Lok Sabha Election 2024: बड़ी ही रोचक हो गई अमेठी की लड़ाई, अपनों को मनाने में जुटे BJP और I.N.D.I.A. गुट, कहीं हो न जाए कुछ खेल?
Lok Sabha Chunav 2024: संजय सिंह को लेकर तरह-तरह के सवाल हैं कि वो अपनी पार्टी यानि बीजेपी की मदद कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं? अमित शाह के रोड शो के समय भी संजय सिंह दिल्ली में थे। इस तरह संजय सिंह ने प्रचार से दूरी बनाए रखी। यही नहीं गौरीगंज से ही समाजवादी पार्टी के विधायक राकेश प्रताप सिंह कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा के बजाय स्मृति ईरानी का प्रचार कर रहे हैं
Lok Sabha Election 2024: बड़ी ही रोचक हो गई अमेठी की लड़ाई, अपनों को मनाने में जुटे BJP और I.N.D.I.A. गुट
अमेठी के चुनावी रण में कौन किसके साथ है, ये बहुत ही दिलचस्प कथा है। ये कहानी उलझी हुई है। चुनाव से ज्यादा ये कहानियां यहां चल रही हैं कि कौन कहां किसको काट रहा है। यहां दलीय सीमाएं भंग हो रही हैं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अपनी सीट बचाने के लिए उन तमाम कार्यकर्ताओं को मनाने और समझाने में लगी हैं, जो किन्हीं कारणों से नाराज हो गए थे। वास्तव में बीजेपी के अंदर भी कई अंतर विरोध हैं और महागठबंधन के अंदर भी। स्मृति ईरानी को अपनों से निपटना मुश्किल हो रहा है और I.N.D.I.A. गठबंधन को भी। तमाम समीकरण गड़बड़ हो गए हैं। बीजेपी के नेता और अमेठी के राजा डॉक्टर संजय सिंह महल में ही रहे और प्रचार के लिए निकले नहीं और 2022 में संजय सिंह के खिलाफ समाजवादी पार्टी के टिकट से अमेठी विधानसभा चुनाव जीती गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति अपने परिवार के साथ स्मृति ईरानी के प्रचार में लगी हैं।
संजय सिंह को लेकर तरह-तरह के सवाल हैं कि वो अपनी पार्टी यानि बीजेपी की मदद कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं? अमित शाह के रोड शो के समय भी संजय सिंह दिल्ली में थे। इस तरह संजय सिंह ने प्रचार से दूरी बनाए रखी। यही नहीं गौरीगंज से ही समाजवादी पार्टी के विधायक राकेश प्रताप सिंह कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा के बजाय स्मृति ईरानी का प्रचार कर रहे हैं।
सपा के विधायकों ने बढ़ाई पार्टी की टेंशन
सपा के इन दोनों विधायकों का बीजेपी के पक्ष में प्रचार समाजवादी पार्टी को परेशान कर रहा है। दूसरी और राज्य सरकार के मंत्री और राजा तिलोई मयंकेश्वर शरण सिंह स्मृति ईरानी से नाराज बताए जा रहे हैं, लेकिन वो पार्टी की सभा में शामिल होते हैं। साफ है कि समाजवादी पार्टी के दो विधायक महाराजी प्रजापति और गौरीगंज के राकेश प्रताप सिंह अपनी पार्टी को हराने पर उतारू हैं।
इतनी कड़ी धूप और लू के बीच प्रियंका गांधी जगह-जगह कर सभाएं कर रही हैं और किशोरीलाल शर्मा को जिताने के लिए प्रचार कर रही हैं। वो पुराने कांग्रेसियों को भी जोड़ रही हैं। वो उन्हें फोन भी करती हैं।
रूठने और मनाने का सिलसिला
अमेठी में रूठने और मनाने का सिलसिला प्रचार के अंतिम दिन तक भी जारी रहा। कांग्रेस की कोशिश है कि किसी तरह वो अपने पुराने किले को वापस जीत ले और भारतीय जनता पार्टी 2019 के इतिहास को बरकरार रखना चाहती है।
स्मृति ईरानी लगातार इलाके का दौरा करती रही हैं, लेकिन बीजेपी के कुछ कार्यकर्ता कहते हैं कि स्मृति ईरानी ने यहां काम बहुत किया है, अमेठी का विकास भी हुआ है, लेकिन वो अपनी वाणी से कुछ अपनों को ही नाराज कर देती हैं। स्मृति ईरानी अवधी भाषा में ही सबसे हाल-चाल पूछती हैं- "का हाल-चाल है दादा?" वो अपने प्रचार में ऊन विकास कार्यों को गिनाती हैं, जो उनके कार्यकाल के दौरान हुए।
मैदान में जुटी हैं प्रियंका गांधी
जबकि प्रियंका गांधी सहित सभी कांग्रेस के नेता बेरोजगारी, महंगाई और पेपर लीक जैसे मामले को उठा रहे हैं। इस लड़ाई में स्थानीय मुद्दे हैं, लेकिन राष्ट्रीय मुद्दे भी हावी हैं। अमेठी की टक्कर कितनी कड़ी है इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि स्मृति ईरानी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी दोनों ही लगभग 15-15 नुक्कड़ सभाएं कर रही हैं।
कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं की अपनी अलग पीड़ा है कि 5 साल तक कांग्रेस नेतृत्व ने अमेठी की ओर रुख भी नहीं दिया और अब चुनाव के समय बाजी को पलट देना चाहते हैं। कांग्रेस ने 2019 की हार के बाद अमेठी की ओर पलट कर नहीं देखा और बीजेपी इसी मुद्दे को उठा रही है।
बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए आसान नहीं
गौरीगंज के ही शिव पूजन कहते हैं कि अमेठी की लड़ाई आसान नहीं है, चाहे कांग्रेस के लिए, हो चाहे बीजेपी के लिए। सबके लिए ये मुश्किल लड़ाई है। वास्तव में पिछले चुनाव में इस सीट पर राहुल गांधी चुनाव लड़े थे और उन्हें समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों का समर्थन हासिल था। इसके बावजूद राहुल गांधी चुनाव हार गए।
इस बार राहुल गांधी अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव मैदान में हैं और इस सीट पर गांधी परिवार के काफी नजदीकी किशोरी लाल शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। किशोरी लाल शर्मा चेहरा भले ही हैं, लेकिन मुख्य लड़ाई गांधी परिवार ही लड़ रहा है।
गांधी परिवार इस सीट को जीत कर यह साबित कर देना चाहता है कि पिछली बार अमेठी के लोगों से यह गलती हो गई थी कि उन्होंने राहुल गांधी को हरा दिया था। इस बार मतदाता प्रायश्चित करना चाहते हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के एक कार्यकर्ता जितेंद्र कुमार कहते हैं की इस बार फिर कांग्रेस हारने जा रही है।
क्या कहतें हैं वोटर?
इसका कारण वो ये बताते हैं कि सवर्ण मतदाताओं का बड़ा वर्ग बीजेपी के साथ है। इसके साथ ही अति पिछड़े वोटों का बड़ा हिस्सा स्मृति ईरानी को वोट दे रहा है। अब जो चुनौती राहुल गांधी के लिए थी, वही स्मृति ईरानी के लिए भी है, उनके लिए भी तमाम सवाल उठ रहे हैं।
मुसाफिरखाना के इश्तियाक मियां कहते हैं कि अमेठी का कोई विकास नहीं हुआ है। दावे कोई भी करें, यह अलग बात है कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता अंशु कहते हैं की अगर अमेठी से कांग्रेस को इतना ही प्रेम है, तो हारने के बाद राहुल गांधी अमेठी लौटे क्यों नहीं और गलत बयान क्यों देते रहे।
BSP का क्या है हाल?
पिछले चुनाव और इस चुनाव में एक अंतर है। बहुजन समाज पार्टी के नन्हे सिंह चौहान इस बार मैदान में हैं। उन्हें BSP सुप्रीमो मायावती ने टिकट दे दिया है। अब उनके सामने जो भी पड़ता है, लपक कर पैर छू लेते हैं। ऐसा लगता है कि बसपा का पारंपरिक मतदाता बसपा के साथ ही जा रहा है।
पिछली बार सपा और बसपा दोनों का समर्थन कांग्रेस को था। इसका नुकसान किसको होगा? स्मृति ईरानी को या किशोरी लाल शर्मा को। महागठबंधन के प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा को वैसे तो हर वर्ग का वोट मिल रहा है, लेकिन मुस्लिम यादव मतदाता एकजुट होकर उनके पक्ष में जा रहा है।
बीजेपी को मिल रहा सवर्ण और अति पिछड़ा वोट
वहीं भारतीय जनता पार्टी को सवर्ण मतदाताओं का बड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वोट मिल रहा है। अमेठी और रायबरेली वो सीट है, जहां पर कांग्रेस का अपना मजबूत जनाधार रहा है। गांधी परिवार की ओर से संजय गांधी राजीव गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और गांधी परिवार के नजदीकी कैप्टन सतीश शर्मा प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
1999 में सोनिया गांधी अमेठी से सांसद हुई थी, लेकिन 2004 में उन्होंने यह सीट राहुल गांधी के लिए छोड़ दी थी। इस बार यह लड़ाई बहुत मुश्किल और रोचक है । कांग्रेस को लगता है की अमेठी की जनता यह महसूस कर रही है कि 2019 में राहुल गांधी को हरा कर उससे गलती हुई, लेकिन भारतीय जनता पार्टी इस दावे से चुनाव लड़ रही है कि अमेठी के लोगों ने विकास का रास्ता देख लिया है। फिलहाल यहां रोचक लड़ाई देखने मिल रही है।