प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को पाकिस्तान की चिंता का सबसे बड़ा कारण बताते हुए कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से लाहौर का दौरा किया और पड़ोसी देश की 'शक्ति' का अंदाजा लगाया। प्रधानमंत्री का तंज कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के उस बयान के संदर्भ में आया, जिसमें उन्होंने कहा था, "भारत को पाकिस्तान का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि उसके पास परमाणु बम है।" इंडिया टीवी के साथ एक इंटरव्यू के दौरान, पीएम मोदी ने 2015 में अपनी लाहौर यात्रा को याद करते हुए कहा, “उस ताकत को मैं खुद लाहौर जाकर चेक करके आया हूं।”
उन्होंने कहा कि लाहौर की अपनी यात्रा के समय, पाकिस्तान में एक पत्रकार ने आश्चर्य जताते हुए कहा, "हाय अल्लाह तौबा, बिना वीजा के आ गए, मैंने उन्हें बताया कि किसी समय पर यह मेरा ही देश था।"
'टारगेट किलिंग' के आरोपों पर बोले मोदी
प्रधानमंत्री ने इस आरोप का भी जवाब दिया कि आतंकवादियों की 'टारगेट किलिंग' के पीछे भारत का हाथ है। मोदी ने कहा कि वो जानते हैं कि पाकिस्तान के लोग चिंतित हैं और उनकी चिंता का मूल कारण वही हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि वो यह समझ पा रहे हैं कि भारत में कुछ लोग इस मुद्दे पर क्यों रो रहे हैं।
उन्होंने कहा, “मुझे पता है, पाकिस्तान के लोग आजकल चिंतित हैं। मैं यह भी जानता हूं कि उनकी चिंताओं का असली कारण मैं ही हूं, लेकिन मैं ये भी जानता हूं कि हमारे देश में भी कुछ लोग चिंतित हैं। वो रोते रहें समझ में आ सकता है, यहां वाले क्यों रोते हैं, ये मैं समझ नहीं सकता हूं।"
पाकिस्तान और कसाब के पक्ष में बयान कैसे दे सकते हैं?
कांग्रेस पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए मोदी ने कहा, ''एक सम्मानित पार्टी के नेता, जिसने 60 सालों तक हमारे देश पर शासन किया और 26/11 के मुंबई हमलों के दौरान सत्ता में थी, उन्होंने एक बार आरोप लगाया था कि ये हमले के पीछे पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब और उसके लोग नहीं थे, बल्कि हमारे लोग थे, जिन्होंने हमारे ही देशवासियों को मार डाला। ये वाकई दुखद है। ऐसा नेता पाकिस्तान और अजमल कसाब के पक्ष में बयान कैसे दे सकता है? जब भी मैं ऐसी कोई टिप्पणी सुनता हूं तो मेरा सिर शर्म से झुक जाता है। मुझे दुख होता है।”
इससे पहले गुरुवार को, पंजाब के पटियाला में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए, मोदी ने कहा कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में 90,000 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्होंने कहा कि अगर वो सत्ता में होते तो, उनके सैनिकों को रिहा करने के बदले करतापुर साहिब को पाकिस्तान से ले लेते।
उन्होंने देश के विभाजन के लिए कांग्रेस को भी जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उन्होंने सत्ता के लिए ऐसा किया। विभाजन के बाद करतार साहिब पाकिस्तान के पंजाब में भारत की सीमा से कुछ ही किलोमीटर दूर रह गया। मोदी ने कहा, "70 साल तक हम करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन केवल दूरबीन से ही कर पाते थे।"
उन्होंने कहा कि 1971 में करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को वापस लेने का अवसर सामने आया, जब 90,000 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और "हमारे हाथ में तुरुप का इक्का था।"
उन्होंने कहा, "अगर मोदी उस समय वहां होता, तो मैं करतापुर साहिब को उनसे ले लेता और फिर उनके सैनिकों को मुक्त कर देता।"