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60000 रुपये का लॉस 27 सेकेंड में 3.5 लाख रुपये के फायदे में बदल गया, डेरिवेटिव ट्रेडर ने बताया ऐसा कैसे हुआ

कपिलन तिरुम्बवलन सेंसेक्स वीकली ऑप्शंस के स्ट्रैडल पॉजिशन में करीब 60,000 रुपये के लॉस पर बैठे हुए थे। इस ट्रेड के हेज के रूप में कपिलन ने 67,000 स्ट्राइक के 2000 सेंसेक्स कॉल ऑप्शंस 4.35 रुपये के प्राइस पर खरीदे थे। उन्होंने और 1000 कॉल ऑप्शन उसी स्ट्राइक के लेने का फैसला किया। इससे उनकी कुल पॉजिशन बढ़कर 3000 हो गई

अपडेटेड Sep 21, 2023 पर 5:18 PM
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कई ट्रेडर्स कभी-कभार सफल हो जाते हैं लेकिन रिस्क मैनेजमेंट के सही नियम और ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के बगैर वे लंबे समय में अपनी पूंजी गंवा देते हैं।

8 सितंबर, शुक्रवार | 11:02:08 AM

कपिलन तिरुम्बवलन सेंसेक्स वीकली ऑप्शंस के स्ट्रैडल पॉजिशन में करीब 60,000 रुपये के लॉस पर बैठे हुए हैं। इस ट्रेड के हेज के रूप में कपिलन ने 67,000 स्ट्राइक के 2000 सेंसेक्स कॉल ऑप्शंस 4.35 रुपये के प्राइस पर खरीदे थे। उन्होंने और 1000 कॉल ऑप्शन उसी स्ट्राइक के लेने का फैसला किया। इससे उनकी कुल पॉजिशन बढ़कर 3000 हो गई। यह एवरेज 4.45 रुपये के प्राइस पर था। 45 साल के डेरिवेटिव ट्रेडर को बहुत उम्मीद नहीं दिख रही। उनके एल्गो को इस तरह से प्रोग्राम किया गया है कि उन्हें 1.5 लाख रुपये का प्रॉफिट होते ही पूरा ट्रेड (स्ट्रैडल + हेज) अपने आप स्केवयर-ऑफ हो जाएगा। ऐसा होने की एक स्थिति यह है कि 67000 स्ट्राइक कॉल्स का प्राइस 75 रुपये पार कर जाए। ट्रेडिंग खत्म होने में अभी साढ़े चार घंटे का समय बाकी है। लेकिन, यह एक्सपायरी का दिन है जिससे प्रॉफिट को तो छोड़ दीजिए सिर्फ एक चमत्कार ही उन्हें लॉस से बाहर निकाल सकता है।

लेकिन, आखिर चमत्कार हो सकता है, जिसके बारे में कपिलन ने अगले 27 सेकेंड में जाना।


11:02:35 AM

कपिलन को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा; 2000 कॉल्स की बिक्री 209.25 रुपये पर हुई है, जिससे कपिलन को 4 लाख रुपये से थोड़ा ज्यादा प्रॉफिट हुआ है। अब भी 1000 कॉल्स बचे हुए हैं, जिसकी बिक्री उनके एल्गोरिद्म की तरफ से दिए गए ऑर्डर के मुताबिक 194.60 रुपये पर होनी है। लेकिन, कीमतें तेजी से गिरनी शुरू हो जाती है। कपिलन अंतिम 1000 कॉल्स जो कीमत हाथ लग जाए उस पर बेचने का फैसला करते हैं।

11:02:50 AM

वह उन्हें 9.35 रुपये की औसत कीमत पर बेचने में सफल हो जाते हैं। 42 सेकेंड में कपिलन 60,000 रुपये के लॉस से करीब 3.5 लाख रुपये के फायदे में आ जाते हैं। इससे वह स्तब्ध हैं। उन्हें इस चमत्कार पर भरोसा नहीं हो रहा। ऐसा कपिलन की जिंदगी भले ही दोबारा न हो, लेकिन वह अपने नाती-पोतों को किसी दिन बता सकेंगे कि उन्होंने अपनी दो-तिहाई पॉजिशन दिन के सबसे ऊंचे प्राइस पर अनवाइंड किया था।

कपिलन ने मनीकंट्रोल को फोन पर बताया, "पहले मुझे लगा कि यह किसी तरह का Ghost Trade है, जिसकी वजह मेरे ब्रोकर के सॉफ्टवेयर में किसी तरह की गड़बड़ी हो सकती है। यह एक तरह से ऐसा था... जैसे किसी व्यक्ति ने रुपये से भरा सूटकेस आपके दरवाजे पर छोड़ कर चला गया हो। आप इस पैसे को देखकर खुश होते हैं, लेकिन उसके बाद होने वाली चीजों को लेकर चिंतित हो जाते हैं।"

कपिलन ने तुरंत अपना लैपटॉप स्विच-ऑफ किया और उस दिन कोई और ट्रेड नहीं करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, "मैं बैठकर इंतजार करने लगा कि मेरे ब्रोकर की बैक-एंड टीम से कोई कॉल या मैसेज आएगा, जिसमें यह कहा जाएगा कि ट्रेड में एक गड़बड़ी हो गई है और यह ट्रेड रिवर्स हो जाएगा।"

कपिलन को यह पता नहीं कि उन पर हुई पैसे की बारिश की वजह एक दूसरे ट्रेडर की गलती थी। उसने सेंसेक्स के 67000 स्ट्राइक की करीब 2,85,000 कॉल्स के लिए गलती से 'स्टॉपलॉस मार्केट ऑर्डर' पंच कर दिया था। उसके चलते उस ऑर्डर ने हर उस सेल ऑर्डर को पिक कर लिया जो पहले से सिस्टम में मौजूदा था या प्रतिद्वंद्वी एल्गोरिद्म की तरफ से फायर की गई डिमांड से सिस्टम में आया था।

कपिलन यह मानते हैं कि यह सिर्फ एक चांस की बात है। उन्होंने बताया, "इसकी मेरी स्ट्रेटेजी या स्किल से कुछ भी लेनादेना नहीं है जैसा कुछ लोग समझ सकते हैं।" कपिलन पिछले दो साल से एक फुल-टाइम डेरिवेटिव ट्रेडर हैं।

उन्होंने कहा कि उनका एल्गो इस तरह से प्रोग्राम किया गया है कि अगर पॉजिशन 1.5 लाख रुपये का पॉजिशन दिखा रहा है तो अपने आप सेल ऑर्डर फायर हो जाएगा। लेकिन, यह तभी होगा जब ट्रिगर प्राइस के बाद के चार टिक्स पॉजिटिव होंगे। दूसरी शर्त यह है कि फाइनल ऑर्डर चौथे टिक के 12 फीसदी प्रीमियम पर प्लेस्ड होने चाहिए। यह इस धारणा पर आधारित है कि अगर ट्रिगर प्राइस क्रॉस हो गया है और अगले चार टिक्स पॉजिटिव हैं तो मोमेंटम स्ट्रॉन्ग है और कीमतों के उस दिशा में बने रहने की संभावना है।

अगर यह 67,000 स्ट्राइक की तरह ऑउट-ऑफ-द-मनी कॉन्ट्रैक्ट की जगह लिक्विड ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट होता तो कपिलन का ऑडर ट्रिगर प्राइस से ज्यादा दूर एग्जिक्यूट नहीं हुआ होता। इसकी वजह यह है कि कीमतों में थोड़े अंतर पर कई ऑफर्स होते। लेकिन, चूंकि यह एक इलिक्विड कॉन्ट्रैक्ट था, जिससे वह ऑफर काफी दूर और व्यापक था। इसे इस तरह से समझ सकते हैं : मान लीजिए आप 100 रुपये पर एक बाय ऑर्डर प्लेस करते हैं तो सेलर 100.10 रुपये, 100.20 रुपये, 100.30 रुपये जैसा कुछ कोट करेगा। लेकिन, अगर यह एक इलिक्विड स्टॉक होता तो सेल ऑर्डर्स 103 रुपये, 107 रुपये, 115 रुपये पर उपलब्ध होते।

कपिलन ने अपना अनुभव मनीकंट्रोल के साथ शेयर किया। उन्होंने अपने कॉन्ट्रैक्ट नोट की एक कॉपी भी हमें मेल किया। इसमें उस दिन के सभी ट्रेड दिख रहे हैं। हमने उनसे इसकी वजह पूछी। उनका जवाब था कि वह अकेला ऐसा ट्रेडर नहीं थे, जिन्हें 8 सितंबर को उस Freak Trade से फायदा हुआ था।

कपिलन का मानना है कि कई ट्रेडर्स कभी-कभार सफल हो जाते हैं लेकिन रिस्क मैनेजमेंट के सही नियम और ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के बगैर वे लंबे समय में अपनी पूंजी गंवा देते हैं।

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