Market Outlook : यहां हम उन लोगों के लिए कुछ खास टिप्स लेकर आए हैं जो जोखिम कम उठाना चाहते हैं और पैसा ज्यादा कमाना चाहते हैं। दूसरी भाषा में कहें तो रिस्क कम लेना चाहते हैं रिटर्न ज्यादा पाना चाहते हैं। एक बात हर कोई मानता है कि एक आध अपवाद को छोड़कर शेयर मार्केट एक ऐसी जगह है जहां रिटर्न सबसे ज्यादा मिलता है। लेकिन साथ में ये भी सच है कि यहां जोखिम यानी रिस्क भी उतना ही ज्यादा होता है। शायद यही वजह है कि कई लोग शेयर मार्केट में पैसा लगाने से डरते हैं। तो आज हम उस डर को खत्म करेंगे। कई लोग जो शेयर मार्केट में हैं डर उन्हें भी लगता है कि पता नहीं रिटर्न कितना मिलेगा? औऱ पैसा लगाएं या अभी रुक जाएं। कितना रिस्क लें। ऐसे तमाम सवाल मन में चल रहा है। तो आज हम इन सवालों के सटीक जवाब भी देंगे। क्योंकि आज हम आपको बताने वाले हैं कि शेयर मार्केट में रिस्क औऱ रिटर्न में बैलेंस कैसे बैठाएं।
आज हमारी इस कोशिश में हमारे साथ जुड़ रहे हैं prakashdiwan.in के प्रकाश दीवान, Geojit Financial Services के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट गौरांग शाह, Citrus Advisors के फाउंडर संजय सिन्हा और Rockstud Capital के मैनेजिंग पार्टनर अभिषेक अग्रवाल।
रिस्क और रिटर्न में कैसे बनाएं बैलेंस?
इन एक्सपर्ट्स का कहना है कि सबसे पहले तो निवेश के रिस्क और रिटर्न को ठीक से समझें। ज्यादा रिस्क में ज्यादा रिटर्न भी होता है। एसेट एलोकेशन को फॉलो करें। हम पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई करके रिस्क कम कर सकते हैं। अपनी रिस्क लेने की क्षमता को समझें और अपनी क्षमता के मुताबिक ही रिस्क लें। इसके साथ ही अपने फाइनेंशियल लक्ष्य के मुताबिक ही रिस्क लें। लंबी अवधि का नजरिया है तो ज्यादा रिस्क ले सकते हैं।
सबसे पहले तो इक्विटी में लिक्विडिटी होती है। इस में हाई रिस्क के साथ हाई रिवॉर्ड भी होता है। इसमें निवेश के कई विकल्प है। आप इक्विटी में शेयर/MF/ET जैसे कई तरीकों से निवेश कर सकते हैं। इक्विटी मार्केट सुरक्षित और रेग्युलेटेड है। इसकी होल्डिंग कॉस्ट काफी कम है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अपने पोर्टफोलियो में 50 फीसदी हिस्सा लार्जकैप को दें। मिडकैप में 30 फीसदी आवंटन करें। जबकि स्मॉल कैप के लिए 20 फीसदी हिस्सा रखें।
हमेशा हाई MOAT वाले शेयर चुनें। MOAT यानि कॉम्पिटीशन से सुरक्षा और एंट्री बैरियर। ध्यान रखें MOAT जितना ज्यादा होगा। कंपनी उतनी ही सुरक्षित होगी। इन्वेस्टिंग के बेसिक्स को ध्यान में रखें। यानी निवेश की शुरुआत जल्दी करें। बाजार के गिरने का इंतजार न करें। शुरुआत में टॉप क्वालिटी शेयरों में निवेश करें। धीरे-धीरे लगातार निवेश करते रहें। पावर ऑफ कम्पाउंडिंग को समझें। सामान्य ब्याज पर निर्भर न रहें।
इन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब बाजार की नजर कंपनियों के तीसरे तिमाही के नतीजों डॉनल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति पद पर ताजपोशी और उनकी नीतियों,बजट में होने वाले एलानों, महंगाई की रफ्तार और कंज्यूमर डिमांड पर रहगी।
निवेशकों को गौरांग शाह की सलाह है कि बाजार में वाजिब रिटर्न की उम्मीद रखें। निवेश के सिद्धांत को फॉलो करें। निवेश करने से पहले अपने सवालों के जवाब जानें,बाद में नहीं। बाजार को टाइम करने की कोशिश न करें। निवेश करने के बाद बाजार को समय दें। कुछ प्रॉफिट बुक करें और निवेश को रिव्यू भी करें। एक ही शेयर या सेक्टर में सारा पैसा निवेश न करें। हाई रिस्क में हाई रिटर्न की संभावनाएं होती हैं। बाजार अनिश्चितताओं से भरा रहता है। बाजार में सेफ इन्वेस्टमेंट या गारंटीड रिटर्न जैसा कुछ नहीं होता। एसेट एलोकेशन को फॉलो करें।
प्रकाश दीवान का कहना है कि रिस्क और रिटर्न में बैलेंस बनाने के लिए बैलेंस शीट रिस्क का आकलन करें कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ कैसी है इस पर नजर रखें। रेगुलेटरी रिस्क का अंदाजा लगाएं। रेगुलेटरी नियमों में बदलाव से कंपनी/सेक्टर पर असर पड़ता है। निवेश करते समय लिक्विडिटी रिस्क को भी ध्यान में रखें। कई बार इक्विटी निवेश मेंएग्जिट होना भी चैलेंज बन जाता है। वैल्युएशन रिस्क में फ्यूचर ग्रोथ के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होती है। सबसे बड़ा जोखिम तब आता है जब हमको पता नहीं होता कि हम क्या कर रहे हैं। ऐसे में कोई भी निर्णय सोच-समझ कर गहन शोध के साथ ही लें।
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