP के साथ अपना साढ़े चार साल का गठबंधन भी खत्म कर दिया है।
निवर्तमान मुख्यमंत्री सैनी 2019 में कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से जीते। वो राज्य बीजेपी इकाई के अध्यक्ष हैं, और OBC समुदाय से हैं। वो अब करनाल की विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, जो खट्टर ने छोड़ी है।
कौन हैं कांग्रेस के दिव्यांशु बुद्धिराजा?
कांग्रेस ने अपनी युवा शाखा के प्रदेश अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा को खट्टर के खिलाफ लोकसभा चुनाव में और तरलोचन सिंह को विधानसभा चुनाव में सैनी के खिलाफ मैदान में उतारा है।
खट्टर और बुद्धिराजा दोनों पंजाबी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक के रूप में उनके शुरुआती दिनों से ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी सहयोगी माना जाता है।
खट्टर की मेहमाननवाजी को नहीं भूले मोदी
ऐसे किस्से हैं कि राजनीति में अपने शुरुआती दिनों के दौरान खट्टर मोदी को मोटरसाइकिल पर ले जाते थे। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, प्रधानमंत्री खट्टर की मेहमाननवाजी को नहीं भूले हैं और वो अब भी उनके साथ खड़े हैं।
इस बीच, बुद्धिराजा को कथित तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के करीबी नेताओं में से एक माना जाता है। बुद्धिराजा ने 2013 में कांग्रेस पार्टी की छात्र शाखा नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और 2017-2021 के बीच इसके प्रदेश अध्यक्ष रहे। बाद में उन्हें युवा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष चुना गया।
हरियाणा संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम, 1989 के तहत पंचकुला में पुलिस के एक आपराधिक मामले के बाद बार-बार अदालत में पेश नहीं होने पर उन्हें 'घोषित अपराधी' करार दिया गया था। गिरफ्तारी के डर से, बुद्धिराजा ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में FIR को चुनौती दी थी।
कैसा था पिछले चुनाव में वोटों का गणित?
2019 के लोकसभा चुनाव में इस निर्वाचन क्षेत्र में 19,04,193 मतदाता थे, जिनमें से 13,00,722 यानी 68.31% ने वोट किया। बीजेपी के संजय भाटिया ने अपने विरोधी कांग्रेस के कुलदीप शर्मा को करीब 6.6 लाख वोटों से हराया।
1952 और 1957 के पहले दो चुनाव कांग्रेस के पक्ष में गए, जिसमें 1962 में भारतीय जनसंघ ने जीत दर्ज की। तब से, 1977 और उसके बाद अगले साल हुए उप-चुनाव को छोड़कर, कांग्रेस इस सीट पर हावी रही है।
सबसे पहले 1996 में बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा कर लिया। पिछले दो चुनाव- 2014 और 2019 में बीजेपी ने ही यहां से जीत हासिल की।
2024 में बीजेपी उम्मीदवारों को कुछ किसान यूनियनों के प्रदर्शन का सामना करना पड़ रहा है, जिनकी हरियाणा में मजबूत उपस्थिति है। वे फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को संशोधित नहीं करने, विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ 16 महीने लंबे (2020-2021) आंदोलन के दौरान किसानों की गिरफ्तारी, जिन्हें बाद में वापस ले लिया गया था, समेत अन्य शिकायतों के लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार मानते हैं। संयोग से, केंद्र सरकार ने एक समिति बनाई है, जो किसानों की शिकायतों पर गौर कर रही है।
ऐसे और भी कई मुद्दे और इतिहास इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। करनाल शहर महान योद्धा कर्ण के चरित्र से जुड़ा हुआ है। अब देखना यह है कि 4 जून को इस राजनीतिक लड़ाई में कौन विजयी होता है।