कांग्रेस खासकर गांधी परिवार अपने गढ़ अमेठी और रायबरेली को जीतने के लिए खूब मेहनत कर रहे हैं। इस बीच देश की सबसे पुरानी पार्टी ने बुधवार को सोनिया और राहुल गांधी का एक वीडियो जारी कर दोनों ही संसदीय क्षेत्र के लोगों के लिए एक भावुक संदेश देने की कोशिश की। पार्टी ने 'सेवा की परंपरा' के जरिए मतदाताओं को भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की है। उसे उम्मीद है कि ये 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए तुरुप का पत्ता बनकर उभरेगी।
अमेठी और रायबरेली में चुनाव प्रचार खत्म होने में लगभग चार दिन बचे हैं। ऐसे में कांग्रेस ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी एक पुराने फैमली एल्बम देख रहे हैं, जिसमें राजीव गांधी और बाकी लोगों की तस्वीरें हैं। इस वीडियो के जरिए उन्होंने ये साबित करने की कोशिश की कि अमेठी और रायबरेली से गांधी परिवार का एक पुराना रिश्ता है।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "रायबरेली और अमेठी हमारे लिए सिर्फ चुनाव क्षेत्र नहीं, हमारी कर्मभूमि है, जिसका कोना-कोना पीढ़ियों की यादें संजोए हुए है। मां के साथ पुरानी तस्वीरें देखकर पापा और दादी की याद भी आ गई, जिनकी शुरू की गई सेवा की परंपरा मैंने और मां ने आगे बढ़ाई। प्रेम और विश्वास की बुनियाद पर खड़े 100 सालों से भी पुराने इस रिश्ते ने हमें सब कुछ दिया है। अमेठी और रायबरेली जब भी हमें पुकारेंगे, हम वहां मिलेंगे।"
अमेठी की लड़ाई ज्यादा मुश्किल है, क्योंकि ये सीट अब बीजेपी के पास है। ऐसे में प्रियंका गांधी ने खुद सीधे तौर पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से मुकाबला करने का बीड़ा उठाया है।
अमेठी में एक नई कहानी गढ़ने में लगी है कांग्रेस
अमेठी में कांग्रेस ने अपनी योजना के तहत यह कहानी गढ़ने का फैसला किया है कि ईरानी ने अमेठी से इसलिए चुनाव नहीं लड़ा क्योंकि उन्हें या बीजेपी को इस निर्वाचन क्षेत्र की परवाह थी, बल्कि इसलिए कि वे राहुल गांधी पर हमला करने के एजेंडे या बदले की भावना से मैदान में उतरी हैं।
इसलिए, जहां भी प्रियंका वाड्रा प्रचार करती हैं, वो ही सिर्फ मंत्री पर निशाना साधती हैं। दरअसल, कांग्रेस ने एक और वीडियो जारी किया है, जिसमें कांग्रेस की तरफ से अपने घोषणापत्र में किए गए वादे के मुताबिक 1 लाख रुपए प्रति वर्ष के लिए महिलाएं कतार में खड़ी दिख रही हैं। वीडियो में ईरानी के प्रसिद्ध और लोकप्रिय धारावाहिक का एक गाना है- 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' भी चल रहा है।
देर से मैदान में उतरने के बाद, कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली दोनों जीतने की ये शायद आखिरी कोशिश है। जहां बीजेपी विकास कार्ड खेल रही है, तो वहीं सबसे पुरानी पार्टी समर्थन और सहानुभूति पाने के लिए गांधी परिवार कार्ड पर अपना दांव लगा रही है।