लोकसभा चुनावों में एआईएडीएमके को एक भी सीट नहीं मिली। अब पार्टी ने तमिलनाडु में विक्रवंडी उपचुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है। इसकी कई वजहें हैं। हालांकि, एआईएडीएमके ने राज्य की डीएमके सरकार पर गड़बड़ी और अनियमितता के आरोप लगाए हैं। लेकिन, यह उपचुनाव के बहिष्कार की सही वजह नहीं है। दरअसल, लोकसभा चुनावों के कुछ ही दिन बाद एआईएडीमके दूसरी हार बर्दाश्त नहीं कर सकती। खासकर ऐसे निर्वाचन क्षेत्र में जहां डीएमके और एनडीए का सहयोगी दल पीएमके मजबूत स्थिति में है।
AIADMK ने उपचुनाव के बहिष्कार के पीछे की असल वजह नहीं बताई
लोकसभा चुनावों में AIADMK का प्रदर्शन एनडीए से बेहतर रहा। लेकिन, यह इतना अच्छा नहीं रहा कि वह BJP और PMK की मदद के बगैर DMK का मुकाबला कर सकेगी। पिछले हफ्ते एआईएडीएमके के महासचिव ई के प्लानीस्वामी ने विक्रवंडी उपचुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया। ऐसा माना जाता है कि पार्टी के इस फैसले के पीछे कुछ डर है तो कुछ उम्मीद है। उम्मीद यह है कि इससे तमिलनाडु में राजनीतिक समीकरण बदलेंगे। राज्य में एआईएडीमके की अगुवाई में दलों का मोर्चा बनेंगे, लेकिन बीजेपी इसकी शर्तें तय नहीं करेगी। डर यह है कि अगर उपचुनाव में एआईएडीएमके तीसरे पायदान पर आती है तो उसकी स्थिति और कमजोर हो जाएगी।
डीएमके और पीएमके घोषित कर चुके हैं उम्मीदवार
पलानीस्वामी ने 16 जून को कहा, "डीएमके विक्रवंडी को जीतने के लिए अपनी सत्ता और मंत्रियों के इस्तेमाल सहित किसी भी स्तर तक जा सकती है। इसलिए हम अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं करना चाहते हैं।" डीएमके और पीएमके विक्रवंडी के लिए पहले ही अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं। डीएमके के उम्मीदवार एस रामदोस होंगे जबकि पीएमके के सी अंबुमणि होंगे। यह घटनाक्रम ऐसे वक्त दिख रहा है जब एआईएडीमके से अलग हुए दल फिर से एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं।
पार्टी को फिर से एकजुट करने की कोशिश
पूर्व विधायक जेसीडी प्रभाकर और के सी पलानीसामी ने पलानीस्वामी, पनीरसेल्वम, जयललिता की सहयोगी शशिकला और एएमएमके नेता टीटीवी दिनाकरन को चिट्ठी लिखी है। इसमें फिर से एक साथ आने और एकजुट होने की जरूरत पर बल दिया गया है। इस मसले पर चर्चा के लिए नेताओं ने समय भी मांगा है। पलानासामी की अगुवाई वाली एआईएडीएमके एकता की इस कोशिश को खतरे के रूप में देख रही है। पलानीसामी ने न सिर्फ राजनीति के मैदान पर नेतृत्व की लड़ाई जीती है बल्कि कोर्ट में भी उनकी जीत हुई है। शशिकला और पनीरसेल्वम जैसे नेताओं के आने से पार्टी में सिर्फ गुटबाजी बढ़ेगी।
एआईएडीमके के नेताओं का एकसाथ आना आसान नहीं
एआईएडीमके तमिलनाडु में एनडीए की सहोयगी पार्टी तो बनना चाहेगी लेकिन वह पनीरसेल्वम और दिनाकरन को गठबंधन से बाहर रखना चाहेगी जो शशिकला परिवार के हिस्सा हैं। लेकिन, पलानीसामी शशिकला परिवार की तरफ बीजेपी के झुकाव का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। शशिकला पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। यह सच है कि बीजेपी ने शशिकला से चल रही लड़ाई में पनीरसेल्वम का साथ दिया था, लेकिन उसने दोनों से रिश्ता बनाए रखा है।