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UP Lok sabha Election 2024: झांसी ललितपुर में कौन पड़ेगा भारी? BJP के अनुराग या कांग्रेस के आदित्य को पसंद करेगी जनता

UP Lok Sabha Chunav 2024: वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई कि यह कर्मभूमि झांसी। "बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। "यह भूमि ही वीरों की है। हॉकी के जादूगर ध्यानचंद जी की यही कर्म भूमि है। वास्तव में झांसी ललितपुर लोकसभा सीट पर इस बार कांटे की लड़ाई हो रही है

अपडेटेड May 19, 2024 पर 6:15 AM
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UP Lok sabha Election 2024: झांसी ललितपुर में कौन पड़ेगा भारी? BJP के अनुराग या कांग्रेस के आदित्य को पसंद करेगी जनता

झांसी का चिरगांव कस्बा। राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त ने इसी कस्बे में जन्म लिया और उनका यही कार्यक्षेत्र रहा। इसी कस्बे में रहकर उन्होंने कलजयी रचनाएं की। "मानस भवन में आर्य जन जिनकी उतारे आरती। भगवान भारतवर्ष में गूंजे हमारी भारती।" जयद्रथ वध पर उन्होंने लिखा था कि "अन्याय सह कर बैठ रहना यह महा दुष्कर्म है। न्यायार्थ अपने बंधु को भी दंड देना धर्म है।" इसी चिरगांव में युवकों की एक टोली बैठी हुई है। चुनावी चर्चा चल रही थी। वहीं बैठे लल्लू कुशवाहा बताते हैं कि इस बार लगता है, यहां कांग्रेस जीत जाएगी। वो बताते हैं कि कांग्रेस के प्रत्याशी प्रदीप जैन आदित्य मिलनसार हैं, इसलिए लोग उन्हें वोट दे रहे हैं। उनकी बात का समर्थन विकास भी करते हैं, लेकिन दिलीप कुशवाहा खुलकर उनके विरोध में आ जाते हैं।

दिलीप का कहना था की कमल खिलेगा कमल। सपा के लोग जीत गए तो पहले की तरह गुंडागर्दी हो जाएगी। इसलिए यह लोग नहीं जीतेंगे। आम लोगों को पता है कि साइकिल की सरकार में क्या हालत थी, यहां लोगों की। लेकिन सभी अपनी-अपनी पर अड़े रहते हैं।

वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई कि यह कर्मभूमि झांसी। "बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। "यह भूमि ही वीरों की है। हॉकी के जादूगर ध्यानचंद जी की यही कर्म भूमि है। वास्तव में झांसी ललितपुर लोकसभा सीट पर इस बार कांटे की लड़ाई हो रही है। कांटे की इसलिए क्योंकि प्रदीप आदित्य जैन काफी लोकप्रिय हैं और बीजेपी के प्रत्याशी अनुराग शर्मा को लेकर कुछ नाराजगी भी है।


अनुराग शर्मा पिछले चुनाव में भी जीते थे, लेकिन इस बार उनके लिए थोड़ा रास्ता कठिन है। वो मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी ने यहां पर एक युवा नेता रवि प्रकाश कुशवाहा को टिकट दिया है। पहले पार्टी ने राकेश कुशवाहा को टिकट दिया था. लेकिन फिर बसपा सुप्रीमो ने उनका टिकट काटकर रवि प्रकाश को दे दिया।

पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर अनुराग शर्मा लगभग 58% वोट पाकर चुनाव जीते थे और उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को लगभग 3 लाख 65 हजार वोटों से हरा दिया था। 2014 में इस सीट पर बीजेपी से साध्वी उमा भारती मैदान में उतरी थीं और उन्होंने समाजवादी पार्टी के बहु चर्चित नेता चंद्रपाल सिंह को भारी मतों से पराजित कर दिया था।

चंद्रपाल सिंह यादव की छवि बाहुबली जैसी है और उनके समर्थक भी लोगों से बहुत अच्छा सलूक नहीं करते। 2014 के चुनाव में प्रदीप जैन आदित्य चौथे नंबर पर रहे थे। इस बार कांग्रेस ने यह सीट अपनी पार्टी के लिए ले ली और प्रदीप जैन आदित्य को मैदान में उतार दिया। वास्तव में अनुराग शर्मा को लेकर कुछ नाराजगी जरूर है लेकिन यहां पर अभी भी वह मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर प्रदीप जैन आदित्य को समाजवादी पार्टी का समर्थन मिला है और उनके साथ चंद्रपाल यादव सहित सपा के सारे नेता प्रचार कर रहे।

अब सवाल यह है कि ऐसे कौन से समीकरण बने और बिगड़े जिसके कारण यह लड़ाई रोचक हुई है। बहुजन समाज पार्टी का प्रत्याशी मैदान में है। जबकि पिछले चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन था। बसपा से गठबंधन के कारण दलित वोटों का बड़ा हिस्सा समाजवादी पार्टी के साथ गया था।

इस बार दलित मतदाता या तो बसपा के साथ है या थोड़ा बहुत बीजेपी और सपा में जा रहा है। भररोल गांव के रामकिशोर यादव कहते हैं की टक्कर बराबर की है और चुनाव बहुत ही रोचक हो रहा है। किसका पलड़ा भारी है इस सवाल पर वो बताते हैं कि फिलहाल यह कहना मुश्किल है।

वो बताते हैं कि दलित वोटों का एक हिस्सा गठबंधन को जा रहा है, लेकिन उनके साथ ही बैठे श्याम सिंह कहते हैं कि यह इनका भ्रम है। दलित वोट का बड़ा हिस्सा अभी भी बसपा में जा रहा है और किसी की तरफ नहीं जा रहा है।

मयापुर के गोविंद सिंह यादव कहते हैं कि अहिरवार वोटर यानी दलित मतदाता बीजेपी के साथ है। उनके गांव में यादव और अहिरवार यानी दलित हैं और दोनों में बंटवारा है। यादव मतदाता कांग्रेस के साथ है, तो दलित भाजपा के।

चिरगांव के ही एक व्यापारी सुरेंद्र जैन वोट के सवाल पर ही उखड़ जाते हैं। वो कहते हैं कि समाजवादी पार्टी के लोगों ने उनका एक करोड़ का प्लांट हथिया लिया है। वो चार बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले, लेकिन अधिकारी गलत रिपोर्ट लगाकर भेज देते हैं। इसलिए इस बार योगी आदित्यनाथ से जाकर मिलेंगे और कोई भी आदमी यहां पर सपा को वोट नहीं देना चाहता। क्योंकि उनके समर्थक छीना झपटी करते हैं।

अशोक मुड़े गांव के रहने वाले हैं। वो कहते हैं कि फिलहाल ये कहना मुश्किल है कि वोट किसके पक्ष में जा रहा है। लड़ाई कांटे की है। अब देखो क्या होता है। वैसे झांसी ललितपुर सीट पर जातीय समीकरण बड़े अजीब हैं।

प्रदीप जैन आदित्य का कोई जाति समीकरण मजबूत नहीं है लेकिन उन्हें वोट मिल रहा है। क्योंकि उनका अपना व्यवहार है । मुड़े गांव के ही राम गोविंद कहते हैं की चुनाव जाति पर हो रहा है यह कहना आसान है। लेकिन प्रदीप जैन आदित्य को कौन से वोट मिल रहा है।

उनकी जाति के वोट कितने हैं। सर्फ जाति के नाम पर वोट नहीं मिल रहा है। इसलिए यहां पर जाति भी है व्यवहार भी है। मोदी का भी प्रभाव है और अखिलेश राहुल का भी प्रभाव है। अब इसमें कौन जीतेगा यह कहना कठिन है। हां इतना निश्चित है की बहुजन समाज पार्टी मजबूत लड़ाई में नहीं है।

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