भारतीय जनता पार्टी ने पेमा खांडू को लगातार तीसरी बार अरुणाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना। उन्हें विधायक दल की बैठक में फिर से नेता चुना गया और आज ही वो सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। बैठक में बीजेपी के केंद्रीय पर्यवेक्षक रवि शंकर प्रसाद और तरुण चुघ शामिल हुए। पूर्वोत्तर राज्य ने बीजेपी को स्पष्ट जनादेश दिया और पार्टी 60 सदस्यीय विधानसभा में 46 सीटें जीतकर सत्ता में लौट आई। BJP ने अरुणाचल प्रदेश की दोनों लोकसभा सीटों पर भी जीत हासिल की, जिनके लिए चुनाव 19 अप्रैल को राज्य में विधानसभा चुनाव के साथ ही हुए थे।
4 जून को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद, कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने भी अरुणाचल प्रदेश में खांडू के नेतृत्व वाली सरकार को अपना समर्थन दिया। मेघालय स्थित पार्टी नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) की सहयोगी है।
राज्य इकाई के अध्यक्ष थांगवांग वांगम ने कहा कि पार्टी ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में लोगों के जनादेश को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने राज्य में लोगों की आकांक्षाओं को बनाए रखने के लिए अपनी पार्टी की प्रतिबद्धता का आश्वासन देते हुए कहा, "हम लोगों की ओर से दिए गए जनादेश को स्वीकार करते हैं।"
विधानसभा चुनाव में NPP को पांच सीटें मिलीं, जबकि NCP ने तीन, PPA ने दो, कांग्रेस ने एक और तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की।
अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार में जन्मे पेमा खांडू ने अपनी शुरुआती पढ़ाई तवांग में पूरी की और बाद में नई दिल्ली में हायर एजुकेशन ली, जहां उन्होंने प्रतिष्ठित हिंदू कॉलेज में दाखिला लिया।
पेमा खांडू का राजनीतिक करियर उनके पिता, दोरजी खांडू की 2011 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु के बाद शुरू हुआ। वो 2011 में मुक्तो निर्वाचन क्षेत्र से अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए, ये सीट पहले उनके पिता के पास थी।
2016 में, पेमा खांडू ने नबाम तुकी के बाद अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। सितंबर में,वो कांग्रेस विधायकों के एक गुट को लेकर एक क्षेत्रीय पार्टी पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (PPA) में शामिल हो गए, और इस तरह PPA के बैनर तले मुख्यमंत्री बने। दिसंबर तक, पेमा खांडू और उनका गुट भारतीय जनता पार्टी (BJP) में फिर से शामिल हो गए, जिससे भाजपा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हो गई।