मिर्जापुर में मोदी योगी के सहारे क्या पार लग पाएगी अनुप्रिया पटेल की नाव, किसे मिलेगा मां विंध्यवासिनी का आशीर्वाद? वोटर बता रहे हैं मिजाज
Mirzapur Lok Sabha Chunav 2024: क्या अनुप्रिया पटेल का चुनाव फंस गया है? क्योंकि कुंडा के राजा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ भी अनुप्रिया पटेल ने बयान दिया और राजा भैया के लोग उन्हें हराना चाहते है, लेकिन अनुप्रिया पटेल के लिए जमीन भले ही मुश्किल हुई हो, लेकिन उनको हरा पाना इतना आसान नहीं है, जितना विरोधी सोच रहे हैं
मिर्जापुर में मोदी योगी के सहारे क्या पार लग पाएगी अनुप्रिया पटेल का नाव, किसे मिलगे मां विंध्यवासिनी का आशीर्वाद?
मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र से कभी दस्यु सुंदरी फूलन देवी जीती थीं और 2009 में दस्यु सरगना शिवकुमार पटेल उर्फ दुदुआ के भाई बालकृष्ण पटेल चुनाव जीते थे। दोनों ही चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीते थे। इन दोनों के चुनाव जीतने के बाद दस्यु सुंदरी सीमा परिहार एक बार मैदान में आईं, लेकिन वो चुनाव हार गईं। इस सीट पर अपना दल सोनेलाल की नेता अनुप्रिया पटेल दो बार चुनाव जीत चुकी हैं और इस बार फिर मैदान में हैं। उनके इस मजबूत किले को तोड़ने के लिए समाजवादी पार्टी ने बगल की सीट भदोही के सांसद रमेश बिंद को टिकट दे दिया है।
रमेश बिंद भारतीय जनता पार्टी के सांसद थे। जब टिकट नहीं मिला, तो समाजवादी पार्टी में चले आए और अब अनुप्रिया पटेल को चुनौती दे रहे हैं। क्या होगा इस चुनाव में? ये सवाल इसलिए अहम है, क्योंकि अनुप्रिया पटेल की बहन पल्लवी पटेल की पार्टी अपनादल कमेरा का प्रत्याशी भी जोर आजमाइश कर रहा है।
क्या अनुप्रिया पटेल का चुनाव फंस गया है? क्योंकि कुंडा के राजा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ भी अनुप्रिया पटेल ने बयान दिया और राजा भैया के लोग उन्हें हराना चाहते है, लेकिन अनुप्रिया पटेल के लिए जमीन भले ही मुश्किल हुई हो, लेकिन उनको हरा पाना इतना आसान नहीं है, जितना विरोधी सोच रहे हैं।
BSP ने लगाया ब्राह्मण चेहरे पर दांव
बहुजन समाज पार्टी ने यहां पर ब्राह्मणों की बड़ी संख्या देखते हुए मनीष तिवारी को टिकट दे दिया है। क्या ब्राह्मण मनीष तिवारी के पक्ष में मतदान कर देंगे। मिर्जापुर के ही शत्रोहन पांडे कहते हैं कि राम भजो राम भजो। ब्राह्मण क्यों जाने लगा हाथी के साथ। वो मोदी और योगी के साथ है। वो अनुप्रिया पटेल से नाराज है, लेकिन किसी कीमत पर सपा और बसपा के पक्ष में नहीं जाना चाहते।
वास्तव में यह चुनाव अनुप्रिया पटेल भले ही लड़ रही हों, लेकिन यहां पर योगी और मोदी का भी बहुत प्रभाव है और रमेश सिंह कहते हैं कि वो किसी को नहीं देख रहे हैं। वो सिर्फ मोदी, योगी के नाम पर वोट देने जा रहे हैं। "मैं ही क्यों बड़ी संख्या में लोग उन्हीं के नाम पर वोट देंगे और यही कारण है कि अनुप्रिया पटेल बहुत मजबूती से चुनाव मैदान में डटी हैं।
मिर्जापुर का पौराणिक महत्व
मां विंध्यवासिनी की धरती। मां गंगा भी इसे और पवित्र करती हुई गुजरती हैं। विंध्यावासनी धाम में कॉरिडोर बन चुका है। अब श्रद्धालुओं को काफी सुविधा है और जो भी यहां दर्शन करने आता है, वो सरकार की जय जयकार करता हुआ जाता है।
लोगों का विश्वास है की योग माया ही मां विंध्यवासिनी के रूप में यहां विराजित हुईं। दुर्गा सप्तशती और श्रीमद् भागवत में जिक्र किया गया है कि जिस रात कृष्ण का जन्म हुआ था, उसी रात यशोदा के गर्भ से आदि शक्ति योगमाया का जन्म हुआ था।
जब कंस ने बच्ची के शरीर को पत्थर से कुचलकर मारने की कोशिश की, तो वे चमत्कारिक रूप से उसकी पकड़ से दूर आकाश में चलीं गईं और देवी के दिव्य रूप में बदल गईं और कहा- 'ए दुष्ट तुझे मारने वाला ब्रजभूमि में पैदा हो चुका है। वही योग माया यहां प्रतिष्ठित हुई थीं।'
मां विंध्यवासिनी की भूमि पर बहुत ही रोचक चुनाव हो रहा है। समाजवादी पार्टी ने रमेश बिंद को सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर टिकट दिया है। इस क्षेत्र में बिंद मतदाता बड़ी संख्या में हैं। सपा नेताओं को उम्मीद है कि ये समीकरण उन्हें जीत के द्वार तक पहुंचा देगा, लेकिन चुनार के बचनू निषाद कहते हैं कि उन्हें कुछ ज्यादा बदलाव दिख नहीं रहा है।
कैसे थे पिछले चुनाव के नतीजे?
पिछले चुनाव में यानी 2019 में समाजवादी पार्टी और BSP का गठबंधन था। तब समाजवादी पार्टी ने रामचरित्र निषाद को टिकट दिया था और उनके पक्ष में मायावती का दलित वोटर भी था। इस क्षेत्र में निषाद मतदाता भी बहुत हैं। यही नहीं पंडित कमल त्रिपाठी के पोते ललितेश पति त्रिपाठी जो इस बार बगल की भदोही सीट से ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से प्रत्याशी हैं, तब वो कांग्रेस के प्रत्याशी थे और उन्हें 91,000 वोट भी मिला था।
इससे नुकसान अनुप्रिया पटेल का ही हुआ था। इसके बावजूद अनुप्रिया पटेल समाजवादी पार्टी प्रत्याशी से दो लाख 32,000 वोटों से चुनाव जीत गई थीं। इस बार भी कोई चमत्कार नहीं होने वाला। चुनार के ही देवेंद्र पटेल कहते हैं कि यादव और मुसलमान को छोड़कर सभी जातियां, बीजेपी प्रत्याशी के साथ हैं।
वो बताते हैं कि अनुप्रिया की बहन पल्लवी पटेल ने अनुप्रिया की राह रोकने के लिए एक प्रभावी उम्मीदवार दौलत सिंह पटेल को टिकट दे दिया है, लेकिन पटेल मतदाताओं में इसका कोई फर्क नहीं पड़ रहा है और ज्यादातर अनुप्रिया के साथ हैं।
क्या कहते हैं मतदाता?
दूसरी ओर मिर्जापुर के ही शांतनु पाठक कहते हैं कि बसपा ने मनीष तिवारी को टिकट दिया है लेकिन ब्राह्मण उनके साथ जाने के मूड में नहीं दिखता। वास्तव में यह संदेश चला गया है की बसपा लड़ाई के बाहर है। उसे सिर्फ बसपा का वोट मिल रहा है । मुसलमान भी उसे वोट नहीं दे रहा है। इसलिए ब्राह्मण मतदाता अपना वोट क्यों बर्बाद करें। ब्राह्मण भाजपा के साथ हैं।
एक और असर दिखता है। महिलाओं से बात करने में पता चलता है कि वो मोदी और योगी के साथ ज्यादा हैं। सुरक्षा का मुद्दा यहां जमकर चल रहा है। विपक्षियों से बात करो, तो वे कहते हैं कि महंगाई बहुत है, बेरोजगारी है, लेकिन बीजेपी समर्थक मतदाता मोदी और योगी की ओर से दी जा रही मदद की बात करते हैं और सुरक्षा की भी।
एक पान की दुकान पर राजनीतिक बतकही में लगे शिवेंद्र सिंह कहते हैं कि समस्याएं बहुत हैं, लेकिन सरकार काम कर रही है। बहू बेटियों की इज्जत सुरक्षित है। इसलिए ज्यादातर लोग भाजपा की ओर आकर्षित हैं। क्योंकि यहां पर बीजेपी की सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल खड़ी हैं, इसलिए लोग उन्हीं के साथ हैं।
सपा, बीजेपी की लड़ाई में अपना रास्ता बना रही BSP
जहां तक बसपा का सवाल है, उसे कहीं से भी मजबूती नहीं मिल रही है। बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी यह सोचकर उतारा था कि यहां पर ब्राह्मणों की संख्या बहुत ज्यादा है और वो जाति के आधार पर बसपा के साथ आ जाएंगे, लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है। मिर्जापुर के ही आर के उपाध्याय कहते हैं कि बसपा प्रत्याशी ये दिखा दें कि ब्राह्मणों का वोट अगर उसे मिल जाए, तो वो जीत जाएंगे तो मैं भी वोट दे दूं। ब्राह्मण जानते हैं कि बसपा प्रत्याशी जीतेगा नहीं, तो वोट बर्बाद क्यों करें।
जहां तक समाजवादी पार्टी का सवाल है, तो उसे यादव और मुस्लिम वोटों का भरोसा है, लेकिन ये समर्थन तो पिछली बार भी मिला था। यही नहीं बसपा का समर्थन भी साथ में मिला था। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी की बुरी पराजय हुई थी। इसलिए ये कहना सही नहीं है कि समाजवादी पार्टी के पक्ष में सामाजिक समीकरण हैं। फिलहाल यहां पर बीजेपी और सपा के बीच चुनावी जंग हो रही है बहुजन समाज पार्टी भी इस लड़ाई के बीच में अपना रास्ता बनाने का प्रयास कर रही है, अब वो कितना कर पाएगी, ये कहना मुश्किल है। फिलहाल यहां पर अनुप्रिया पटेल मजबूत दिख रही हैं।