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UP Loksabha Election: 'मां की उंगली पकड़कर आया था' टिकट कटने के बाद पीलीभीत के नाम वरुण गांधी का भावुक संदेश

UP Loksabha Election: वरुण गांधी ने गुरुवार को लिखी चिट्ठी में जिस 'कीमत चुकाने' का जिक्र किया है, वो ढाई साल पहले प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी से सीधे तौर पर जुड़ रही है। 20 नवंबर 2021 को वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री की ओर से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का स्वागत किया था

अपडेटेड Mar 28, 2024 पर 6:50 PM
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UP Loksabha Election: वरुण गांधी ने गुरुवार को लिखी चिट्ठी में जिस 'कीमत चुकाने' का जिक्र किया है

UP Loksabha Election: पीलीभीत लोकसभा सीट (Pilibhit Loksabha Seat) से इस बार टिकट न मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को एक भावुक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा है कि पीलीभीत के लोगों के साथ उनका रिश्ता आखिरी सांस तक रहेगा। बृहस्पतिवार को लिखे गए इस पत्र को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर साझा करते हुए वरुण ने कहा कि एक सांसद के रूप में उनका कार्यकाल भले ही खत्म हो रहा हो मगर पीलीभीत से उनका रिश्ता आखिरी सांस तक रहेगा।

BJP ने महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ कई बार मुखर रहे वरुण गांधी का टिकट काटकर उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री (PWD) और पूर्व सांसद जितिन प्रसाद को पीलीभीत से उम्मीदवार बनाया है। जितिन प्रसाद ने बुधवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।

पहले माना जा रहा था कि वरुण पीलीभीत से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन बुधवार को नामांकन प्रक्रिया के अंतिम दिन भी उन्होंने पर्चा दाखिल नहीं किया, जिसके बाद उनके इस सीट से चुनाव लड़ने की तमाम अटकलों पर विराम लग गया।


'मां की उंगली पकड़कर कर आया था पीलीभीत'

उन्होंने पीलीभीत वासियों को लिखे पत्र में इस क्षेत्र से अपने जुड़ाव का जिक्र करते हुए कहा, "आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं, तो यादों ने मुझे भावुक कर दिया है। मुझे तीन साल का छोटा सा वह बच्चा याद आ रहा है, जो अपनी मां की उंगली पकड़कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था। उसे कहां पता था कि एक दिन यह धरती उसकी कर्म भूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे।"

BJP सांसद ने पत्र में कहा, "महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है। आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई है।"

'संसद नहीं बेटे के रूप में करता रहूंगा सेवा'

वरुण ने पत्र में आगे कहा कि एक सांसद के तौर पर उनका कार्यकाल भले खत्म हो रहा हो, पर पीलीभीत से उनका रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता।

उन्होंने लिखा "सांसद के रूप में नहीं, तो बेटे के तौर पर ही सही, मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं और मेरे दरवाजे आपके लिए हमेशा पहले जैसे ही खुले रहेंगे। मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूं कि सदैव यह कार्य करता रहूं। भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े।"

क्यों कटा वरुण गांधी का टिकट?

तीन दशक में पहली बार मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी दोनों ही पीलीभीत सीट के लिए चुनाव मैदान में नहीं हैं। नेपाल से लगने वाली तराई पट्टी पर स्थित पीलीभीत से इस बार वरुण को टिकट न मिलना आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि किसानों, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे मुद्दों को लेकर वह कई बार BJP की आलोचना कर चुके हैं।

वरुण की मां मेनका सुलतानपुर संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं और भाजपा ने इसी सीट से उन्हें दोबारा टिकट दिया है। पीलीभीत सीट का प्रतिनिधित्व 1996 से मेनका गांधी या उनके पुत्र वरुण करते रहे हैं।

पीलीभीत सीट का इतिहास

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के चचेरे भाई वरुण गांधी साल 2009 में और 2019 में पीलीभीत से बीजेपी के सांसद चुने गए थे।

वरुण की मां मेनका गांधी ने साल 1989 में जनता दल की उम्मीदवार के रूप में पीलीभीत सीट जीती थी। उन्हें 1991 में पराजय मिली थी लेकिन 1996 में उन्होंने इस सीट से एक बार फिर जीत हासिल की थी। उन्होंने 1998 और 1999 में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में पीलीभीत से जीत हासिल की थी। मेनका बाद में 2004 और 2014 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में पीलीभीत से सांसद बनीं।

वरुण गांधी 2009 और 2019 में भाजपा के टिकट पर पीलीभीत से सांसद बने थे।

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