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Loksabha Chunav Rae Bareli: रायबरेली में फिरोज गांधी ने रखी थी कांग्रेस की मजूबत नींव, आज तक कांग्रेस का गढ़ है ये सीट

Lok Sabha Election 2024: रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र में फिरोज गांधी की ओर से रखी गई मजबूत नींव को उनकी पत्नी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने और मजबूती दी और 1967, 1971 और 1980 के चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की। राहुल को अमेठी के बदले रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारने के पीछे पार्टी का आकलन है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के लिए रायबरेली, अमेठी से बेहतर और सुरक्षित सीट है

अपडेटेड May 03, 2024 पर 5:49 PM
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Loksabha Chunav Rae Bareli: रायबरेली में फिरोज गांधी ने रखी थी कांग्रेस की मजूबत नींव

कांग्रेस की ओर से उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट पर अचानक राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाये जाने से एक बार फिर ये सीट सुर्खियों में हैं। रायबरेली सीट को ‘VVIP’ सीट भी कहा जाता है, जहां से पहले दो आम चुनाव में राहुल के दादा फिरोज गांधी विजयी हुए थे। रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र में फिरोज गांधी की ओर से रखी गई मजबूत नींव को उनकी पत्नी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने और मजबूती दी और 1967, 1971 और 1980 के चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की।

इंदिरा गांधी ने 1980 में दो सीट से चुनाव लड़ा, जिनमें रायबरेली और मेडक (तेलंगाना) लोकसभा सीट शामिल हैं। हालांकि, उन्होंने बाद में मेडक सीट अपने पास रखने का फैसला किया। उसके बाद अरुण नेहरू ने 1980 के उपचुनाव और 1984 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में रायबरेली पर कांग्रेस का परचम लहराये रखा।

गांधी परिवार के करीबियों के पास ही रही ये सीट


पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के करीबी माने जाने वाले अरुण नेहरू से लेकर शीला कौल तक रायबरेली सीट गांधी परिवार के सदस्यों और उनके करीबियों के पास ही रही।

फिरोज गांधी के निधन के बाद 1960 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के आरपी. सिंह ने रायबरेली सीट पर जीत हासिल की थी, वहीं 1962 के चुनाव में कांग्रेस नेता बैजनाथ कुरील ने इस सीट पर कब्जा जमाया था।

इंदिरा गांधी की रिश्तेदार शीला कौल ने 1989 और 1991 में रायबरेली का प्रतिनिधित्व संसद में किया था।

गांधी परिवार के एक और मित्र सतीश शर्मा ने 1999 में रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और उसके बाद सोनिया गांधी की राजनीति में एंट्री हुई।

कब-कब यहां से जीती BJP?

साल 1977 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी के राज नारायण ने इंदिरा गांधी को हराया था, जो उस समय प्रधानमंत्री थीं। वहीं 1996 और 1998 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अशोक सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवारों को शिकस्त दी थी।

सोनिया गांधी ने चुनावी राजनीति में प्रवेश करने के लिए 1999 में अमेठी सीट चुनी थी, लेकिन 2004 में उन्होंने अमेठी सीट राहुल के लिए छोड़ दी। सोनिया गांधी ने 2004 से 2019 तक चार बार रायबरेली सीट पर जीत हासिल की हालांकि उनकी जीत का अंतर कम होने लगा था।

राहुल के लिए अमेठी से बेहतर है रायबरेली

राहुल को अमेठी के बदले रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारने के पीछे पार्टी का आकलन है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के लिए रायबरेली, अमेठी से बेहतर और सुरक्षित सीट है। उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी में BJP की स्मृति ईरानी से लगभग 50,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।

अमेठी में स्मृति ईरानी के लिए मुकाबला आसान हो जाने को लेकर कांग्रेस की हो रही आलोचना के बीच, सूत्रों ने बताया कि पार्टी का मानना है कि गांधी परिवार के लिए रायबरेली का ऐतिहासिक, भावनात्मक और चुनावी महत्व अमेठी से कही ज्यादा है।

सोनिया गांधी ने रायबरेली के लोगों को दिए अपने विदाई संदेश में विश्वास जताया था कि यह सीट हमेशा उनके व गांधी परिवार के साथ रही है और यहां की जनता भविष्य में भी उनके परिवार को समर्थन देती रहेगी।

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